श्री दरवाजा कालपी – श्री दरवाजे का इतिहास Naeem Ahmad, August 25, 2022 भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में कालपी एक ऐतिहासिक नगर है, कालपी स्थित बड़े बाजार की पूर्वी सीमा पर यह श्री दरवाजा स्थित है। यह दरवाजा अपना एक ऐतिहासिक महत्व रखता है। राजा श्रीचन्द्र की शहादत में बना यह श्री दरवाजा दर्शनार्थियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। Contents1 श्री दरवाजा का इतिहास2 श्री दरवाजा कालपी3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— श्री दरवाजा का इतिहास श्री दरवाजा का इतिहास स्पष्ट तो दिखाई नहीं पड़ता है। प्रसिद्ध पत्रकार अखिलेश विद्यार्थी के अनुसार सन 1196 ई० में कालपी के राजा श्रीचन्द्र के कुछ आदमी अपने राजा के साथ विश्वासघात करके यवन सेनापतियों से मिल गये और परिणाम स्वरूप युद्ध के मैदान में राजा श्रीचन्द्र की हार हुई और वह युद्ध में शहीद हुए। विजयी यवन सरदार ने राजा श्रीचन्द्र के सिर को जमीन में गड़वा कर उसके ऊपर एक विशाल द्वार का निर्माण कराया जो श्री दरवाजे के नाम से जाना जाता है। एक अन्य परम्परा अनुसार यह कहा जाता है कि कालपी के अन्तिम हिन्दू राजा श्री चन्द्र मुसलमानों द्वारा पराजित हुए एवं उनकी मृत्यु कालपी में हुई और उनका सिर इस दरवाजे के नीचे गाड़ दिया गया। हिजरी 791 में कालपी के राजा लहरिया उर्फ श्री चन्द्र जब मुसलमानों से हुए युद्ध में शहीद हुए तब उनके नाम पर इस श्री दरवाजे का निर्माण हुआ। कहा जाता है कि युद्ध में वीरगति को प्राप्त राजा लहरिया श्रीचन्द्र की पटरानी लोढ़ा से राजा श्रीचन्द्र का सिर माँग कर नगर के पश्चिमी भाग में उसे दफनाया तथा उस पर एक शानदार दरवाजा बनवाया। डा० राजेन्द्र कुमार के अनुसार राजा श्रीचन्द्र सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में महमूद लोधी द्वारा मारा गया था। बाद में श्रीचन्द्र के नाम से ही महमूद लोधी ने नगर में एक दरवाजा बनवाया था जो श्री दरवाजा के नाम से आज भी विख्यात है। श्री रूप किशोर टण्डन के अनुसार यह श्री दरवाजा बारहवीं शताब्दी के यवन काल के प्रारंभ में बना हुआ बतलाया जाता है। मुंशी ख्वाजा इनायत उल्ला के अनुसार 791 हिजरी में सुल्तान मुहम्मद उर्फ महमूद शाह लोधी ने कालपी शहर में इस आलीशान दरवाजे की नींव डाली। इस दरवाजे के निर्माण के सन्दर्भ में यह कारण लिखा है कि महमूद शाह लोधी ने जब राजा श्रीचन्द्र को हरा दिया तब उसका सिर काटकर इस दरवाजे की नींव में रखा और यह श्री दरवाजा बनवाया। एक अन्य जनश्रुति के अनुसार युद्ध में वीरगति को प्राप्त राजा श्रीचन्द्र का सिर उनकी पत्नी लोढ़ारानी से जबरदस्ती लेकर कालपी शहर की पूर्वी सीमा पर गाड़ कर उस पर इस दरवाजे का निर्माण महमूद लोधी द्वारा इस कारण किया गया कि जितने भी लोग कालपी शहर की सीमा में प्रवेश करें अथवा कालपी से बाहर जायें उन सबके पैरों तले राजा श्रीचन्द्र का सिर रौंदा जाये। श्री दरवाजा कालपी अस्तु कालपी के अन्तिम हिन्दू राजा श्रीचन्द्र का युद्ध सन 1196 ई० में महमूद शाह लोधी के साथ हुआ जिसमें राजा श्रीचन्द्र वीरगति को प्राप्त हुए। हिन्दू मान्यताओं के आधार पर अन्तिम संस्कार पूर्ण होने के पूर्व ही राजा श्रीचन्द्र की विधवा पत्नी रानी लोढ़ा की उपस्थिति में महमूद शाह लोधी ने अपनी बर्बता के अन्तर्गत राजा श्रीचन्द्र की लाश से सिर काटकर उसे नगर की पूर्वी सीमा पर श्री दरवाजे के नीचे गड़वा दिया ताकि राजा श्रीचन्द्र का सिर कालपी आने जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के पैरों तले कुचला जा सके और लोगों को महमूद लोधी की बर्बता का अहसास रहे ताकि कोई उसके शासन में सिर न उठा सके। रानी लोढ़ा द्वारा अपने पति की सिर विहीन लाश का ही दाह संस्कार किया गया। श्री दरवाजा कालपी यह श्री दरवाजा कालपी शहर की पूर्वी सीमा पर मेहराबयुक्त दुखी आकृति दर्शाता हुआ बना है। यह विशाल श्री दरवाजा 36 फुट ऊँचा व 12 फुट चौड़ा है। इसकी दीवारें 14 फुट चौड़ी हैं। तथा यह नीचे से ऊपर की ओर क्रमशः पतला होता गया है। इस दरवाजे के ऊपर तीन पूरे कंगूरे व दो पौने कंगूरे अंकित है। इनमें कोई दरवाजा नहीं है। राजा श्रीचन्द्र का स्वामि भक्त अनुचर जिसका नाम पूरन कहार था , भी फाटक के बायीं ओर आले में चुनवा दिया गया था। इस दरवाजे के बगल में ही शाही मस्जिद है। जिसका मुआज़िन दरवाजे की दीवार से अभी भी अजान देता है। इस दरवाजे के ऊपर स्थित कंगूरों में प्रत्येक में एक एक चौकोर छिद्र बना हुआ है जिससे आर पार देखा जा सकता है। कंगूरों के नीचे एक बाहर निकली हुई पट्टिका अंकित है, जिसके नीचे पुनः आर पार देखने वाला एक एक छिद्र ऊपरी छिद्रों के ठीक नीचे अंकित है। इसके नीचे आयताकार आकृति अंकित है जिसके अन्दर एक विशाल मेहराब बना हुआ है। इस विशाल मेहराब के नीचे विशाल मेहरायुक्त दरवाजा बना है। दोनों मेहराबों के बीच एक बड़ी आयताकार आर पार देखने वाली खिड़की बनी है। जिसके नीचे दोनों ओर पानी निकलने के छिद्र अंकित हैं। इसके नीचे छोटे छोटे तोड़ो पर आधारित एक छज्जा भी अंकित है। श्री दरवाजा में लकड़ी के दो विशाल फाटक भी लगे हुए थे। दरवाजे के दोनों ओर विशाल लकड़ी के फाटकों को साधने हेतु ऊपर तथा नीचे की ओर पत्थर के गोल हुक भी लगे हैं। यह श्री दरवाजा कालपी में हिन्दुओं पर मुगलों की बर्बरता की मूक कहानी आज भी बुलन्दी के साथ कह रहा है। यह सम्पूर्ण श्री दरवाजा पत्थर तथा चूने के संयोग से निर्मित है तथा इस पर चूने का ही प्लास्टर है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— चौरासी गुंबद कालपी – चौरासी गुंबद का इतिहास चौरासी गुंबद यह नाम एक ऐतिहासिक इमारत का है। यह भव्य भवन उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना नदी रंग महल कहा स्थित है – बीरबल का रंगमहल उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो गोपालपुरा का किला जालौन – गोपालपुरा का इतिहास गोपालपुरा जागीर की अतुलनीय पुरातात्विक धरोहर गोपालपुरा का किला अपने तमाम गौरवमयी अतीत को अपने आंचल में संजोये, वर्तमान जालौन जनपद रामपुरा का किला और रामपुरा का इतिहास जालौन जिला मुख्यालय से रामपुरा का किला 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 46 गांवों की जागीर का मुख्य जगम्मनपुर का किला – जगम्मनपुर का इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना के दक्षिणी किनारे से लगभग 4 किलोमीटर दूर बसे जगम्मनपुर ग्राम में यह तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक पथरीगढ़ का किला किसने बनवाया – पाथर कछार का किला का इतिहास इन हिन्दी पथरीगढ़ का किला चन्देलकालीन दुर्ग है यह दुर्ग फतहगंज से कुछ दूरी पर सतना जनपद में स्थित है इस दुर्ग के धमौनी का किला किसने बनवाया – धमौनी का युद्ध कब हुआ और उसका इतिहास विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र बिजावर का किला किसने बनवाया – बिजावर का इतिहास इन हिन्दी बिजावर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित एक गांव है। यह गांव एक ऐतिहासिक गांव है। बिजावर का बटियागढ़ का किला किसने बनवाया – बटियागढ़ का इतिहास इन हिन्दी बटियागढ़ का किला तुर्कों के युग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह किला छतरपुर से दमोह और जबलपुर जाने वाले मार्ग राजनगर का किला किसने बनवाया – राजनगर मध्यप्रदेश का इतिहास इन हिन्दी राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा पन्ना का इतिहास – पन्ना का किला – पन्ना के दर्शनीय स्थलों की जानकारी हिन्दी में पन्ना का किला भी भारतीय मध्यकालीन किलों की श्रेणी में आता है। महाराजा छत्रसाल ने विक्रमी संवत् 1738 में पन्ना सिंगौरगढ़ का किला किसने बनवाया – सिंगौरगढ़ का इतिहास इन हिन्दी मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का किला स्थित हैं, यह किला गढ़ा साम्राज्य का छतरपुर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – छतरपुर का इतिहास की जानकारी हिन्दी में छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर चंदेरी का किला किसने बनवाया – चंदेरी का इतिहास इन हिन्दी व दर्शनीय स्थल भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के चंदेरी में स्थित चंदेरी का किला शिवपुरी से 127 किमी और ललितपुर ग्वालियर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – ग्वालियर का इतिहास व दर्शनीय स्थल ग्वालियर का किला उत्तर प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस किले का अस्तित्व गुप्त साम्राज्य में भी था। दुर्ग बड़ौनी का किला किसने बनवाया – बड़ौनी का इतिहास व दर्शनीय स्थल बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जो दतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। दतिया का इतिहास – दतिया महल या दतिया का किला किसने बनवाया था दतिया जनपद मध्य प्रदेश का एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक जिला है इसकी सीमाए उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद से मिलती है। यहां कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील गढ़कुंडार का किला का इतिहास – गढ़कुंडार का किला किसने बनवाया गढ़कुण्डार का किला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में गढ़कुंडार नामक एक छोटे से गांव मे स्थित है। गढ़कुंडार का किला बीच बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुर झांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर मनियागढ़ का किला – मनियागढ़ का किला किसने बनवाया था तथा कहाँ है मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश के छतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ मंगलगढ़ का किला किसने बनवाया था – मंगलगढ़ का इतिहास हिन्दी में मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यह हमीरपुर जैतपुर का किला या बेलाताल का किला या बेलासागर झील हिस्ट्री इन हिन्दी, जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर सिरसागढ़ का किला – बहादुर मलखान सिंह का किला व इतिहास हिन्दी में सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल महोबा का किला महोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात मड़फा दुर्ग के रहस्य – जहां तानसेन और बीरबल ने निवास किया था मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा अजयगढ़ का किला किसने बनवाया था व उसका इतिहास अजयगढ़ की घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य अजयगढ़ का किला महोबा के दक्षिण पूर्व में कालिंजर के दक्षिण पश्चिम में और खुजराहों के उत्तर पूर्व में मध्यप्रदेश कालिंजर का किला – कालिंजर का युद्ध – कालिंजर का इतिहास इन हिन्दी कालिंजर का किला या कालिंजर दुर्ग कहा स्थित है?:--- यह दुर्ग बांदा जिला उत्तर प्रदेश मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बांदा-सतना ओरछा का किला – ओरछा दर्शनीय स्थल – ओरछा के टॉप 10 पर्यटन स्थल शक्तिशाली बुंदेला राजपूत राजाओं की राजधानी ओरछा शहर के हर हिस्से में लगभग इतिहास का जादू फैला हुआ है। ओरछा भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनबुंदेलखंड के किले