शेखचिल्ली का मकबरा – शेखचिल्ली के चटकुले बहुत सुने होगें

शेखचिल्ली यह नाम सुनते ही आपके दिमाग में एक हास्य कलाकार की तस्वीर और उसके गुदगुदाते चुटकुलो की कल्पना करके आपने चहरे पर हल्की सी मुस्कान तो जरूर आई होगी। आज तक आपने शेखचिल्ली के चटुकुले तो बहुत सुने होगें, क्या आप जानते है शेखचिल्ली का मकबरा भी है?

जी हां आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में शेख चिल्ली के मकबरे के बारे में बताने जा रहे है। यह मकबरा भारत के राज्य हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के थानेसर में स्थित है। और यह मकबरा इतना प्रसिद्ध है। कि इसे हरियाणा का ताजमहल भी कहा जाता है। और तो और पुरात्तव सर्वेषण विभाग द्वारा इसे संरक्षित धरोहर भी घोषित किया गया है।

कंफयूज मत होइए शेख चिल्ली के जिस मकबरे की बात हम कर रहे है। वो हास्य कलाकार का नही बल्कि एक अध्यात्मिक गुरू और सूफी संत हजरत शेखचिल्ली का है। जो सूफी सम्प्रदाय के ईरानी संत थे। जिनका नाम अब्दुल-उर-रहीम उर्फ अब्दुल-उर-करीम अब्दुल-उर-रज्जाक था। जिनको शेख चिल्ली के नाम से जाना जाता था।

शेखचिल्ली के मकबरे के सुंदर दृश्य
शेखचिल्ली के मकबरे के सुंदर दृश्य

इतिहासकारो की माने तो संत शेख चिल्ली मुगल राजकुमार दारा शिकोह के धर्म गुरू थे। जिनका मानना है कि दारा शिकोह ने 1650 ईसवी में इसे अपने गूरू की याद में बनवाया था। परंतु इसका निर्माण किसने कराया इसमे भी मतभेद है।

तजकारते औलिया के अनुसार हजरत शेख चिल्ली जो सूफी सम्प्रदाय के ईरानी संत थे। शाहजहां के शासनकाल में हजरत कुतुब जलालुद्दीन से मिलने के लिए यहा आए थे। कहा जाता है कि जब शाहजहां लाहौर से दिल्ली आ रहे थे। तब वह अपनी सेना सहित कुरूक्षेत्र में ठहरे थे।

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कुतुब जलालुद्दीन ने एक प्याला जल और आधी रोटी से मुगल सेना को तृप्त किया था। तब शाहजहा ने कुतुब जलालुद्दीन से प्रसन्न होकर यह मकबरा बनवाया था। तत्पश्चात जब शेख चिल्ली कुतुब जलालुद्दीन से मिलने यहा आएं थे। उन्होने इसी स्थान पर प्राणायाम द्वारा अपने प्राण त्याग दिए थे। शेख चिल्ली के इसी त्याग से प्रभावित होकर कुतुब जलालुद्दीन ने यह मकबरा शेखचिल्ली को समर्पित कर दिया था। तब से यह मकबरा“शेखचिल्ली”के मकबरे के नाम से प्रसिद्ध है।

शेखचिल्ली का मकबरा

यह मकबरा कुरूक्षेत्र के बाहरी इलाके में एक टिले पर बनाया गया है। जिसमे मुगल स्थापत्य कला की झलक बाखूबी देखी जा सकती है। जिसको बनाने में लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इमारत के गुम्बद और कलाकृति में संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। मकबरे के अंदर हजरत शेखचिल्ली और उनकी पत्नी की कब्रे है। इस मकबरे में एक छोटा सा खूबसूरत बगीचा (गार्डन) भी है। इस इमारत का स्थापत्य तामहल से मिलता जुलता है। इस इमारत को देखने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा निर्धारित शुल्क लगता है।

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2 responses to “शेखचिल्ली का मकबरा – शेखचिल्ली के चटकुले बहुत सुने होगें”

  1. Saikh chilli ka tomb ex achchi imarat had sabhi OK dekhni chahiye, aapke dwara di gye jankari bhi bhut achchi hai

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