मेघालय भारत का एक छोटा और खुबसूरत पर्वतीय राज्य है। इस खुबसूरत राज्य की खुबसूरत राजधानी शिलांग है। उत्तर पूर्वी भारत के हिल स्टेशनो में शिलांग का अपना अलग ही स्थान है। शिलांग के पर्यटन स्थल अपने प्राकृतिक वातावरण, सुंदर दृश्य, पर्वत श्रृंखलाएं, शीतल झरने हरी भरी घाटियां, मनोहारी मैदान व परम्परागत संस्कृति सैलानियो को बहुत लुभाती है। और लुभाये भी क्यो नही? क्यो कि शिलांग एक ऐसे सुंदर राज्य की राजधानी है जिसके नाम में सुंदरता वास करती है। जी हां दोस्तो! मेघालय- मेघो का आलय जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ” बादलो का घर ” । जितनी सुंदरता की झलक इस राज्य के नाम दिखाई देती है उससे कही ज्यादा सुंदरता इस राज्य में है।
शिलांग के सुंदर दृश्य
मेघालय का इतिहास
प्रिय पाठको शिलांग यात्रा पर जाने से पहले कुछ बाते मेघालय का इतिहास और के बारे में भी जान लेते है। मेघालय पहाड, वन तथा तृण भूमि का मिलाजुला रूप है। खासी, जयंतिया एंव गारो पहाडो को मिलाकर बने मेघालय की जलवायु स्वास्थ के लिए वरदान है। सन् 1765 के आसपास असम के इस क्षेत्र पर अंग्रेजो का अधिकार हुआ था। अपने शासन काल के दौरान अंग्रेजो को यह स्थान बहुत भाता था। इसलिए अंग्रेज इसे पूर्वी भारत का स्कॉटलैंड भी कहते थे। भारत की आजादी के बाद भी यह क्षेत्र असम राज्य के अधीन रहा। सन् 1954 में इस क्षेत्र के निवासियो ने एक पृथक राज्य की मांग उठाई जिसे राज्य पुनर्गठन आयोग ने अस्वीकृत कर दिया। इसके बाद यहा के लोगो ने अपनी मांग को शांतिपूर्ण तरीको से मनवाने के उद्देश्य से ” आल पार्टी हिल्स लीडर्स ” का गठन किया। सितंबर 1968 में भारत सरकार ने मेघालय को असम राज्य के अंदर रहते हुए स्वायतशासी राज्य का दर्जा दे दिया। इसके बाद 21 जनवरी 1972 को एक अलग राज्य के रूप में मेघालय राज्य की स्थापना हुई।यहा के लोग दोस्ताना स्वभाव के होते है। यहा के लोगो को फूल बहुत पसंद है तथा सदा नाच गानो में मग्न रहते है। यहा के लोग ज्यादातर मासांहारी होते है।
शिलांग के पर्यटन स्थल
मेघालय के इतिहास को जानने के बाद अब हम शिलांग के पर्यटन स्थल के साथ साथ मेघालय के अन्य पर्यटन स्थलो के बारे में भी विस्तार से जानेगें और उनकी सैर करेगें।
शिलांग के दर्शनीय स्थल
वाडर्स लेक
यह खुबसूरत पिकनिक स्थल शिलांग शहर के मध्य में स्थित है। यह झील शिलांग के पर्यटन स्थल में सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। इस झील में आप नौका विहार का आनंद भी ले सकते है। इसके निकट ही बोटेनिकल गार्डन है जो पेड पौधो में रूची रखने वालो के लिए आकर्षण का केंद्र है।
शिलांग के झरने
शिलांंग में अनेक झरने है जिनमें मारग्रेट फाल, बिशप फाल, स्प्रीड इगल फाल, स्वीट फाल, एलिफेंट फाल आदि इनमें प्रमुख है। इन झरनो की प्राकृतिक सुंदरता और झरनो के शीतल जल में स्नान करने का अपना अलग ही आनंद है।
शिलांग पीक
शिलांग से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस चोटी से पूरे शिलांग शहर के दिलकश नजारे का लुत्फ उठाया जा सकता है। यह एक व्यूप्वाइंट है
लेडी हैदरी पार्क
यहा अनेक प्रकार के फूलो के बागो के साथ साथ एक छोटा सा चिडियाघर भी है। बच्चो के मनोरंजन के लिए यहा तरह तरह किस्म के झूले लगे है। जिसके कारण यह पार्क बच्चो को खूब भाता है। इस पार्क के पास हि क्रिनोलिन झरना और एक तालाब सैलानियो को दूर से ही आकर्षित करता है।
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शिलांग संग्रहालय
इस वृहद संग्रहालय में आप मेघालय की कला, संस्कृति, राजघरानो से संबंधित आभूषण, वस्त्र व हथियारो के दर्शन कर सकते है। शिलांग के पर्यटन स्थल में इसका भी काफी योगदान है
मेघालय के अन्य पर्यटन स्थल
मेघालय में फूल और फलो से भरे दो नेशनल पार्क -नोकरेक व बलपाकरम तथा वनस्पतियो और प्राणियो से परिपूर्ण दो वाइल्ड लाइफ सेंचुअरी – नांगखिलम तथा सिजू पर्यटको की खासा पसंदीदा जगह है इसके आलावा रोमांच प्रेमियो के लिए यहा अनेक गुफाएं जेसै – सीजू की गुफाएं, मॉस्मई की गुफाएं, क्रेम मॉम्लुह गुफा जैसी बहुत सी गुफाएं भी है। इसके अलावा यहा अनेक छोटे बडे झरनो के साथ साथ यहा पर्यटक विश्व के सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान चेरापूंंजी की भी यात्रा कर सकते है जो एक रमणीक स्थल है।
शिलांग कैसे जाएं
शिलांग जाने मुख्य केंद्र गुवाहटी है हवाई और रेल मार्ग द्वारा आप गुवाहटी तक जा सकते है। गुवाहटी से शिलांग की दूरी 99 किलोमीटर है। यहा से आप सडक मार्ग द्वारा बस टैक्सी या कार द्वारा आसानी से जा सकते है।