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देवी सती का अत्मदाह

शक्तिपीठ मंदिर कौन कौन से है – 51शक्तिपीठो का महत्व और कथा

भरत एक हिन्दू धर्म प्रधान देश है। भारत में लाखो की संख्या में हिन्दू धर्म के तीर्थ व धार्मिक स्थल है। इनमे से अनेको तीर्थ व धार्मिक स्थलो का हिन्दू धर्म में अधिक महत्व माना गया है। उनमे से 51 शक्तिपीठ मंदिर भी शामिल है। जिनका हिन्दू धर्म मे बहुत महत्व माना जाता है। जो भारत के अलग अलग स्थानो पर है। अपनी इस पोस्ट में हम उन्ही शक्तिपीठो के बारे जानेगें कि –

  • शक्तिपीठ का हिन्दू धर्म में महत्व क्या है
  • शक्तिपीठ कितने है
  • 51 शक्तिपीठ कौन कौन से है
  • शक्तिपीठ कहा कहा स्थित है
  • 51शक्तिपीठो की मान्यता
  • शक्तिपीठ कैसे जाए
  • शक्तिपीठो की कथा
  • शक्तिपीठो में देवी के साथ कौन कौन से भैरव है
  • शक्तिपीठ मंदिर कौन कौन से है

शक्तिपीठ का महत्व

एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति ने एक बार बृहस्पति – सक नामक यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ में उन्होने सभी देवताओ को आमंत्रित किया। परंतु अपने दामाद भगवान शंकर को नही बुलाया। जब सती को यह पता चला कि उनके पिता यज्ञ का आयोजन कर रहे है तो वे भगवान शंकर के विरोध करने पर भी वहा चली गई। यज्ञ में सती ने जब देखा की सारे देवी देवता यज्ञ में भाग लेने आये है और उनके अपने पति को यज्ञ के लिए आमंत्रित नही किया गया यह देखकर सती को बहुत क्रोध आया। उन्होने इस संबंध में जब अपने पिता से बात की तो वे शंकरजी को बुरा भला कहने लगे। सती अपने पति का अपमान सहन न कर सकी तथा उन्होने योग विद्या द्वारा वही अपने प्राण त्याग दिए।

शक्तिपीठ मंदिर
देवी सती का अत्मदाह

जब शंकरजी को यह पता चला तो वे क्रोध से भर गए। उन्होने अपने गणो को यज्ञ भंग करने का आदेश दे दिया तथा स्वयं अपने ससुर दक्ष का गला काटकर यज्ञ के कुंड में डाल दिया। उसके बाद शंकर जी सती के शव को उठाए तांडव करते हुए तीनो लोको में घुमने लगे। इससे सारी सृष्टि में हाहाकार मच गया। शंकरजी के तांडव के चलते सृष्टि ध्वंस हो जाने की आशंका पैदा हो गई। तब भगवान विष्णु ने सृष्टि की रक्षा तथा शंकर जी के क्रोध को शांत करने के सती की देह को काट काटकर गिरा देने के लिए सुदर्शन चक्र भेजा।

श्री सुदर्शन चक्र ने सती के शरीर के 51 टुकडे किए। वे टुकडे जिस जिस स्थान पर गिरे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए। यह भी कहा जाता है कि जहा जहा शक्तिपीठ स्थापित हुए वही वही भगवान शंकर भी भैरव रूप में स्थापित हुए। देश की इन सभी शक्तिपीठो को महापीठ कहा जाता है। और इनकी यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है

शक्तिपीठ मंदिर कौन कौन से है और कहा कहा स्थित है

51शक्तिपीठो की सूची

तंत्र चूडामणि के अनुसार 53 शक्तिपीठो का विवरण मिलता है। परंतु इस विवरण में ” वामगंड” के गिरने के स्थानो का दो स्थानो पर उल्लेख है इसलिए इन स्थानो की संख्या 52 कही जाती है।.परंतु “शिव चरित्र” और दक्षियणी तंत्र आदि पुस्तको में 51 शक्तिपीठ गिनाए गए है

जिनकी सूची इस प्रकार है :-

  1. भैरवी देवी
  2. विमला देवी
  3. उमाशक्ति देवी
  4. महिषमर्दिनी देवी
  5. सुनंदा देवी (उग्रतारा
  6. अपर्णा देवी
  7. सुंदरी देवी
  8. विशालाक्षी देवी
  9. विश्व मातृका देवी
  10. गंडकी देवी
  11. नारायणी देवी
  12. बाराही देवी
  13. ज्वालामुखी देवी
  14. अवंती देवी
  15. फुल्लरा देवी
  16. भ्रामरी भद्रकाली
  17. महामाया देवी
  18. नंदनी देवी
  19. महालक्ष्मी देवी ( भ्रमरांबा)
  20. महाकाली देवी
  21. महादेवी (उमा)
  22. कुमारी देवी
  23. चंद्रभागा देवी
  24. त्रिपुरमालिनी देवी
  25. शिवानी देवी
  26. वक्रेश्वरी देवी ( महिषमर्दिनी)
  27. शर्वाणी देवी
  28. बहुला देवी
  29. भवानी देवी
  30. मंगल चंडी देवी
  31. गायत्री देवी
  32. दाक्षायणी देवी
  33. यशोरेश्वरी देवी
  34. ललिता देवी
  35. विमला देवी
  36. देवगर्भा देवी
  37. काली देवी
  38. नर्मदा देवी
  39. कामाख्या देवी
  40. गुह्येश्वरी देवी ( महामाया)
  41. जयंती देवी
  42. सर्वानंदकरी ( पटनेश्वरी ) देवी
  43. भ्रामरी देवी
  44. त्रिपुरसुंदरी देवी
  45. काली कपालिनी देवी
  46. सावित्री देवी
  47. इंद्राक्षी देवी
  48. भूतधात्री युगाधा देवी
  49. अंबिका देवी
  50. कालिका देवी
  51. जयदुर्गा देवी
शक्तिपीठो का महत्व और स्थान

1.भैरवी देवी

इस स्थान पर सती का ब्रह्यरंध गिरा था। यहा पर देवी भैरववी भीमलोचन भैरव के साथ प्रतिष्ठित है। यह स्थान बिलोचिस्तान के लासबेला स्थान में हिंगोस नदी के तट पर पश्चिमी पाकिस्तान में है। यहा गुफा के भीतर ज्योति के दर्शन होते है।

2.विमला देवी

इस स्थान पर सती का किरीट गिरा था। यहा पर देवी विमला रूप में किरीट भैरव के साथ गंगा तट पर स्थित है।इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए कोलकाता के हावडा स्टेशन से बरहबा लाइन पर खटारा घाट नामक स्टेशन तक अनेक रेलगाडिया उपलब्ध है। वहा से 8 किलोमीटर पर लालबाग कोर्ट नामक जगह तक कुछ गाडिया व बसे मिलती है। आगे तीन चार किलोमीटर पैदल या रिक्शे से जाना पडता है। गंगा तट पर वट नामक नगर में यह शक्तिपीठ है।यहा एक प्राचीन मंदिर है जहा अनेक तांत्रिक साधना करते है।

3.उमाशक्ति देवी

इस स्थान पर सती के केश गिरे थे। यहा देवी उमा नाम से भूतेश भैरव के साथ स्थित है। भूतेश्वर महादेव जी के मंदिर में यह शक्तिपीठ है। यह स्थान मथुरा – वृंदावन रोड पर वृंदावन से लगभग डेढ मील की दूरी पर स्थित है।

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4.महिषमर्दिनी देवी

इस स्थान पर सतु के तीनो नेत्र गिरे थे। यहा पर देवी जागृत । क्रोधीश भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर मध्यप्रदेश में कोल्हापुर रेलवे स्टेशन के पास एक मंदिर में स्थित है। इस मंदिर को महालक्ष्मी मंदिर या अंबाजी का मंदिर भी कहते है।

5.सुनंदा देवी ( उग्रतारा)

इस स्थान पर देवी सती की नाक गिरी थी। यहा पर देवी सुनंदा के नाम से त्रयम्बक भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान बंगला देश में शिकारपुर नामक गांव में सुनंदा नदी के तट पर स्थित है। यहा सुनंदा देवी के मंदिर में यह शक्तिपीठ मंदिर स्थित है।

6.अपर्णा देवी

इस स्थान पर देवी सती का बांया तलुआ गिरा था। यहा पर दे

शक्तिपीठ मंदिर
देवी सती की देह को लेकर भगवान शिव का तांडव

वी अपर्णा नाम से वामन भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान भी बंगलादेश के भवानीपुर गांंव में करतोया नदी के तट पर स्थित है। यहा पर अपर्णा देवी मंदिर में शक्तिपीठ स्थित है।

7.सुंदरी देवी

इस स्थान पर देवी सती का दांया तलुआ गिरा था। यहा पर देवी सुंदरी नाम से सुंदरानंद भैरव के साथ स्थित है। यह शक्ति पीठ लददाख में श्री पर्वत पर स्थित है। यहा सुरक्षा कारणो से किसी को जाने नही दिया जाता है।

8.विशालाक्षी देवी

इस स्थान पर देवी सती का कर्ण कुंडल गिरा था। यहा पर देवी विशालाक्षी के नाम से काल भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के पास विशालाक्षी मंदिर में स्थित है।

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9.विश्व मातृका देवी

इस स्थान पर देवी सती का वामगंड ( बायां गाल ) गिरा था। यहा पर देवी विश्वेसी, रुक्मणी या विश्व मातृका के नाम से दंडपाणि भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान आंध्रप्रदेश के गोदावरी स्टेशन के पास कुष्षूर नामक स्थान पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है।

10.गंडकी देवी

इस स्थान पर देवी सती का दायां गाल गिरा था यहा पर देवी गंडकी के नाम से चंद्रपाणि भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान नेपाल में कांठमांडू के पास गंडक नदी के उदगम स्थल पर मुक्तिनाथ मंदिर में स्थित है।

11.नारायणी देवी

इस स्थान पर देवी सती के ऊपर के दातो की पंक्ति गिरी थी। यहा पर देवी नारायणी के नाम से संहार भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर कन्याकुमारी के पास शुचीद्रम नामक स्थान पर शिव मंदिर में स्थित है।

12.बाराही देवी

इस स्थान पर देवी सती की देह से नीचे के दांतो की पंक्ति गिरी थी। यह दंत पंक्ति समुद्र के बीच में गिरी थी। इस शक्तिपीठ को पंप सागर कहते है। यहा पर देवी बाराही के रूप में महारूद्र भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ किस स्थान पर है इसका ठीक ठाक पता नही चलता।

13.ज्वालामुखी देवी

इस स्थान पर देवी सती की जिव्हा गिरी थी। यहा पर देवी ज्वालामुखी के नाम से उन्मत भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान पंजाब के ज्वालामुखी नामक स्थान पर स्थित है।

14.अवन्ती देवी

इस स्थान पर देवी सती का ऊपरी होंठ गिरा था। यहा पर देवी अवंती नाम से लंबकर्ण भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर भैरव पर्वत पर है। इस पीठ के दर्शन भैरव पर्वत पर स्थित देवी के मंदिर में होते है।

15.फुल्लरा देवी

इस स्थान पर देवी सती का नीचे का होंठ गिरा था। यहा पर देवी फुल्लरा के नाम से विश्वेश भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के लाभपुर स्टेशन के पास फुल्लरा देवी के मंदिर में स्थित है।

16.भ्रामरी भद्रकाली

इस स्थान पर देवी सती के चिबुक गिरे थे। यहा पर देवी भ्रामरी भद्रकाली के नाम से विकृताक्ष भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुडी जिले में सालबाढी गांव में स्थित है।

17.महामाया देवी

यहा पर देवी सती का कंठ गिरा था। यहा पर देवी महामाया के नाम से त्रिसंध्येश्वर भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान अमरनाथ यात्रा के स्थान पर है।

18.नंदनी देवी

इस स्थान पर सती का कंठहार गिरा था। यहा पर देवी नंदिनी के रूप में नंदिकेश्वर भैरव के साथ स्थित है।यह शक्तिपीठ एक वट वृक्ष के नीचे स्थित है। यहहा कोई मंदिर नही है। यह स्थान पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सैंथिया स्टेशन के पास नंदीपुर स्थान पर है।

19.महालक्ष्मी देवी ( भ्रमरांबा)

इस स्थान पर देवी सती की ग्रीवा ( गर्दन ) गिरी थी। यहा पर देवी महाकाली के रूप में योगेश भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान श्री शैल पर मल्लिकार्जुन पर्वत पर भ्रमरांबा मंदिर में स्थित है।

20.महाकाली देवी

इस स्थान पर देवी सती की आंत गिरी थी। यहा पर देवी महाकाली के नाम से योगेश भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ एक टीले पर है य टीला आंत जैसी शक्ल का है। यहा कोई मंदिर नहीं है। इस शक्तिपीठ मंदिर के दर्शन करने के लिए हावडा – क्यूल लाइन पर नलहाठी स्टेशन से तीन किलोमीटर दूर एक प्रसिद्ध टीले पर जाना होता है।

21.महादेवी (उमा)

इस स्थान पर देवी सती का बायां स्कंध गिरा था। यहा पर देवी उमा के नाम से महादेव भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान मथुरा में स्थित है। यहा पर अनेक देवी के मंदिर है शक्तिपीठ मंदिर किस मंदिर में स्थित है इसका ठीक ठाक पता नही चलता है।

22.कुमारी देवी

इस स्थान पर देवी सती का दायां स्कंध गिरा था। यहा पर देवी कुमारी के नाम से शिव भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान रत्नावली पर्वत पर मद्रास के पास है। एक मत के अनुसार कन्याकुमारी में ही कुमारी के रूप में स्थित है।

23.चंद्रभागा देवी

इस स्थान पर देवी सती का उदर गिरा था। यहा पर देवी चंद्रभागा नाम से वक्रतुंड भैरव के साथ स्थित है। गुजरात के जूनागढ शहर के पास गिरनार पर्वत अम्बाजी का मंदिर तथा महाकाली शिखर पर काली मंदिर है। इन दोनो में से एक शक्तिपीठ मंदिर है।

24.त्रिपुरमालिनी देवी

इस स्थान पर देवी सती का बायां स्तन गिरा था। यहा पर देवी भीषण भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर शहर में है। इस समय यहा पर कोई शक्तिपीठ नही बताया जाता। प्राचीन जालंधर को त्रिगत क्षेत्र कहा जाता था। इसे ही कांगडे की घाटी कहा जाता है। इस क्षेत्र में तीन देवी है। उनमे से कोई एक शक्तिपीठ मंदिर है। ये तीन देवी पीठ – चिंतापूर्णी, ज्वालामुखी, तथा नगरकोट की देवी।

25.शिवानी देवी

इस स्थान पर सती का दायां स्तन गिरा था। यहा पर देवी शिवानी नाम से चंड भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान रामगिरी पहाडी पर शारदा मंदिर है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के झासी के पास चित्रकूट में स्थित है। इसे चित्रकूट या मैहर का शारदा मंदिर भी कहते है।

वज्रेश्वरी देवी मंदिर दर्शन

26.वक्रेश्वरी देवी ( महिषमर्दिनी

इस स्थान पर देवी सती का मन श्मशान भूमि पर गिरा था। यहा पर देवी वक्रेश्वरी के नाम से या महिषमर्दिनी के नाम से वक्रनाथ भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान पश्चिम बंगाल के सैंथिया के पास दुबराजपुर नामक स्थान पर स्थित है।

27.शर्वाणी देवी

इस स्थान पर देवी सती की पीठ गिरी थी। यहा पर देवी शर्वाणी नाम से निमिष भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर कन्याकुमारी में कुमारी देवी के मंदिर में स्थित है।

28.बहुला देवी

इस स्थान पर देवी सती की बायीं बाह गिरी थी। यहा पर देवी बहुला या चंडिका नाम से भीरूक भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान महाक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान के दर्शन के लिए पश्चिम बंगाल में कटवा स्टेशन जिला वीरभूम में केतुब्रह्म नामक गांव में जाना पडता है।

29.भवानी देवी

इस स्थान पर देवी सती की दायीं बांह गिरी थी। यहा पर देवी माता भवानी नाम से चंद्रशेखर भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान बंगला देश के चटगांव से 40 किलोमीटर दूर सीता कुंड नामक स्थान पर चंद्रशेखर पर्वत पर स्थित है।

30.मंगलचंडी देवी

इस स्थान पर देवी सती की कोहनी गिरी थी । यहा पर देवी माता मंगल रूप में कपिलाम्बर भैरव के साथ स्थित है। इस शक्तिपीठ मंदिर जाने के लिए उज्जैन में रूद्रसागर के पास हरसिद्धि मंदिर में स्थित है। यहा इस मंदिर में कोई मूर्ती नही है यहा कोहनी की पूजा होती है।

31.गायत्री देवी

इस स्थान पर देवी सती की दोनों कलाइयां गिरी थी। यहा पर देवी माता गायत्री के नाम से सर्वानंद भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान राजस्थान के अजमेर में पुष्कर पर्वत पर स्थित है।

32.दाक्षायणी देवी

इस स्थान पर देवी सती की दायीं हथेली गिरी थी। यहा पर देवी माता दाक्षायणी के नाम से अमर भैरव के साथ स्थित है। इस स्थान को मानसपीठ भी कहते है। यह शक्तिपीठ कैलास मानसरोवर के पास स्थित है।

33.यशोरेश्वरी देवी

इस स्थान पर देवी सती की बायीं हथेली गिरी थी। यहा पर देवी माता यशोरेश्वरी के नाम से चंड भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर बंगलादेश के यशोहारी के ईश्वरपुरी गांव में स्थित है।

34.ललिता देवी

इस स्थान देवी सती की हस्तांगुलि गिरी थी। यहा पर देवी ललिता के नाम से भव भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान इलाहाबाद के अलोपी देवी मंदिर स्थित है।

35.विमला देवी

इस स्थान पर देवी सती की नाभि गिरी थी। यहा पर देवी मां विमला के नाम से जगन्नाथ भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान पंश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जगन्नाथपुरी धाम मे स्थित है।

36. देवगर्भा देवी

इस स्थान पर देवी सती का कंकाल गिरा था। यहा पर देवी मां काली के रूप में भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर कांची के काली मंदिर में स्थित है।

37.काली देवी

इस स्थान पर देवी सती का बांया नितंब गिरा था। यहा पर देवी काली के नाम से कालमाधव भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान कहा है इसका आजतक पता नही लग पाया है।

38.नर्मदा देवी

इस स्थान पर देवी सती का दांया नितंब गिरा था। यहा पर देवी नर्मदा के नाम से भद्रसेन भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान अमरकंटक में सोन नदी के उदगम के पास स्थित है

39.कामाख्या देवी

इस स्थान पर देवी सती की योनि गिरी थी। यहा पर देवी कामाख्या के नाम से उमानाथ भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान गुहाटी के कामगिरी पर्वत पर स्थित मंदिर में है। यहा पर कोई मूर्ति नही है।

40.गुह्येश्वरी देवी ( महामाया

इस स्थान पर देवी सती के दोनो घुटने गिरे थे। यहा पर देवी महामाया या गुह्येश्वरी के नाम से कपाल भैरव के साथ स्थित है। इस स्थान के दर्शन करने के लिए नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के पास बागमति नदी के तट पर गुह्येश्वरी देवी के मंदिर में स्थित है।

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41.जयंती देवी

इस स्थान पर देवी की की बांयी जांघ गिरी थी। यहा पर देवी जयंती के नाम से क्रमदीश्वर भैरव के साथ स्थित है। इस स्थान पर जाने के लिए गोहाटी से शिलांग जाए शिलांग से 50 किलोमीटर दूर जयंतिया पहाडी पर बाडरभाग ग्राम में जयंती देवी का मंदिर है।

42.सर्वानंदकरी ( पटनेश्वरी) देवी

इस स्थान पर देवी सती की दांयी जांघ गिरी थी। यहा पर देवी सर्वानंदकरी के नाम से व्योमकेश भैरव के साथ स्थित है। इस शक्तिपीठ मंदिर के दर्शन के लिए बिहार प्रांत की राजधानी पटना के पटनेश्वरी मंदिर में जाएं

43.भ्रामरी देवी

इस स्थान पर देवी सती का बायां पैर गिरा था। यहा पर देवी भ्रामरी के नाम से ईश्वर भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान जलपाईगुडी के शालबाडी गांव में तिस्ता नदी के किनारे स्थित हे।

44.त्रिपुरसुंदरी देवी

इस स्थान पर देवी सती का दायां पैर गिरा था। यहा पर देवी त्रिपुरसुंदरी के नाम से त्रिपुरेश भैरव के साथ स्थित है।यह स्थान त्रिपुरा राज्य के राधाकिशोर गांव में एक पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध त्रिपुरसुंदरी का मंदिर है।

45.काली कपालिनी देवी

इस स्थान पर देवी सती का बांया टखना गिरा था। यहा पर देवी कपालिनी के नाम से सर्वानंद भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में तमलुक नामक स्थान पर स्थित है।

46.सावित्रि देवी

इस स्थान पर देवी सती का दांया टखना गिरा था। यहा पर देवी सावित्रि के नाम से स्थाणु भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान हरियाणा के कुरूक्षत्र में दैपायन सरोवर के पास स्थित है।

47.इंद्राक्षी देवी

इस स्थान पर देवी सती का नूपुर गिरा था। यहा पर देवी इंद्राक्षी के नाम से राक्षसेश्वर भैरव के साथ स्थित है। यह शक्तिपीठ मंदिर श्रीलंका में जाफना के नल्लूर नामक स्थान पर है।

48.भूतधात्री युगाधा देवी

इस स्थान पर देवी सती के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था। यहा पर देवी युगाधा के नाम से क्षीरकंटक भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में क्षीरग्राम नामक स्थान पर है।

49.अंबिका देवी

इस स्थान पर देवी सती की बांए पैर की उंगली गिरी थी। या पर देवी अंबिका के नास से अमृत भैरवव के साथ स्थित है। यह स्थान जयपुर से 70 किलोमीटर दूर वैराट नामक गांव में स्थित है।

50.कालिका देवी

इस स्थान पर देवी सती की दांए पैर की चार उंगलिया गिरी थी। यहा पर देवी कालिका कै नाम से नकुलीश भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान कलकत्ता के कालीघाट नामक प्राचीन मंदिर में है।

51.जयदुर्गा देवी

इस स्थान पर देवी सती के दोनो कान गिरे थे। यहा पर देवी जयदुर्गा के नाम से अभी भैरव के साथ स्थित है। यह स्थान कर्नाटक में बताया जाता है परंतु निश्चित स्थान का कुछ पता नही है।

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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