विश्नोई सम्प्रदाय के संस्थापक, नियम, मंदिर व इतिहास Naeem Ahmad, November 15, 2023 विश्नोई सम्प्रदाय राजस्थान का एक प्रसिद्ध संत-सम्प्रदाय है। जिसकी स्थापना जाम्भो जी ने सं० 1542 में की थी। जाम्भो जी का जन्म स० 1508 में भादों वदि 8 को जोधपुर राज्य में नागोर इलाके के पंवासर गाँव में हुआ था। इनका नाम जमनाथ था किन्तु अपने चमत्कारों अर्थात् अचंभों के कारण जाम्भो जी (जम्भेश्वर) कहलाये। विश्नोई पंथ के नाम पर से इसका विष्णु के साथ सम्बन्ध होने का भ्रम हो सकता है किन्तु यहाँ विश्नोई शब्द का प्रयोग बीस और नौ के अर्थ में हुआ है। वास्तव में इसका विष्णु अथवा वैष्णव धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है। जाम्भोजी प्रारम्भ में गूंगे थे और देवी की कृपा से इन्हें वाचा प्राप्त हुई थी। ये गुरु गोरखनाथ को ही अपना गुरु मानते थे। किसी अन्य गुरु से शिक्षा लेने का कही उल्लेख प्राप्त नही होता। Contents1 विश्नोई सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे1.1 विश्नोई सम्प्रदाय के धर्म नियम इस प्रकार हैं: —2 हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:— विश्नोई सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे विश्नोई सम्प्रदाय की साधना में संत-मत की साधना का ही रूप मिलता है। परमात्मा को निरंजन निराकर ब्रह्म के रूप में माना जाता है। ईश्वर के साथ तादात्म्य स्थापित करने के लिये अजपा जाप तथा नाम सुमिरन सर्वश्रेष्ठ साधना माना गया है। गुरु की कृपा से तथा स्वानुभाव से नाम का मन्त्र प्राप्त होता है। साधक उस परम ज्योति का ध्यान धर के परम सत्य को देख सकता है। परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है, उसकी शरण मे सर्वस्व अर्पण करके ही साधक मुक्ति का वरण कर सकता है। विश्नोई सम्प्रदाय की साधना में संत-मत की साधना का ही रूप मिलता है । विश्नोई सम्प्रदाय श्री परशुराम चतुर्वेदी ने जाम्भो जी पर कबीर के सिद्धान्तों का प्रभाव बतलाया है परन्तु डॉ० हीरालाल माहेश्वरी ने उनके हस्त विचार का खंडन करते हुए लिखा है कि जांभोजी के सिद्धान्त हिन्दू-समाज में प्रचलित उपासना के नियमों पर आधारित है। चाहे जो भी हो, इतना अवश्य है कि ब्रह्म के स्वरूप तथा उसकी उपासना से सम्बन्धित विचारों में कबीर तथा जाम्भोजी में बहुत कुछ समानता है। डॉ०महेश्वरी के मतानुस्तार विश्नोई सम्प्रदाय में जहा तक तत्वज्ञान योग-साधना तथा साधना प्रणाली का प्रश्न हैं। जांभोजी ने नाथ पंथ से प्रेरणा ग्रहण की है क्योंकि उनकी पारिभाषषिक शब्दावली भी वैसी ही है। इसी प्रकार सम्प्रदाय के आचार, व्यवहार पूजा उपासना आदि के नियम हिन्दू धर्म के प्रचलित नियमों में से जो उन्हें अच्छे लगे वे ही लिये हैं। जाम्भोजी ने आचार, व्यवहार सम्बन्धी 29 धर्म नियम बनाये हैं। जिनका पालन करना सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिये नितांत आवश्यक होता है। अन्य संतों की भांति जाम्भोजी ने भी हिन्दू और मुसलमानों के भेदभाव को मिटाकर दोनों में एकता स्थापित करने के लिए प्रयास किये हैं। विश्नोई सम्प्रदाय के धर्म नियम इस प्रकार हैं: — प्रातःकाल स्नान करना। शील, शौच तथा सन्तोष का पालन करना। दोनों काल सन्ध्या करना। सायंकाल आरती तथा ईश्वर का गुणगान करना। हवन करना। जल तथा दूध वस्त्र से छानकर पीना। सत्य बोलना। निन्दा अपमान सहते हुए भी धर्म का पालन करना। ईंधन छाना बिन कर लेना। जीवों पर दया करना। चोरी न करना। निन्दा न करना। मिथ्या भाषण न करना और बिना कारण विवाद न करना। अमावस का उपवास करना। विष्णु की सेवा करना। परमात्मा की प्राप्ति तथा अनर्थ के निवारणाण सुपात्र को दान देना। हरे वृक्ष को न काटना । काम, क्रोध मोह, लोभ आदि का दमन करना। असंस्कृत के हाथों अन्न॒ जल ग्रहण न करना। परोपकारी पशुओं की रक्षा करना। बैल को नपुंसक न करना। अफीम न खाना। तम्बाकू न पीना। भांग न पीना। मद्य पान न करना। मांस न खाना। गीला वस्त्र धारण न करना। एक मास तक जनन-सूतक मानना। रजस्वला होने पर पांच दिनों तक स्त्री का ग्रहकार्य से अलग रहना। इसके अतिरिक्त उन्होंने हिन्दू और मुसलमानों में एकता लाने की दृष्टि से तीन नियम बनाये :- मरने पर शव को गाढ़़ना। सिर भूंगना । दाढ़ी रखना। जाम्भोजी की वाणी कुछ संग्रहों में बिखरी पाई गई है और मौखिक रूप से प्रचलित है। जांभोजी ने अपने विश्नोई पंथ का प्रचार राजस्थान के बाहर भी किया था। उत्तर प्रदेश के बरेली, मुरादबाद, बिजनौर आदि नगरों में तथा पंजाब में उनके अनुयायी हैं। गुजरात में इनके मत का प्रचार संभवत: नहीं हुआ। इस मत के मानने वाले अधिकांशतः: राजस्थान में ही हैं। विषय की दृष्टि से इनकी वाणी में योगाभ्यास, भक्ति, जीव और ब्रह्म के सम्बन्ध तथा हिन्दू मुसलमानों के आडंबर पूर्ण आचार धर्म पर प्रहार इत्यादि की प्रमुख रूप से चर्चा की गई है। भाषा इनकी रचनाओं में राजस्थानी है उदाहरणार्थ निम्नलिखित पंक्तियां देखी जा सकती हैं: — सुण रे काजी सुण रे मुल्ला, सुण रे बकर कसाई। किण री थरपी छाली रोसी, किण री गडर गाई।। घवणा धूजे पाहण पूजे, वे फरमाई खुदाई। गुरु चेले के पाए लागे, देखो लोग अन्याई॥ जांभोजी के प्रमुख शिष्यों में से हावली-पावली, लोहा पागल, दत्तनाथ एवं मालदेव इनके जीवनकाल में ही हुए थे। अन्य शिष्यों में सुरजनदासजी तथा बील्हाजी भी हैं। श्री सुरजनदास जी ने जाम्भोजी जीवन चरित लिखा है। जाम्भोजी का देहोत्संर्ग बोकानेर के लालासर नामक गाँव के जंगल में संवत् 1593 की माघशीर्ष कृष्णा नवमी को हुआ। हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:— तानसेन का जीवन परिचय, गुरु, पिता, पुत्र, दूसरा नाम और शिक्षा संगीत सम्राट तानसेन का नाम सवत्र प्रसिद्ध है। आज से लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व भारतीय संगीत के क्षितिज पर यह Read more कवि भीम का जीवन परिचय और इतिहास आज के अपने इस लेख में हम उस प्रसिद्ध भक्त एंव कवि के जीवन चरित्र के बारे में जानेंगे जिसने गुजराती Read more कवि भालण का जन्म कब हुआ और समय काल मध्यकाल के प्रसिद्ध एवं समर्थ आख्यानकार गुजरात के कवि भालण के जन्म काल के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है। Read more निम्बार्क सम्प्रदाय के संस्थापक, प्रधान पीठ, गुरु परंपरा व इतिहास रामानुज संप्रदाय के पश्चात् निम्बार्क सम्प्रदाय का प्रचार गुजरात एवं राजस्थान में मध्यकाल में हुआ है। गुजरात में प्राचीन ग्रन्थ भंडारों Read more रामानुज संप्रदाय की पीठ, परिचय, प्रवर्तक, नियम व इतिहास रामानुज संप्रदाय के प्रवर्तक श्री रामानुजाचार्य थे। इनका समय ईसवी सन् 1017 से 1137 माना गया है। इनका सिद्धांत विशिष्टद्वैत Read more रामानंदी संप्रदाय के संस्थापक, पीठ, नियम व इतिहास रामानंदी संप्रदाय को वैरागी संप्रदाय भी कहते हैं। रामानंदी संप्रदाय के प्रवर्तक मध्यकाल के प्रसिद्ध गुरु रामानन्द जी थे। प्रारम्भ Read more वल्लभ सम्प्रदाय अथवा पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक, नियम, पीठ, व इतिहास वल्लभ सम्प्रदाय :-- मध्यकाल में गुजरात तथा राजस्थान में वैष्णव भक्ति का प्रचार कितने व्यापक रूप में हुआ था। इस Read more कबीर पंथ के मूलमंत्र, शिक्षा, नियम, व परिचय मध्यकाल में गुजरात एवं राजस्थान के भक्त-जन-समुदाय को संत कबीर दास की विचारधारा ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। यहां प्रवर्तित सन्त Read more नाथ पंथ, सम्प्रदाय की विशेषता, परिचय और इतिहास हमारे आलोच्यकाल में राजस्थान के सिद्ध जसनाथ जी को छोड़कर अन्य किसी संत कवि पर नाथ पंथ का प्रत्यक्ष प्रभाव परिक्षित Read more लालदासी सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ, प्रवर्तक, शिक्षा और इतिहास लालदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक संत लालदास थे। ये अलवर राज्य के निवासी थे। इनकी जाति मेवा थी और पहले ये Read more दरिया पंथ के प्रवर्तक, संस्थापक, पीठ, शिक्षा और इतिहास दरिया पंथ के प्रवर्तक मारवाड़ के संत दरिया साहब थे। इनका जन्म संवत् 1733 में जेतारण में हुआ था। दरिया Read more निरंजनी सम्प्रदाय के संस्थापक, प्रवर्तक, प्रमुख पीठ तथा इतिहास निरंजनी सम्प्रदाय के प्रवर्तक का नाम हरिदास जी था। इनके जीवन वृत्त के सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। Read more प्रणामी सम्प्रदाय के प्रवर्तक, स्थापना, मंदिर और इतिहास जिस प्रकार दादू पंथ राजस्थान का प्रमुख सम्प्रदाय रहा है उसी प्रकार गुजरात में संत सम्प्रदाय के रूप में प्रमुख स्थान Read more दादू पंथ क्या है, शाखाएं, प्रमुख पीठ और स्थापना कब हुई दादू पंथ के प्रवर्तक संत दादूदयाल थे, राजस्थान एवं गुजरात दोनों से इनका निकट सम्बन्ध रहा है, इस सम्प्रदाय का नाम Read more संत तुकाराम का जीवन परिचय और जन्म एक दिन एक किसान अपने खेत से गन्ने कमर पर लाद कर चला। मार्ग में बालकों की भीड़ उसके साथ Read more संत तुलसीदास का जीवन परिचय, वाणी और कहानी भारतीय संस्कृति के प्राण और विश्व साहित्य के कल्पतरू संत तुलसीदास इस लोक के सुख और परलोक के दीपक हैं। Read more भक्त नरसी मेहता की कथा - नरसी मेहता की कहानी पुण्यभूमि आर्यवर्त के सौराष्ट-प्रान्त (गुजरात) में जीर्ण दुर्ग नामक एक अत्यन्त प्राचीन ऐतिहासिक नगर है, जिसे आजकज जूनागढ़ कहते है। भक्त Read more संत हरिदास का जीवन परिचय - निरंजनी संत हरिदास एक भारतीय संत और कवि थे, और इन्हें निरंजनी संप्रदाय के संस्थापक के रूप में जाना जाता है,इनका काल Read more संत सूरदास का जीवन परिचय हिंदी में संत सूरदास जी एक परम कृष्ण भक्त, कवि और साध शिरोमणि 16 वें शतक में हुए जो 31 बरस तक गुसाईं Read more संत सदना जी का परिचय संत सदना जी का समय पंद्रहवीं शताब्दी के आखरी भाग रहा है। संत सदना जी जाति के कसाई थे। यह Read more दयाबाई का जीवन परिचय और रचनाएं महिला संत दयाबाई जी महात्मा संत चरणदास जी की शिष्य और संत सहजोबाई जी की गुर-बहिन थी। संत चरण दास Read more सहजोबाई का जीवन परिचय और रचनाएं महिला संत सहजोबाई जी राजपूताना के एक प्रतिष्ठित ढूसर कुल की स्त्री थी जो परम भक्त हुई और संत मत के Read more मीराबाई का जीवन परिचय और कहानी मीराबाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत और कावित्रि हैं, जिनका सबकुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। मीरा का कृष्ण प्रेम Read more बाबा धरनीदास का जीवन परिचय हिंदी में बाबा धरनीदास जी जाति के श्रीवास्तव कायस्थ एक बड़े महात्मा थे। इनका जन्म जिला छपरा बिहार राज्य के मांझी नामक गांव Read more संत बुल्ला साहब का जीवन परिचय हिंदी में संत बुल्ला साहब, संत यारी साहब के गुरुमुख चेले और संत जगजीवन साहब व संत गुलाल साहब के गुरू थे। Read more संत यारी साहब का जीवन परिचय हिंदी में संत यारी साहब के जीवन का परिचय बहुत खोज करने पर भी कुछ अधिक नहीं मिलता है, सिवाय इसके कि Read more बाबा मलूकदास का जीवन परिचय, जन्म,गुरू चमत्कार बाबा मलूकदास जी जिला इलाहाबाद के कड़ा नामक गांव में बैसाख वदी 5 सम्वत् 1631 विक्रमी में लाला सुंदरदास खत्री Read more संत गुलाल साहब का जीवन परिचय हिंदी में संत गुलाल साहब जाति के छत्री थे, और संत बुल्ला साहब के गुरूमुख शिष्य, तथा संत जगजीवन साहब के गुरु Read more संत भीखा दास का जीवन परिचय हिंदी में संत भीखा दास जिनका घरेलू नाम भीखानंद था जाति के ब्राह्मण चौबे थे। जिला आजमगढ़ के खानपुर बोहना नाम के Read more संत दरिया साहब मारवाड़ वाले का जीवन परिचय संत दरिया साहब मारवाड़ वाले का जन्म मारवाड़ के जैतारण नामक गांव में भादों वदी अष्टमी संवत् 1733 विक्रमी के Read more संत दरिया साहब बिहार वाले का जीवन परिचय परम भक्त सतगुरु संत दरिया साहब जिनकी महिमा जगत प्रसिद्ध है पीरनशाह के बेटे थे। पीरनशाह बड़े प्रतिष्ठित उज्जैन के क्षत्री Read more संत रैदास जी का जीवन परिचय, जन्म, मृत्यु, गुरू आदि जानकारी संत रैदास जी जाति के चमार एक भारी भक्त थे जिनका नाम हिन्दुस्तान ही नहीं वरन् ओर देशों में भी Read more संत गरीबदास का जीवन परिचय, गुरु, चमत्कार महात्मा संत गरीबदास जी का जन्म मौजा छुड़ानी, तहसील झज्जर, ज़िला रोहतक हरियाणा में वैसाख सुदी पूनो संवत् 1774 वि० Read more संत चरणदास जी का जीवन परिचय, समाधि, चमत्कार महात्मा संत चरणदास जी का जन्म राजपूताना के मेवात प्रदेश के डेहरा नामी गांव में एक प्रसिद्ध ढूसर कुल में Read more संत दूलनदास का जीवन परिचय हिंदी में महात्मा संत दूलनदास जी के जीवन का प्रमाणिक वृत्तान्त भी कितने ही प्रसिद्ध संतो और भक्तों की भांति नहीं मिलता। Read more संत सुंदरदास का जीवन परिचय, रचनाएं, वाणी संत सुंदरदास जी के जन्म से संबंधित एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार पिछले समय में प्रचलन था कि साधू Read more संत दादू दयाल की जीवनी और परिचय संत दादू दयाल जी का जन्म फागुन सुदी अष्टमी बृहस्पतिवार विक्रमी सम्वत 1601 को मुताबिक ईसवी सन् 1544 के हुआ Read more संत धर्मदास का जीवन परिचय और रचनाएं संत धर्मदास जी महान संत कबीरदास जी के शिष्य थे। वह महान कवि भी थे। वह एक धनी साहुकार थे। Read more कबीर दास का जीवन परिचय - संत कबीरदास की जीवनी संसार का कुछ ऐसा नियम सदा से चला आया है कि किसी महापुरुष के जीवन समय में बहुत कम लोग Read more कुम्भज ऋषि कौन थे - कुम्भज ऋषि आश्रम जालौन उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन की कालपी तहसील के अन्तर्गत उरई से उत्तर - पूर्व की ओर 32 किलोमीटर की दूरी Read more श्री हंस जी महाराज की जीवनी - श्री हंस जी महाराज के गुरु कौन थे श्री हंस जी महाराज का जन्म 8 नवंबर, 1900 को पौढ़ी गढ़वाल जिले के तलाई परगने के गाढ़-की-सीढ़ियां गांव में Read more संत बूटा सिंह जी और निरंकारी मिशन, गुरु और शिक्षा हिन्दू धर्म में परमात्मा के विषय में दो धारणाएं प्रचलित रही हैं- पहली तो यह कि परमात्मा निर्गुण निराकार ब्रह्म Read more स्वामी प्रभुपाद - श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी हम सब लोगों ने यह अनुभव प्राप्त किया है कि श्री चैतन्य महाप्रभु की शिष्य परंपरा में आध्यात्मिक गुरु किस Read more महर्षि महेश योगी का जीवन परिचय और भावातीत ध्यान मैं एक ऐसी पद्धति लेकर हिमालय से उतरा, जो मनुष्य के मन और हृदय को उन, ऊंचाइयों तक ले जा Read more ओशो (रजनीश) आध्यात्मिक पुनर्निर्माण का मसीहा मैं देख रहा हूं कि मनुष्य पूर्णतया दिशा-भ्रष्ट हो गया है, वह एक ऐसी नौका की तरह है, जो मझदार Read more स्वामी मुक्तानंद जी महाराज - स्वामी मुक्तानंद सिद्ध योग गुरु ईश्वर की प्राप्ति गुरु के बिना असंभव है। ज्ञान के प्रकाश से आलोकित गुरु परब्रह्म का अवतार होता है। ऐसे Read more श्री महाप्रभु जी - श्री दीपनारायण महाप्रभु जी और योग वेदांत समाज भारत में राजस्थान की मिट्टी ने केवल वीर योद्धा और महान सम्राट ही उत्पन्न नहीं किये, उसने साधुओं, संतों, सिद्धों और गुरुओं Read more मेहेर बाबा इन हिन्दी - मेहेर बाबा का जीवन परिचय कहानी में सनातन पुरुष हूं। मैं जब यह कहता हूं कि मैं भगवान हूं, तब इसका यह अर्थ नहीं है कि Read more साईं बाबा का जीवन परिचय - साईं बाबा का जन्म कहां हुआ था श्री साईं बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी में भारत के अग्रणी गरुओं रहस्यवादी संतों और देव-परुषों में की जाती है। Read more संत ज्ञानेश्वर का जीवन परिचय - संत ज्ञानेश्वर महाराज की बायोग्राफी इन हिन्दी दुष्टों की कुटिलता जाकर उनकी सत्कर्मों में प्रीति उत्पन्न हो और समस्त जीवों में परस्पर मित्र भाव वृद्धिंगत हो। अखिल Read more 1 2 Next » भारत के प्रमुख संत हिन्दू धर्म के प्रमुख संत