विजयलक्ष्मी पंडित निबंध – स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित की जीवनी Naeem Ahmad, August 2, 2020 “आज तक हमारा काम परदेशी नीवं के भवन को गिराना रहा है, परंतु अब हमें अपना भवन बनाना है, जिसकी ईटें हम और आप है। हम जितने सशक्त होगें उतना ही दृढ़ यह हमारा भवन होगा, पर यदि हम दुर्बल रहे तो वह हवा के झोंके से गिर जायेगा। हमें बड़े राष्ट्रो का सामना करना है। समय बढ़ रहा है और हम पिछड़ रहे है। हमें अपनी शक्ति तथा दुर्बलता की जांच करनी चाहिए कि हम किस प्रकार आगें बढ़े। हमारी स्वतंत्रता उस स्वतंत्रता का अंग है जिसके लिए दुनिया के सब व्यक्ति तड़प रहे है। हम अपने द्वारा विश्व को लाभ पहुंचा सकते है। हमारी क्रांति विश्व में फैली है, दुनिया कि आंखें हम पर लगी है” ये शब्द है एशिया की सर्वप्रथम महिला राजदूत तथा भारत की प्रथम महिला राजदूत श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित के जो अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में पुरुषों से भी आगे बढ़ गई। किसे आशा थी कि सदियों से कठिन जातपात की सीमित प्राचीन प्राचीरों में घिरी रहने वाली, पर्दे की कठिन कारा में श्वास लेने वाली भारतीय नारियां भी पुरूषों के साथ कार्य कर सकेगी, उनके कंधे से कंधा मिलाकर विश्व की समस्याओं का समाधान कर सकेगी। किंतु राष्ट्रीय जागृति ने इसे संभव कर दिया है। भारत के राष्ट्रीय क्षितिज पर नवजागृत स्वतंत्रता संग्राम की अरूणिमा बिखरी हुई है। राष्ट्र के अन्तर में स्पन्दित होने वाली नई चेतना ने सोती नारियों को जगा दिया है। वे न केवल राष्ट्रीय क्रियाकलाप में पुरुषों का हाथ बटा रही है, प्रत्युत अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भी पुरुषों का सहयोग दे रही है। भारतीय स्त्रियों की राष्ट्रीय चेतना का सबसे बड़ा प्रमाण है श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित जो अपने सहोदर भ्राता पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ स्वतंत्रता संग्राम में भी अत्यंत धैर्य एवं उत्साह से अपनी शक्ति की पूंजी करती रही। आज के अपने इस लेख में हम विजयलक्ष्मी पंडित की जीवनी के बारें में विस्तार से जानेगें। हमारा यह लेख छात्रों के लिए विजयलक्ष्मी पंडित निबंध लिखने के लिए भी सहायक है। स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित का जीवन परिचय श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त सन् 1900 में इलाहाबाद के प्रसिद्ध शाही महल आनंद भवन में हुआ था। इनका बचपन जिस वैभव में बीता उसके लिए बड़ी बड़ी राजकुमारियों को भी तरसना पड़ता है। विजयलक्ष्मी पंडित के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू और माता श्री स्वरूप रानी के संरक्षण में इनका लालन पालन एवं शिक्षण कार्य हुआ। मिस हूयर नाम की अंग्रेज महिला इन्हें पढ़ाने के लिए नियुक्त की गई। पंडित मोतीलाल नेहरू अपनी लाडली बेटी के स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखते थे। अतः घुडसवारी इन्हें अपना नित्य कर्म बना लेना पड़ा। घर की बदलती हुई परिस्थितियों के साथ साथ इनके सुकोमल माथे पर कांग्रेस की छाप पड़ रही थी। देश की राजनीति में अनेक घटनाएं हुई और उनकी ओर इनका झुकाव बढ़ता गया। यद्यपि बम्बई आदि के कांग्रेस अधिवेशन में अपने पिता पंडित मोतीलाल नेहरू के साथ ये भाग ले चुकी थी, तथापि अभी तक कांग्रेस में सक्रिय भाग इन्होंने नहीं लिया था। इस अवकाश में इनमें संयम, नियमन और सहिष्णुता का उचित मात्रा में विकास हुआ, भावी जीवन संग्राम की तैयारी का अच्छा सुअवसर मिला। सन 1920 के लगभग श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित का विवाह सुप्रसिद्ध न्याय शास्त्री श्री रणजीत सीताराम पंडित से हुआ। विवाह होने के पश्चात दोनों पति पत्नी अन्य युवक युवतियों की भांति विवाह की रासलीला में ही केवल निमग्न नहीं हुए, वरन् दोनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया। श्रीमती पंडित एक वीर राष्ट्र सेनानी की भागिनी थी। उन्होंने अपने पिता एवं भाई को जेल जाते देखा था। अतः तपोमय जीवन यज्ञ में स्वार्थों की आहूति देकर देश के सुख दुख में हाथ बटाना ही इनका कर्तव्य हो गया। सन् 1930 के असहयोग आंदोलन में वे अपनी छोटी बहन श्रीमती कृष्णा हठी सिंह के साथ जेल गई और वहां एक वर्ष बिताया। सन् 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह मे भी ये जेल गई और चार महिने नैनी जेल रही। जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का जोरदार आंदोलन आरंभ हुआ तो इन्हें भी बंदी बना लिया गया और ये नौ महिने तक जेल में रही, किन्तु स्वास्थ्य खराब होने के कारण इन्हें बीच में ही रिहा कर दिया गया। जेल से छुटते ही इन्होंने अकाल पीडितों की सेवा का कार्यभार लिया। श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित के पति श्री रणजीत सीताराम पंडित में अस्वस्थ होने के कारण असमय ही मृत्यु लोक को सधार गये। वैधव्य के क्रूर प्रहार ने भी इन्हें विचलित नहीं किया, सभी यातनाओं, तूफानों, कांटों और झंझावातों में ये अडिग रही, शीघ्र ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने का सुअवसर भी इन्हें मिला। सन् 1944 के नवंबर मास में होनेवाली सेनफ्रांसिस्को कांफ्रेंस के अवसर पर अनेक अंग्रेज कूटनीतिज्ञों के कारण अमेरिकनों के दिलों में भारतीयों के प्रति दुर्भावना उत्पन्न हो गई थी। अंग्रेजों की राजनीतिक चाल ने भारत को विश्व की नजरों में गिरा दिया था। उस अंधकार पूर्ण समय में विधुत रेखा सी अपनी बुद्धि प्रखरता से विदेशियों को चकाचौंध करती हुई ये अमेरिका पहुंची और अपने चमत्कार पूर्ण भाषणों द्वारा सभी को चकित कर दिया। इन्होंने कांफ्रेंस के मिथ्या भ्रम का निराकरण किया और एक स्मृति पत्र भेंट किया, जिसमें इन्होंने लिखा था कि मेरी आवाज मेरे देश की आवाज़ है।जिस आवाज पर आज अंग्रेजों ने फौलादी आज्ञाएं लगा दी है। मै न केवल अपने देश की आवाज़ में बोल रही हूं बल्कि अपने पड़ौसी फौजी शासन से पददतीत बर्मा, हिन्द चीन और एशिया के पिछड़े हुए राष्ट्रो की ओर से भी बोल रही हूं। इन महत्वपूर्ण शब्दों ने सारे विश्व को हिला दिया। उस समय अनेक बड़ें बड़ें राजनीतिज्ञों से मिलने का सुअवसर इन्हें प्राप्त हुआ, और ये अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अत्यंत प्रख्यात हो गई। श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित किन्तु अभी इनके जीवन को तो और भी यशस्वी होना था सन् 1946 में जब भारत ने न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ में दक्षिण अफ्रीका में गोरा द्वारा वहां के भारतीयों पर किए जाने वाले अत्याचारों के विरुद्ध प्रश्न उठाया तो ये भारतीय शिष्ट मंडल की नेत्री बन कर गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ में केवल श्रीमती पंडित ही स्त्री प्रतिनिधि थी, इनकी विलक्षण प्रतिभा और प्रख्यात राजनीति ने न केवल भारत को ही वरन् समस्त यूरोप को चकित कर दिया। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यूनियन सरकार द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों का भांडाफोड़ किया और दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन प्रधानमंत्री जनरल स्मट्स ने अपनी सरकार की नीति, दक्षिण अफ्रीका में क्रिश्चियन सभ्यता की रक्षा करने की बताई तो इन्होंने प्रश्न किया कि यदि आज स्वयं क्राइस्ट जीवित होते तो क्या उन्हें 1913 के देशांतर वास कानून (Immigration Act) के अंतर्गत देशांरवासी करार करके राज्य में घुसने दिया जाता? जनरल स्मट्स बहुत देर तक एशिया निवासियों की त्रुटियों पर बोलते रहे और उन्होंने सबसे बड़ा अपराध उसमें बहुपत्नी प्रथा होने का बताया। किन्तु श्रीमती पंडित ने तुरंत ही सिंह गर्जना की, मुझे यह विदित नहीं था कि ऐसी प्रथा के अंतर्गत एवं क्रियात्मक रूप से केवल एशिया वासियों तक मित है। इस तीक्ष्ण व्यंग और कटु प्रहार ने सारी सभा का सिर निचा कर दिया। दूसरे दिन अमेरिका के एक पत्र ने श्रीमती पंडित के चित्र को मुख पृष्ठ पर छापते हुए इनकी प्रशंसा में लिखा था कि 1946 की इस विलक्षण नारी ने सारे विश्व विश्व में क्रांति मचा दी है। और दक्षिण अफ्रीका में गोरों द्वारा भारतीय पर किए गये, अत्याचारों के विरुद्ध किया हुआ इनका आंदोलन सफल हुआ है। ये मंत्रीपद को भी दो बार सुशोभित कर चुकी है। ये जिस दक्षता एवं सुचारुता से कार्यभार संभालती थी, उसे देखकर आश्चर्य होता था। 15 अगस्त सन् 1947 में राष्ट्रीय सरकार बनते ही श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित भारत की प्रथम महिला राजदूत रूस में नियुक्त की गई। ये ही सर्वप्रथम भारतीय महिला थी जिसे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इन्होंने18 महिने तक जिस चतुरता, बुद्धिमानी और कार्य कुशलता का परिचय दिया वह प्रशंसनीय है। ये यूएन असेंबली में भारतीय प्रतिनिधि मंडल की नेत्री होकर अमेरिका गई थी। हैदराबाद के आत्म समर्पण पर जो विदेशों में मिथ्या भ्रम फैल गया था, उसका बहुत कुछ निराकरण इनके द्वारा वहां हुआ। इस उम्र में भी ये जिस साहस एवं कार्य क्षमता का परिचय देती थी, उसे देखकर आश्चर्य होता था। श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित के सब मिलाकर तीन संतानें थी विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी का नाम चंद्रलेखा पंडित और रेखा पंडित था जो अत्यंत सुयोग्य एवं प्रतिभाशाली है। श्रीमती पंडित अत्यंत मिलनसार और कोमल स्वभाव की महिला थी। श्रीमती पंडित देश विदेश के अनेक महिला संगठनों से भी जुडी हुई थी। एक दिसंबर सन् 1990 को 90 वर्ष की आयु में विजयलक्ष्मी पंडित देहांत हो गया। प्रतयेक अमरीकन को भारत की आत्म दृढता और शांति का संदेश देने वाली श्रीमती पंडित का साहस, कार्य दक्षता, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को भारतवासी आज भी याद करते है भारत की महान नारियों पर आधारित हमारें यह लेख भी जरूर पढ़ें:—- रानी दुर्गावती का जीवन परिचय अनन्य देशभक्ता, वीर रानी दुर्गावती ने अपने देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक युद्ध किया। रण के मैदान झांसी की रानी का जीवन परिचय – रानी लक्ष्मीबाई की गाथा लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका बेगम हजरत महल का जीवन परिचय बेगम हजरत महल लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह की शरीक-ए-हयात (पत्नी) थी। उनके शौहर वाजिद अली शाह विलासिता और रानी भवानी की जीवनी – रानी भवानी का जीवन परिचय रानी भवानी अहिंसा मानवता और शांति की प्रतिमूर्ति थी। वे स्वर्ग के वैभवका परित्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहती रानी चेन्नमा की कहानी – कित्तूर की रानी चेन्नमा रानी चेन्नमा का जन्म सन् 1778 में काकतीय राजवंश में हुआ था। चेन्नमा के पिता का नाम घुलप्पा देसाई और भीमाबाई की जीवनी – भीमाबाई का जीवन परिचय भीमाबाई महान देशभक्ता और वीरह्रदया थी। सन् 1857 के लगभग उन्होने अंग्रेजो से युद्ध करके अद्भुत वीरता और साहस का मैडम कामा का जीवन परिचय – मैडम भीकाजी कामा इन हिन्दी मैडम कामा कौन कौन थी? अपने देश से प्रेम होने के कारण ही मैडम कामा अपने देश से दूर थी। रानी पद्मावती की जीवनी – रानी पद्मिनी की कहानी महाराणा लक्ष्मण सिंह अपने पिता की गद्दी पर सन् 1275 मैं बैठे। महाराणा के नाबालिग होने के कारण, राज्य का इंदिरा गांधी की जीवनी, त्याग, बलिदान, साहस, और जीवन परिचय इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर सन् 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद मे हुआ था। जहां इंदिरा गांधी के सरोजिनी नायडू की जीवनी- सरोजिनी नायडू के बारे में जानकारी सरोजिनी नायडू महान देशभक्त थी। गांधी जी के बताए मार्ग पर चलकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वालो में उनका कस्तूरबा गांधी की जीवनी – कस्तूरबा गांधी बायोग्राफी इन हिंदी भारत को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने वाले, भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को प्ररेणा देने वाली और कमला नेहरू की जीवनी – कमला नेहरू का जीवन परिचय कमला नेहरू गांव गांव घूमकर स्वदेशी का प्रचार करती थी। वे गांवों में घर घर जाती थी। स्त्रियों से मिलती कालीबाई की जीवनी – कालीबाई का जीवन परिचय व हिस्ट्री आज के अफने इस लेख मे हम एक ऐसी गुरू भक्ता के बारे मे जाने। जिसने अपने प्राणो की आहुति रानी कर्णावती की जीवनी – रानी कर्मवती की कहानी रानी कर्णावती कौन थी? अक्सर यह प्रश्न रानी कर्णावती की जीवनी, और रानी कर्णावती का इतिहास के बारे मे रूची हाड़ी रानी का जीवन परिचय – हाड़ी रानी हिस्ट्री इन हिन्दी सलुम्बर उदयपुर की राज्य की एक छोटी सी रियासत थी। जिसके राजा राव रतन सिंह चूड़ावत थे। हाड़ी रानी सलुम्बर के राजबाला की वीरता, साहस, और प्रेम की अदभुत कहानी राजबाला वैशालपुर के ठाकुर प्रतापसिंह की पुत्री थी, वह केवल सुंदरता ही में अद्वितीय न थी, बल्कि धैर्य और चातुर्यादि कर्पूरी देवी कौन थी, क्या आप राजमाता कर्पूरी के बारे मे जानते है राजस्थान में एक शहर अजमेर है। अजमेर के इतिहास को देखा जाएं तो, अजमेर शुरू से ही पारिवारिक रंजिशों का रानी जवाहर बाई की बहादुरी जिसने बहादुरशाह की सेना से लोहा लिया सन् 1533 की बात है। गुजरात के बादशाह बहादुरशाह जफर ने एक बहुत बड़ी सेना के साथ चित्तौड़ पर आक्रमण रानी प्रभावती एक सती स्त्री की वीरता, सूझबूझ की अनोखी कहानी रानी प्रभावती वीर सती स्त्री गन्नौर के राजा की रानी थी, और अपने रूप, लावण्य व गुणों के कारण अत्यंत मदर टेरेसा की जीवनी – मदर टेरेसा जीवन परिचय, निबंध, योगदान मदर टेरेसा कौन थी? यह नाम सुनते ही सबसे पहले आपके जहन में यही सवाल आता होगा। मदर टेरेसा यह अच्छन कुमारी पृथ्वीराज चौहान की पत्नी की वीरगाथा अच्छन कुमारी चंद्रावती के राजा जयतसी परमार की पुत्री थी। ऐसा कोई गुण नहीं था, जो अच्छन में न हो। रामप्यारी दासी का मेवाड़ राज्य के लिए बलिदान की कहानी भारत के आजाद होने से पहले की बात है। राजस्थान कई छोटे बडे राज्यों में विभाजित था। उन्हीं में एक सती उर्मिला राजा धर्मगजदेव की पत्नी की सतीत्व की कहानी सती उर्मिला अजमेर के राजा धर्मगज देव की धर्मपत्नी थी। वह बड़ी चतुर और सुशील स्त्री थी। वह राज्य कार्य अमृता शेरगिल का जीवन परिचय – अमृता शेरगिल बायोग्राफी, चित्र, पेंटिंग इन हिन्दी चित्रकला चित्रकार के गूढ़ भावों की अभिव्यंजना है। अंतर्जगत की सजीव झांकी है। वह असत्य वस्तु नहीं कल्पना की वायु राजकुमारी अमृत कौर का जीवन परिचय – राजकुमारी अमृत कौर बायोग्राफी श्री राजकुमारी अमृत कौर वर्तमान युग की उन श्रेष्ठ नारी विभूतियों में से एक है। जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में भाग कमला देवी चट्टोपाध्याय की जीवनी – स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती कमला देवी चट्टोपाध्याय आज के युग में एक क्रियाशील आशावादी और विद्रोहिणी नारी थी। इनके आदर्शों की व्यापकता जीवनपथ रजिया सुल्तान किसकी पुत्री थी – रजिया सुल्तान का इतिहास रजिया सुल्तान भारतीय इतिहास की वह वीरांगना है, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में दिल्ली सल्तनत पर शासन किया था। चाँद बीबी हिस्ट्री इन हिन्दी – चांद बीबी का जीवन परिचय व उसकी हत्या किसने की सुल्ताना चाँद बीबी कौन थी? उसका नाम था चाँद था। वह हरम का चाँद थी। दक्षिण भारत का चाँद थी। नूरजहां हिस्ट्री इन हिन्दी – नूरजहाँ का जीवन परिचय व इतिहास की जानकारी नूरजहां भारतीय इतिहास और मुगल सम्राज्य की सबसे ताकतवर महिला थी। यह मुगल सम्राट जहांगीर की पत्नी थी। अपने इस अहल्याबाई की जीवनी – अहल्याबाई होल्कर का जीवन परिचय व कहानी इन हिन्दी होल्कर साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर भारतीय इतिहास की कुशल महिला शासकों में से एक रही हैं। अपने इस लेख नवाब बेगम की जीवनी – सदरून्निसा नवाब सफदरजंग की बेगम अवध के दर्जन भर नवाबों में से दूसरे नवाब अबुल मंसूर खाँ उर्फ़ नवाब सफदरजंग ही ऐसे थे जिन्होंने सिर्फ़ एक बहू बेगम की जीवनी – बहू बेगम का मकबरा कहां स्थित है नवाब बेगम की बहू अर्थात नवाब शुजाउद्दौला की पटरानी का नाम उमत-उल-जहरा था। दिल्ली के वज़ीर खानदान की यह लड़की सन् 1745 नवाब शाहजहां बेगम का जीवन परिचय सन् 1844 में केवल 27 वर्ष की उम्र में नवाब जहांगीर मोहम्मद खान ने परलोक-यात्रा की। नवाब जहांगीर मोहम्मद खान ने नवाब सिकन्दर जहां बेगम भोपाल स्टेट सन् 1857 में भारत में भयंकर विद्रोह अग्नि की ज्वाला भड़की। इस की चिनगारियाँ देखते देखते सारे भारतवर्ष में फैल नवाब सुल्तान जहां बेगम भोपाल रियासत नवाब शाहजहां बेगम के बाद भोपाल की बेगम साहबा, नवाब सुल्तान जहां बेगम जी० सी० एस० आई०, जी० सी० आई० भारत की महान नारियां जीवनीभारत के इतिहास की वीर नारियांसहासी नारीस्वतंत्रता संग्रांम में महिलाओ का योगदानस्वतंत्रता सेनानी