लोहंदी महावीर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश Naeem Ahmad, August 14, 2022March 18, 2023 श्रावण मास के प्रत्येक शनिवार को लोहंदी महावीर का मेला लगता है। वैसे प्रत्येक मगलवार को भी सैकडो दर्शनार्थी भक्तगण लोहंदी महावीर जी के दर्शन के लिए जाते है। प्रत्येक रविवार को वदी के दिन भी तफरी के लिए सेठ-साहुकार तथा भावुकजन लोहंदी महावीर मंदिर जाकर लिट्टी-बाटी का आयोजन करते है। यह स्थान मिर्जापुर जिला मुख्यालय नगर से दक्षिण मे लगभग पांच किमी पड़ता है। तथा बहुत रमणीक है। Contents1 लोहंदी महावीर का मेला2 मिर्जापुर जिले में अन्य मेले3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- लोहंदी महावीर का मेला प्राकृतिक शोभा निराली है। नदी भी बहती है। कहते हैं, अपने भक्त को एक रात महावीर जी ने प्रकट होकर दर्शन दिया था और भयकर वेग से बहती नदी मे जब वे भी बहने लगे तो उनकी भक्ति भावना को देखते हुए अपने भक्त को राम-भक्त महावीर ने उबारा था। लोहंदी महावीर मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है। यहां सावण मास में पांच शनिवार दर्शन होते हैं और भव्य मेला लगता है। लोहंदी महावीर मंदिर को मिर्जापुर के बालाजी भी कहा जाता है। लोहंदी महावीर मंदिर मिर्जापुर जिले में अन्य मेले प्रत्येक मंगलवार तथा शनिवार को अष्टभुजा तथा मां विन्ध्यवासिनी के धाम में मेला लगता है। इसी प्रकार प्रत्येक रविवार को विढम तथा टाडाफाल खजुरी नामक स्थानों पर भारी सख्या में लोगों की उपस्थिति के कारण मेला का दृश्य उपस्थित हो जाता है। अष्टभुजा त्रिकोण-यात्रा का प्रमुख स्थल है जहा अष्टभुजी देवी विराजमान है। पहाड पर स्थित होने के कारण इसका वातावरण अत्यत मनोरम हो गया है। यही सीता कु॒ण्ड भी है जिसका सतत प्रवाहित जल आरोग्य वर्द्धक बताया गया है। टाडाफाल मिर्जापुर नगर से लगभग दस किमी दक्षिण मे स्थित है जहा झरने का दृश्य मनोरम है। यहां पहले जगली जानवर रात मे पानी पीने आया करते थे। नगर के साहित्यकार पहले यहां तफरी के लिए जाया करते थे तथा गोष्ठियों का आयोजन करते थे। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, प्रेमधन, उग्र, निराला, मतवाला की अलमस्ती के दर्शन यहां होते थे। भाग छनती थी। बाटी-चोखा विधिवत बनता था। अंग्रेज़ अफसर भी यहां जाया करते थे। इसी प्रकार विढमफाल में भी रविवार को मेला लगा करता था। यहां भी तफरी के लिए नगरवासी आते थे और मेले का दृश्य उपस्थित हो जाया करता था। खजुरी-अपर तथा लोवर विढमफाल से पश्चिम की ओर स्थित वह स्थान है जहा नदी को रोककर बाध बनाया गया है। चारों ओर जंगल-पहाड का सुन्दर दृश्य देखते बनता है। यहां पहले हिरणो का झुण्ड देखने को मिलता था। लोग शिकार के लिए भी जाया करते थे। तरह-तरह के पशु-पक्षियों को देखने के लिए भी भीड़ उपस्थित हो जाती थी। किंतु अब बढती व्यस्तता तथा प्रदूषण, वन-कटान के कारण प्राकृतिक सौंदर्य विनष्ट होता जा रहा है। वास्तव मे इन स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित किया जाना चाहिए। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- मीरान शाह बाबा दरगाह - मीरान शाह बाबा का उर्स काशी का मेला - काशी विश्वनाथ के मेले चुनार शरीफ का उर्स दरगाह शाह कासिम सुलेमानी कंतित शरीफ का उर्स व दरगाह मिर्जापुर उत्तर प्रदेश शिवपुर का मेला और तारकेश्वर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश विंध्याचल नवरात्र मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश पक्का घाट का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश कजरी तीज कब मनाते हैं - कजरी के गीत - कजरी का मेला ओझला मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश - ओझला पुल सुरियावां का मेला - भोरी महजूदा का कजरहवा मेला देवलास का मेला - देवलास धाम में उत्तर प्रदेश सेमराध नाथ का मेला - सेमराध धाम मंदिर भदोही मगहर का मेला कब लगता है - कबीर समाधि मगहर भदेश्वर नाथ मंदिर का महत्व और भदेश्वर नाथ का मेला सिकंदरपुर का मेला - कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर रसड़ा का मेला और नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलिया असेगा का मेला - शोकहरण महादेव मंदिर असेगा बलिया ददरी का मेला कहां लगता है और ददरी मेले का इतिहास बरहज का मेला कब लगता है और मेले का महत्व बांसी का मेला कब लगता है - बांसी मेले का इतिहास कुलकुला देवी मंदिर कहां है - कुलकुला धाम मेला दुग्धेश्वर नाथ मंदिर रूद्रपुर - दुग्धेश्वर नाथ का मेला सोहनाग परशुराम धाम मंदिर और सोहनाग का मेला लेहड़ा देवी मंदिर कहां है - लेहड़ा देवी का मेला कब लगता है बांसगांव का मेला कब लगता है - बांसगांव का इतिहास तरकुलहा का मेला - तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश जमदग्नि आश्रम मेला जमानियां गाजीपुर उत्तर प्रदेश कामाख्या देवी मेला गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भैरव जी मेला महराजगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के त्योहारउत्तर प्रदेश के मेलेत्यौहारमेले