लेहड़ा देवी मंदिरलेहड़ा देवी मंदिर कहां है – लेहड़ा देवी का मेला कब लगता हैPost author:Naeem AhmadPost published:August 2, 2022Post category:UncategorizedPost comments:0 Commentsउत्तर प्रदेश राज्य में एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर जिसे लेहड़ा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है और इसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली हुई है। इस लेहड़ा देवी मंदिर पर लेहड़ा देवी का मेला भी लगता है। इस प्रवित्र वह मनोकामना पूर्ण स्थान के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि लेहड़ा देवी मंदिर कहां है। लेहड़ा देवी का यह प्रसिद्ध धाम उत्तर प्रदेश राज्य के महाराजगंज जिले के फरेंदा नगर से 8 किलोमीटर की दूरी पर अरदौना गांव के जंगल में स्थित है।गोरखपुर से लेहड़ा देवी मंदिर की दूरी लगभग 54 किलोमीटर है। महाराजगंज जिला मुख्यालय से लेहड़ा माता मंदिर की दूरी 38 किलोमीटर,बस्ती से 70 किलोमीटर और कुशीनगर से 101 किलोमीटर है। यह स्थान नेपाल की सीमा से भी नजदीक पडता है। इसलिए उपयुक्त संख्या में नेपाली भक्त भी मनौती मांगने यहां आते रहते हैं। Contents1 लेहड़ा देवी मंदिर का महत्व2 लेहड़ा देवी का मेला3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—लेहड़ा देवी मंदिर का महत्व लेहड़ा देवी मंदिर का महत्व धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने इस क्षेत्र कुछ समय अज्ञातवास किया था। प्रचलित दंतकथा के अनुसार प्राचीन काल में यह स्थान आर्द्र वन के घने जंगलों के घिरा हुआ था। इन घने जंगलों में पवह नाम की नदी गुजरती थी। इसी नदी के तट पर अर्जुन ने वन देवी की पूजा की थी। अर्जुन की पूजा से प्रसन्न होकर वन देवी मां भगवती ने अर्जुन को अनेक शक्तियां प्रदान की थी। प्रचलित दंतकथा के अनुसार बाद में अर्जुन ने यहां माता वन देवी मंदिर की स्थापना की।लेहड़ा देवी मंदिरएक अन्य दंतकथा के अनुसार पवह नदी पर एक सुंदर किशोरी आई। वह मां भगवती की परम भक्त थीं। किशोरी ने नाविक से नदी पार करने का आग्रह किया। किशोरी की सुंदरता पर मोहित होकर नाविक ने उससे अभद्र व्यवहार किया। किशोरी ने मन ही मन रक्षा के लिए मां को पुकारा। किशोरी की रक्षा के लिए मां भगवती किशोरी पर प्रकट हुई। और क्रोधित होकर नाव और नाविक सहित उसी पवह नदी में समाधि ले ली। उसी नदी के तट पर यह मंदिर बना है, यह नदी आज भी यहां से बहती है। प्राचीन समय में यह मंदिर अरदौना देवी स्थान के नाम से प्रसिद्ध था। लेकिन बाद में इस मंदिर का नाम लेहड़ा देवी मंदिर रख दिया गया।लेहड़ा देवी का मेलानवरात्रों में लेहड़ा देवी का मेला लगता है। मेला बड़ा ही भव्य लगता है, हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते है। लेहड़ा देवी मां के बारे में कहा जाता है कि यहां जो कोई भी सच्चे मन से मनौती मांगता है मां उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है। मंदिर के अहाते से बहार बहुत दूर दूर तक दुकानें सजी होती है। विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन झूले आदि होते हैं। इसके अलावा चाट पकौड़ी स्नैक्स आदि की भी दुकानें होती है। प्रशासन की और से सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा इंतजाम होता है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— ओणम पर्व की रोचक तथ्य और फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में विशु पर्व, केरल के प्रसिद्ध त्योहार की रोचक जानकारी हिन्दी में थेय्यम नृत्य फेस्टिवल की रोचक जानकारी हिन्दी में theyyam festival केरल नौका दौड़ महोत्सव - केरल बोट रेस फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अट्टूकल पोंगल केरल में महिलाओं का प्रसिद्ध त्योहार तिरूवातिरा कली नृत्य फेस्टिवल केरल की जानकारी हिन्दी में मंडला पूजा उत्सव केरल फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अष्टमी रोहिणी केरल का प्रमुख त्यौहार की जानकारी हिन्दी में लोहड़ी का इतिहास, लोहड़ी फेस्टिवल इनफार्मेशन इन हिन्दी दुर्गा पूजा पर निबंध - दुर्गा पूजा त्योहार के बारें में जानकारी हिन्दी में तेजाजी की कथा - प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला मुहर्रम क्या है और क्यो मनाते है - कर्बला की लड़ाई - मुहर्रम के ताजिया गणगौर व्रत कथा - गणगौर क्यों मनाई जाती है तथा गणगौर व्रत विधि बिहू किस राज्य का त्यौहार है - बिहू किस फसल के आने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है हजरत निजामुद्दीन दरगाह - हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह का उर्स नौरोज़ त्यौहार का मेला - नवरोज त्योहार किस धर्म का है तथा मेला फूलवालों की सैर त्यौहार कब मनाया जाता है - फूलवालों की सैर का इतिहास हिन्दी में ईद मिलादुन्नबी कब मनाया जाता है - बारह वफात क्यों मनाते है और कैसे मनाते है ईद उल फितर क्यों मनाया जाता है - ईद किस महिने के अंत में मनाई जाती है बकरीद क्यों मनाया जाता है - ईदुलजुहा का इतिहास की जानकारी इन हिन्दी बैसाखी का पर्व किस दिन मनाया जाता है - बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है अरुंधती व्रत रखने से पराये मर्द या परायी स्त्री पाप से मुक्ति रामनवमी का महत्व - श्रीराम का जन्मदिन चैत्र रामनवमी कैसे मनाते हैं हनुमान जयंती का महत्व - हनुमान जयंती का व्रत कैसे करते है और इतिहास आसमाई व्रत कथा - आसमाई की पूजा विधि वट सावित्री व्रत की कथा - वट सावित्री की पूजा कैसे करते है गंगा दशहरा का महत्व - क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा की कथा रक्षाबंधन क्यों मनाते है - रक्षाबंधन पूजा विधि और रक्षा-बंधन की कथा नाग पंचमी कब मनायी जाती है - नाग पंचमी की पूजा विधि व्रत और कथा कजरी की नवमी कब और कैसे मनाते है - कजरी पूर्णिमा का व्रत और कथा हरछठ का व्रत कैसे करते है - हरछठ में क्या खाया जाता है - हलषष्ठी व्रत कथा हिंदी गाज बीज माता की कथा - गाज बीज माता का व्रत कैसे करते है और पूजा विधि सिद्धिविनायक व्रत कथा - सिद्धिविनायक का व्रत कैसे करते है तथा व्रत का महत्व कपर्दि विनायक व्रत - कपर्दि विनायक व्रत कैसे करते है और व्रत कथा हरतालिका तीज व्रत कथा - हरतालिका तीज का व्रत कैसे करते है तथा व्रत क्यो करते है संतान सप्तमी व्रत कथा पूजा विधि इन हिन्दी - संतान सप्तमी व्रत मे क्या खाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत कथा और महत्व - जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों रखा जाता है अहोई आठे व्रत कथा - अहोई अष्टमी का व्रत कैसे करते है बछ बारस पूजन कैसे करते है - बछ बारस व्रत कथा इन हिन्दी करमा पूजा कैसे की जाती है - करमा पर्व का इतिहास जइया पूजा आदिवासी जनजाति का प्रसिद्ध पर्व डोमकच नृत्य समारोह क्यों मनाया जाता है छेरता पर्व कौन मनाते हैं तथा छेरता नृत्य कैसे करते है दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भैरव जी मेला महराजगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश कामाख्या देवी मेला गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश तरकुलहा का मेला - तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर 1 2 Next » Tags: उत्तर प्रदेश के मेले, त्यौहार, मेलेRead more articles Previous Postबांसगांव का मेला कब लगता है – बांसगांव का इतिहास Next Postसोहनाग परशुराम धाम मंदिर और सोहनाग का मेला Naeem Ahmad CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger You Might Also Like नवाब वजीर अली खां लखनऊ के 5वें नवाब June 15, 2022 वल्लभी का इतिहास – वल्लभीपुर का इतिहास February 24, 2023 कुदसिया महल गरीबों की मसीहा July 21, 2022Leave a ReplyCommentEnter your name or username to commentEnter your email address to commentEnter your website URL (optional) Δ