लखनऊ का चिकन उद्योग बड़ा मशहूर रहा है। लखनवी कुर्तीयों पर चिकन का काम नवाबीन वक्त में खूब फला-फूला।नवाब आसफुद्दौला ने इस कला में माहिर लोगों को बड़ा प्रोत्साहित किया। शुरू-शुरू में चिकन के कपड़े नवाब खानदान तक ही सीमित रहे। मगर चिकन कला से युक्त कपड़ों की खूबसूरती नवाबों के खानदानों में ही दबकर नहीं रह सकी। आज लखनवी चिकन कुर्ता देश ही नहीं विदेशों तक में प्रसिद्ध है। पुरूष और महिला दोनों का कुर्ता और कुर्ती लखनऊ की चिकन कारीगरी के बहुत पसंद की जाती है।
लखनवी चिकन कुर्ता
लखनऊ की चिकन कला की सबसे बड़ी खूससियत यह होती थी कि मखमल जैसे बारीक कपड़े पर भी बखूबी इस कला के सौन्दर्य के जादू को उभारा जाता। गिरह और टांके भी इस कदर होशियारी से लगाये जाते कि वे भी डिजाइन जैसे ही मालूम होते।
इन टांकों को भी अनेक नामों से जाना जाता यथा–मुर्री (मुण्डी)कट वर्क धूम, रोपची (ठप्पा), बखिया आदि। यह टांके अपने नामों की तरह डिजाइनों में भी भिन्नता रखते थे। अंग्रेजों ने इस कला को लखनऊ से नेस्तनाबूद ही कर दिया। इस काम में लगे हज़ारों लोग रोजी-रोटी के लिए मोहताज़ हो गये। मगर यह कला कहीं न कहीं साँस लेती ही रही। लखनऊ की चिकन कला आज भी चोक, डालीगंज व अन्य पुराने इलाकों में जीवित है। लखनवी चिकन कुर्ता के अलावा लखनवी जामदानी भी काफी प्रसिद्ध है।
लखनवी चिकन कुर्ता
जामदानी– यह ‘फारसी भाषा’ का शब्द है। जिसका अर्थ है करघे से बने हुए बड़े ही बारीक एवं उच्चकोटि के सूती कपड़ें। जामदानी कपड़ा नवाबों को बड़ा प्रिय था।
अवध में जामदानी का उदय कब हुआ, कहां हुआ इस सम्बन्ध में कोई निश्चित जानकारी नहीं प्राप्त होती।रायबरेली जिले के जायस गाँव में निवासी भीका ने अपने हाथ की बुनी जामदानी नवाब आसफुद्दोला औरहैदराबाद के निजाम सिकन्दर शाह को नज़र की थी। कपड़ा इतना पसन्द आया कि उसे काफी इनाम मिला और यहीं से इस कला का विकास शुरू हुआ। सबसे उम्दा किस्म की जामदानी को पेंच कहते थे और दूसरे नम्बर की जो जामदानी थी उसको “जूही” खड़ा बेल’ आदि नामों से जानते थे।
टांडा की बनी जामदानी अच्छी किस्म की मानी जाती थी। बूटेदार व बेल डिज़ाइन की जामदानी काफी लोकप्रिय थी। कुछ जामदानियाँ ऐसी बुनी जाती जिन पर धार्मिक ग्रन्थों की शिक्षाप्रद बातें लिखीं (बुनी) होती थी। लखनवी चिकन कुर्ता काफी प्रसिद्ध और लोकप्रिय है। लखनऊ की यात्रा पर आने वाले पर्यटक अपनी शोपिंग के दौरान इन्हें लेना नहीं भूलते।