लखनऊ यूनिवर्सिटी का इतिहास इन हिन्दी

लखनऊ यूनिवर्सिटी

बड़ा लम्बा सफर तय किया है कैनिंग कालेज ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के रूप में तब्दील होने तक। हाथ में एक कापी, मुंह में सिगरेट एवं गुटों में मस्ती से घूमते तमाम युवा छात्रों को, तो कहीं चहकती आधुनिक परिधानों से सुशोभित लड़कियों की टोलियों को “यत्न तत्र सर्वत्र घूमते देखा जा सकता है।

लखनऊ यूनिवर्सिटी का इतिहास

1 मई सन्‌ 1864 ई० को भारत के सर्वप्रथम वाइसराय लार्ड कनिंग की स्मृति में एक कैनिंग हाई स्कूल की स्थापना हुई। सन् 1866 ई० में कैनिंग हाई स्कूल को ‘इण्टरमीडिएट कालेज’ का दर्जा हासिल हो गया। इसके बाद तालीम हासिल करने वालों की बढ़ती हुई बेतहाशा संख्या के कारण इसमें तमाम फेरबदल किये गये।

13 नवम्बर सन्‌ 1867 ई० को वायसराय सर जॉन एल० एम० लारेंस द्वारा कैसरबाग स्थितपरीखाना पैलेस (वर्तमान भातखण्डे संगीत महाविद्यालय) को शिक्षा संस्थान में परिवर्तित कर दिया गया। इस परीखाना पैलेस में तकरीबन 28 सालों तक कैनिंग कालेज कायम रहा। सन्‌ 1867 से 1889 ई० तक कैनिंग कालेजकलकत्ता विश्वविद्यालय के अधिकार में रहा बाद में इसे सन्‌ 1889 ई० मेंइलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया।

लखनऊ यूनिवर्सिटी
लखनऊ यूनिवर्सिटी

अब तक जहां केवल बी० ए० तक ही तालीम का बन्दोबस्त था वहीं सन्‌ 1870 ई० से एम० ए० एवं विधि की शिक्षा भी शुरू कर दी गयी। सन्‌ 1905 ई० में बादशाह बाग का काफी बड़ा क्षेत्र कैेनिंग कालेज को मिला। इसी बादशाह बाग के शेष क्षेत्र में आज मत्स्य विभाग, पशुपालन विभाग” एवं ‘पशु चिकित्सालय मौजूद है। 31 मार्च, सन्‌ 1909 ई० को जान प्रेस्काट हैवेट ने बादशाह बाग पर निर्मित होने वाली निहायत ही खूबसूरत इमारत का नक्शा
तैयार किया। आखिरकार वह दिन भी आ ही गया जब 17 फरवरी, सन्‌ 1911 ई० को कैनिंग कालेज की विशाल इमारत का उद्घाटन हुआ। तीन साल बाद ही सन्‌ 1915 ई० में एक छात्रावास का निर्माण हुआ जिसे ‘मेस्टन छात्रावास’ का नाम दिया गया।

लखनऊ यूनिवर्सिटी की स्थापना का ख्याल महमूदाबाद के राजा मोहम्मद अली खाँ के दिमाग में आया। उनके इस सुझाव पर विचार-विमर्श करने के लिए लेफ्टीनेन्ट गर्वनर हारकोर्ट बटलर’ ने 10 नवम्बर सन्‌ 1919 ई० को लखनऊ केगवर्नर हाउस में एक मीटिंग रखी जिसमें पूर्ण सहमति के उपरान्त कैनिंग कालेज को लखनऊ यूनिवर्सिटी बनाने की योजना बनी।

अन्ततोगत्वा तमाम खानापूर्ति होने के बाद 25 नवम्बर सन 1920 ई० अवध के गवर्नर जनरल ने इसकी स्थापना की अनुमति प्रदान कर दी। किंग जार्ज मेडिकल कालेज, ईसाबेला थार्बन कालेज व कौैनिंग कालेज के संलग्न होने पर 1922 ई° को एक नवीन शिक्षा संस्थान ने जन्म लिया जो कि ‘लखनऊ यूनिवर्सिटी के नाम से मशहूर हुआ।

कुछ सालों के बाद मेडिकल कालेज को लखनऊ यूनिवर्सिटी से अलग कर दिया गया ओर उसके बाद विचार हुआ विश्वविद्यालय को आवासीय बनाने एवं इससे सम्बद्ध लखनऊ के सभी डिग्री कालेजों को अवध विश्वविद्यालय (फैजाबाद) से जोड़ने पर।

विश्वविद्यालय में समय-समय पर तमाम परिवर्तन होते रहे हैं। अनेक नई इमारतें बनी जिसमें रजिस्ट्रार आफिस, वाणिज्य संकाय, पी० जी० ब्लाक आदि मुख्य हैं। इनके अतिरिक्त अनेक नये छात्रावासों का भी निर्माण हुआ जिनमें लाल बहादुर शास्त्री, गोल्डेन जुबली, आचार्य नरेन्द्र देव, बीरबल साहनी मुख्य हैं जबकि महमूदाबाद, हबीबुलला, तिलक, चन्द्रशेखर (बटलर), सुभाष पुराने छात्रावास हैं। कैसरबाग स्थित बलरामपुर छात्रावास को मिलाकर छात्रों के लिए आज कुल 10 छात्रावास है। जबकि छात्राओं के लिए पुलिस लाइन के सामने ही कैलाश छात्रावास स्थित है। जिसमें पाँच ब्लाक है।

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