रेफ्रिजरेटर के आविष्कार से पहले प्राचीन काल में बर्फ से खाद्य-पदार्थों को सड़ने या खराब होने से बचाने का तरीकाचीन के लोग लगभग 3000 वर्षो से जानते थे। सर्दी के दिनो में जमी हुई बर्फ की सिल्लिया काटकर उन्हे सूखी घास या पुआल की तहों के बीच रख दिया जाता था, ताकि बर्फ जल्दी गल न पाए। फिर उनके ऊपर खाद्य पदार्थ रख दिए जाते थे। इससे बहुत दिनो तक पदार्थ ताजे बने रहते थे।
मध्यकाल में यूरोप में खाद्य परिरक्षण के लिए नमक, मसाले आदि का उपयोग किया जाता था। कुछ खाद्य-पदार्थो को सुखाकर भी रखा जाता था। 1500 वर्ष पहले यूरोप तथा अमेरिका के कुछ भागों मे बर्फ की सिल्लियों द्वारा खाद्य-पदार्थों को सुरक्षित रखने का तरीका अपना लिया गया था।
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रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआ
सन् 1800 के आस-पास खाद्य-पदार्थों के परिरक्षण के लिए सामान्य किस्म के आइस बॉक्स का इस्तेमाल होने लगा था। यह लकडी का बॉक्स होता था। इसके अंदर जिंक धातु के खाने होते थे। बाहरी ओर के खाने में बर्फ भर दी जाती थी ओर बीच के खाने में खाद्य-पदार्थ रखे जाते थे।
अमोनियम को प्रयोग में लाकर तापमान गिराने के सिद्धांत को सबसे पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने सन 1820 में प्रतिपादित किया। तापमान को गिराने के लिए प्रशीतक के रूप मे अमोनिया पहला पदार्थ था।
सन् 1834 में मेसाचुसेट्स के एक वैज्ञानिक जैकब पकिन्स ने पहले वाष्प-सपीडन (Vapour compression) रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया, लेकिन यह रिफ्रिजरेटर घरेलू उपयोग के लिए नहीं था। घरेलू उपयोग के लिए यह उपकरण कुछ वर्षो बाद ही बन पाया, लेकिन सिद्धांत दोनों का एक ही था। सन् 1870 मेमाइकल फैराडे के अमोनिया प्रशीतन सिद्धांत के आधार पर पहला घरेलू रेफ्रिजरेटर एक स्वीडिश ने तैयार किया।

लगभग इसी समय अमेरिका में भी वाष्प-सपीडन सिद्धांत पर घरेलू रेफ्रिजरेटर का निर्माण किया गया, लेकिन ये बहुत ही महंगे थे। इसके बाद 1950 के आस-पास ही सस्ते रेफ्रिजरेटर बनाए जा सके, जिन्हे लोग खरीद सकते थे।
रेफ्रिजरेटर कई प्रकार के होते हैं, लेकिन उन सबका सिद्धांत लगभग एक ही है। रेफ्रिजरेटर के दो भाग होते हैं, एक जिसके अंदर खाद्य-पदार्थ रखे जाते हैं तथा दूसरा जिसमें अंदर की वायु को ठंडे तापमान पर बनाएं रखने की व्यवस्था होती है। रेफ्रिजरेटर में जहां खाद्य पदार्थ रखने की व्यवस्था होती है, वहां ठंडी वायु ऊपर से प्रवाहित की जाती है। क्योंकि हवा ठंडी होने पर नीचे की ओर आती है। और गर्म होने पर ऊपर की ओर उठती है। ठंडी हवा को पूरे भाग में समान रूप से प्रवाहित होते रहने के लिए उसे ऊपर की ओर से भेजा जाता है।
घरेलू रेफ्रिजरेटर चार किस्म के होते हैं:—
- पानी द्वारा ठंडा किए जाने वाले रेफ्रिजरेटर।
- आइस बॉक्स वाले।
- दबाव द्वारा ठंडक उत्पन्न किए जाने वाले।
- सोख कर ठंडक पैदा किए जाने वाले रेफ्रिजरेटर।
पानी द्वारा ठंडा किए जाने वाले रेफ्रिजरेटर में पानी सोखने के लिए फूलालेन का इस्तेमाल किया जाता है। फूलालेन का कपड़ा इसमें ऊपर से मढ़ा होता है, और खाद्य पदार्थ अंदर रखे जाते हैं। फूलालेन के ऊपर लगातार पानी छिड़कते रहना होता है। जिससे अंदर का तापमान घटता जाता है और ठंडक लगातार बनी रहती है। उदाहरण के लिए आपने अक्सर चौराहों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के आसपास, या धार्मिक स्थलों में ऐसे प्याऊ देखें होंगे जहां मिटटी के बर्तन में पानी भरा होता है और उसके ऊपर टाट का कपड़ा लिपटा होता है या फिर मिट्टी के बर्तन को बालू में उसके मुंह तक दबा दिया जाता है। टाट और बालू को लौटानी से तय रखा जाता हैं। और मिट्टी के बर्तन का पानी बर्फ की तरह ठंडा हो जाता है। इसके पिछे यहीं सिद्धांत कार्य करता है।
आइस बॉक्स वाले रेफ्रिजरेटर में बॉक्स के चारों ओर खाने होते हैं। जिनमें बर्फ़ भरी होती है। बीच की खाली जगह में खाद्य पदार्थ अथवा पेय पदार्थ रख दिए जाते है, और वे तरोताजा और ठंडे बनें रहते है। उदाहरण के लिए अक्सर आपने रेहड़ी पर शिकंजी बेचने वाले और अपनी पसंदीदा आइसक्रीम कुल्फी को जरूर देखा होगा। कुल्फी के जमने और शिकंजी के ठंडा होने में आइस बॉक्स रेफ्रिजरेटर का सिद्धांत कार्य करता है।
दबाव से ठंडक उत्पन्न करने वाले रेफ्रिजरेटर विद्युत शक्ति से चलाएं जाते है। इसमें किसी विशेष गैस को दबाव द्वारा सपीडित करके उसमें द्रव अवस्था में परिवर्तित किया जाता है। यह द्रव गैस गर्मी से पुनः गैस के रूप में बदल जाती है। इस क्रम के बारे बार चलते रहने से रेफ्रिजरेटर के अंदर की हवा ठंडी बनी रहती है। इसमें गैस के रूप में फ्रिऑन गैस का इस्तेमाल किया जाता है। अन्य पदार्थों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
चौथे प्रकार के रेफ्रिजरेटर में गैस की लो से अंदर रखी अमोनिया को गर्म किया जाता है। अमोनिया गर्म होकर ऊपर उठती है, और वहां से पम्प होकर ठंडी अवस्था में परिवर्तित होकर सर्द तापमान से गुजर कर फिर द्रव के रूप में आगे बहकर हाइड्रोजन गैस से मिलती है। और भाप में बदलकर अपने पूर्व स्थान पर आ जाती है। अपने पूर्व स्थान पर आने से पहले इससे हाइड्रोजन गैस अलग हो जाती है। यही क्रम दोबारा शुरू हो जाता है और चलता रहता है। और तापमान कम बना रहता है।