रेडियो तरंगों की खोज किसने की – तारों से आने वाली रेडियो किरणें Naeem Ahmad, March 8, 2022March 12, 2022 हम प्रतिदिन रेडियो सुनते है लेकिन हमने शायद ही कभी सोचा हो कि रेडियो सैकडों-हजारो मील दूर की आवाज तत्काल हम तक कैसे पहचा देता है। यह चमत्कार पूर्ण कार्य रेडियो तरंगें करती हैं, जिनकी खोज सर्वप्रथम अमेरिका के कार्ल गुंजे जांस्की ने की। उन्होंने अपने रिसीवर के माध्यम से तारो से आने वाली इन रेडियो तरंगों के कोलाहल की आवाज स्पष्ट सुनी थी। उसके बाद इस कार्य को हालैड के एक वैज्ञानिक, ज्योतिविंद एच. सी वानडि हल्स्ट ने आगे बढ़ाया। वे उस समय हाइड्रोजन परमाणु पर अनुसंधान कार्य कर रहे थे। अन्य नाभिकीय भौतिकविदों ने यह पता लगा लिया था कि परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉनों द्वारा अपनी कक्षाओं से दूसरी कक्षाओं में छलांगे लगाई जाती हैं। रेडियो तरंगों की खोज किसने की थी इलेकट्रॉनो द्वारा बाहर से अंदर आते समय किस तरह का प्रकाश उत्सर्जित होता है यह उन फलांगी गई कक्षाओं के मध्य की दूरी पर निर्भर होता है। अगर छलांग लंबी हो, तो उत्सर्जन पराबैंगनी (Altravaolate) होता है और छोटी छलांग हो तब उत्सर्जन अवरक्त (infrared) किरणों के रूप में होता है। वान डि हल्स्ट ने ज्ञात किया कि यदि परमाणु की कक्षाएं इतनी पास-पास हों कि एक सी नजर आएं तो छलांग लगाने बाला हाइड्रोजन का इलेक्ट्रॉन न ही प्रकाश किरण का और न ही ऊष्मा किरण का उत्सर्जन करेगा, बल्कि उनसे भी अधिक तरंग लंबाई वाली किरणों अर्थात् रेडियो तरंगो का उत्सर्जन करेगा। अपनी इन गणनाओं पर वान डि हल्स्ट को पूरा विश्वास था, परंतु इन्हे सिद्ध करने के लिए उनके पास कोई उचित उपकरण न था। परंतु इसके बावजूद उन्होंने समस्त ज्योतिर्विदों, भौतिक शास्त्रियों से अनुरोध किया कि यदि इक्कीस सेंटीमीटर बैंड पर रिसीवर ट्यून किया जाए तो हाइड्रोजन परमाणु की आवाज सुनाई दे सकती है क्योंकि हाइड्रोजन रिसीवर के इक्कीस सेंटीमीटर बैंड में संचारण करता है। रेडियो तरंगों की खोज लेकिन सभी वैज्ञानिकों ने उनकी बात पर ध्यान नही दिया, ठीक उसी तरह जब इससे पंद्रह वर्ष पहले कार्ल जे. जांस्की ने घोषणा की थी कि उन्होंने सुदूर तारों से उत्सर्जित किरणों की आवाज को सुना था। परंतु वान डि हल्स्ट अपने सिद्धांत पर अड़े रहे। उन्होंने बताया कि अपनी गणनाओं से उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि बाहरी आकाश में जब हाइड्रोजन परमाणु एक दूसरे से टकराते हैं तो जिस प्रकार का विकिरण उत्सर्जित करते हैं उसे इक्कीस सेंटीमीटर बैंड पर सुना जा सकता है। यह बैंड हाइड्रोजन परमाणुओं के लिए विशेष बैंड था। उन्होंने घोषित किया कि रेडियो तारे अपने रासायनिक संयोजन से विशेष प्रकार की तरंग लंबाई की किरणें उत्सर्जित करते हैं। अतः बाहरी आकाश से आती हुईं रेडियो तरंगों से उन्हें भेजने वाले उक्त तारे का रासायनिक संयोजन निश्चित किया जा सकता है–और यदि यह संकेत इक्कीस सेटीमीटर बैंड पर आता है, तो उस प्रेपित्र में हाइड्रोजन का विद्यमान होना निश्चित है। कई वर्ष बीत गए परंतु वान डि हल्स्ट के सिद्धांत को मान्यता प्राप्त नहीं हुई। अंत में 25 मार्च, सन् 1951 को अचानक एक नाटकीय परिवर्तन हुआ और एक स्वर में समस्त वैज्ञानिकों ने उनके सिद्धांत की पुष्टि की। इस प्रकार बान डि हल्स्ट ने तारों से आने वाली रेडियो तरंगों की खोज की। इन्हीं रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर उत्पन्न करने में जर्मनी के वैज्ञानिक हाइनरिख हट्ज ने सफलता पायी। सन् 1883 में उन्होंने एक रेडियो ट्रांसमीटर तथा एक- रेडियो रिसीवर का आविष्कार कर रेडियो तरंगों के माध्यम से ध्वनि प्रेक्षित करने में सफलता पायी। कृत्रिम रूप से रेडियो तरंगें उत्पन्न कर उन्होने रेडियो टेलीविजन, राडार आदि उपकरणों के आविष्कार का मार्ग खोल दिया। कृत्रिम रेडियो तरंगों और तारों से आने वाली रेडियो तरंगों में कोई अंतर नहीं है। इनकी गति प्रकाश किरणों के बराबर आंकी गई है, अर्थात् 30,00,00,000 मीटर प्रति सेकंड। इन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंगें भी कहा जाता है। हरट्ज ने इन तरंगों की प्रकृति के बारे में भी अनेक परीक्षण किए। उन्होने अपने ट्रांसमीटर और रिसीवर में एक रिफ्लेक्टर लगाकर पता किया कि विद्युत और चुम्बकीय की इन तरंगों को भी प्रकाश तरंगों की तरह कहीं भी केन्द्रित किया जा सकता है। एक और रिफ्लेक्टर लगा कर उन पर तरंगों को फेंककर उन्होंने पता लगाया कि इन्हें लेंसों द्वारा भी एक जगह फोकस किया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रेडियो तरंगों की खोज ने विज्ञान जगत को बहुत कुछ दिया और बाहरी आकाश तथा पृथ्वी पर की जाने वाली नयी-नयी खोजों और आविष्कारों का मार्ग खोल दिया। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े [post_grid id=’8586′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व की महत्वपूर्ण खोजें प्रमुख खोजें