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राव सुजा जी राठौड़ का चित्र उपलब्ध नहीं

राव सुजा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय

राव सातल जी के याद राव सुजा जी सन् 1491 में गद्दी पर बिराजे। सुजा जी को नाराजी नामक पुत्र सातलजी द्वारा दत्तक लिये गये थे। पर सातलजी का स्वर्गवास होते ही सुजा जी ने राज्य पर अधिकार कर लिया। नाराजी की सिर्फ पोकरन और फलोदी के जिले दे दिये गये। इस समय फलोदी एक छोटा सा गांव था। पोकरन मल्लिनाथ जी के पोत्र हमीर जी के वंशजों के अधिकार में था। पर नाराजी ने उन्हें वहां से हटाकर पोकरन पर अधिकार कर लिया।अजमेर के सूबेदार मल्लूखाँ ने सुजा जी के भाई बरसिंह जी को अपने यहाँ कैद कर रखे थे।

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यह बात जब सुजा जी को मालूम हुई तो उन्होंने अजमेर पर चढ़ाई कर दी। इनके अजमेर पहुँचने के पहले ही उनके भाई बीकाजी और दुदाजी ने ने उक्त स्थान पर चढ़ाई कर बरसिंहजी को लौटा देने के लिये मल्लूखाँ को बाध्य किया। इस प्रकार बरखिंहजी को छुड़ाकर तीनो भाई मेड़ता आ गये।

जेतारण पर बहुत समय से सिन्धल राठौड़ों का अधिकार था। यह प्रान्त इनको मेवाड़ के राणाजी की ओर से मिला था। जब जोधाजी ने गोड़वाड जिले का बहुत सा हिस्सा राणाजी से जीत लिया तो जतारण के राठौड़ों ने भी उनकी आधीनता स्वीकार कर ली। पर सुजा जी ने गद्दी पर बैठते ही सिन्धल राठौड़ों को जतारण से निकाल दिये। यह स्थान सुजा जी ने अपने पुत्र उदाजी को दे दिया। सुजा जी के सब से बढ़े पुत्र का नाम बाघजी था । इनका देहान्त सुजा जी के जीते जी ही हो गया था। 23 वर्ष राज्य कर लेने पर राव सुजा जी का भी देहान्त हो गया। जिस समय बाघजी मृत्यु-शैय्या पर पड़ हुए थे, उनके पिताजी ने उन्हे अपनी अन्तिम इच्छा प्रदर्शित करने के लिये कहा।

राव सुजा जी राठौड़ का चित्र उपलब्ध नहीं
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कुँवर बाघजी ने उत्तर दिया “मेरी अन्तिम इच्छा यह है कि आप के बाद मेरा पुत्र गद्दी पर बेठे।” राव सुजा जी ने यह बात मंजूर की ओर बाघजी के पुत्र वीरमजी को युवराज बना दिया। पर सुजा जी की मृत्यु हो जाने पर वीरमजी के हकों का बिलकुल खयाल न रखते हुए उनके छोटे भाई राव गांगा जी गद्दी पर बैठ गये।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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