You are currently viewing राव सातल देव का इतिहास और जीवन परिचय
राव सातल देव राठौड़

राव सातल देव का इतिहास और जीवन परिचय

राव सातल देव जी राठौड़ मारवाड़ के राजा थे। ये वीर महाराजा राव जोधा जी के पुत्र थे। इनकी माता महारानी हाथी जसमदेजी थी। इनकी पत्नी रानी भटियानी फूल कवर थी, इनके बाद राव सुजा जी राठौड़ मारवाड़ की गद्दी पर विराजे, राव सातल जी के बाद राव सुजा जी सन् 1491 में गद्दी पर बिराजे। सुजा जी को नाराजी नामक पुत्र सातलजी द्वारा दत्तक लिये गये थे। पर सातलजी का स्वर्गवास होते ही सुजा जी ने राज्य पर अधिकार कर लिया। नाराजी की सिर्फ पोकरन और फलोदी के जिले दे दिये गये।

मारवाड़ के राजा राव जोधा जी का स्वर्गवास हो जाने पर उनके पुत्र राव सातल देव जी वि० सं० 1547 में मारवाड़ की गद्दी पर बिराजे। राव सातल देव जी ने तीन वर्ष राज्य किया। आपने अपने भतीजे नराजी को दत्तक ले लिया था। आपके भाई बरसिंहजी ओर दुदाजी ने जिनको कि राव जोधा जी ने मेड़ता के शासक नियुक्त कर दिये थे-सांभर लूट ली। अतएवअजमेर का सूबेदार मल्लूखां बदला लेने के लिये चढ़ आया। राव सातल देव जी, राव सुजा जी के साथ अपने भाइयों की मदद के लिये चले। मल्लूखां ने पीपाड़ के पास आकर अपना पड़ाव डाला।

राव सातल देव का इतिहास और परिचय

राव सातल देव राठौड़
राव सातल देव राठौड़

इस समय पीपाड़ गांव की स्त्रियां गौरी-पूजा के निमित्त बाहर गई थीं। इनकी संख्या लगभग 140 थी। मल्लूखाँ की दृष्टि इन पर पड़ी और उसने इन्हें पकड लिया और बंदी बना लिया। जब यह खबर चारों राठौड़ भ्राताओं को लगी तो उन्होंने मल्लूखां पर चढ़ाई कर दी। कोसाना नामक स्थान पर लड़ाई हुई। मुसलमानों का सेनापति घड़ूका मारा गया।

मल्लूखां भाग गया। इस युद्ध में राव सातल देव जी भी वीरगति को प्राप्त हुए। ई० स० 1490 में सातलजी की रानी फूलां ने फूलेलाव नामक तालाब बनवाया। फलौदी जिले के कोलू नामक गाँव में एक शिला-लेख मिला है। इसमें जोधा जी को महाराव और सातलजी को राव की पदवी से सम्बोधित किया गया है। इस पर से मालूम होता है कि सातलजी अपने पिता के जीते जी ही फलोदी के शासक नियुक्त हो गये थे।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply