राव रणमल का इतिहास और जीवन परिचय Naeem Ahmad, December 12, 2022February 19, 2023 राव रणमल जी, राव चूडाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। एक समय राव चूडाजी ने इनसे कह दिया था कि ‘मेरे बाद मंडोर कान्ह के अधिकार में रहना चाहिये। कान्ह चूडाजी के छोटे पुत्र थे। अपने पिता को आज्ञानुसार रणमलजी मंडोर को अपने छोटे भाई के हाथ सौंप है और आप चित्तौड़ चल गये। चित्तौड़ की गद्दी पर इस समय राणा लाखा जी आसीन थे। इन्होंने रणमलजी से प्रसन्न हो कर उन्हें 40 गाँव दे दिये। इधर राव कान्हजी सिर्फ 11 माह राज्य कर परलोकवासी हो गये। राव रणमल का इतिहास और जीवन परिचय कान्हजी की मृत्यु हो जाने पर चूडाजी के दूसरे पुत्र साला जी गद्दी पर बेठे। पर ये भी तीन या चार साल राज्य कर सके। सालाजी और उनके भाई रणधीरज जी के बीच अनवन हो गई। अतएव रणधीरज जी ने मेवाड़ जाकर अपने ज्येष्ठ बन्धु रणमल जी को समभालाना शुरू किया। उन्होंने रणमल जी से कहा कि “आपने सिर्फ कान्हजी के लिये राज्य छोड़ा है न कि सालाजी लिये। अतएव सालाजी का राज्य पर कोई अधिकार नहीं है। यह बात रणमलजी के भी ध्यान में जम गई। उन्होंने मोकल जी की सहायता से मंडोर पर चढ़ाई कर दी। सालाजी को गद्दी से उतार कर उस पर रणमलजी बेठे। कुछ समय पश्चात् रणमलजी राणाजी की सहायता द्वारा नागोर से मुसलमानों को भगाने में समर्थ हुए। रणमल जी ने नागोर अपने राज्य में मिला लिया। राव रणमल राठौड़ महाराणा कुम्भ के समय की कुम्भलगढ़ को प्रशस्ति में भी इसका वर्णन आया है। इस प्रशस्ति से इस बात की पुष्टि होती है कि रणमल जी ने मोकल जी की सहायता से नागोर पर विजय प्राप्त की। रणमल जी ने समय समय पर मेवाड़ के राणाओं की अच्छी सहायता की। ई० स० 1433 में राणा खेताजी के चाचा और सेरा नामक दो औरस पुत्रों ने मोकल जी का खून कर डाला। जब यह खबर राव रणमल जी तक पहुँची तो वे तुरन्त मोकल जी के पुत्र कुंभा जी की सहायता पर आ डटे।उन्होंने हत्याकारियों को मारकर कुम्भा जी को राज्य-सिंहासन पर बैठाने में सहायता दी। इसके कुछ ही समय बाद चाचा के पुत्र आका और मोकल जी के ज्येष्ठ बन्धु ने मेवाड़ के सरदारों द्वारा राणा कुम्भा जी तक यह खबर पहुँचाई कि “वे सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि मेवाड़ का राज्य-सिंहासन राठौड़ों के हाथ में चला जाये।” यह युक्ति काम कर गई। कुभाजी, रणमल जी को संदेह की दृष्टि से देखने लग गये, इतना ही नहीं प्रत्युत मौका पाकर उन्होंने रणमलजी को मरवा डाला। रणमल जी के पुत्र जोधा जी इस समय मेवाड़ ही में थे। रणमल जी की मृत्यु होते ही जोधा जी के किसी हितेषी ने उनसे मेवाड़ छोड़ देने के लिये कहा। जोधा जी अपने सात सौ सिपाहियों को लेकर वहाँ से चल पड़े। चूडाजी शिशोदिया बड़ी भारी सेना के साथ जोधा जी के पीछे भेजे गये। मेवाड़ी सेना के चलते रास्ते आक्रमण करते रहने के कारण मारवाड़ पहुँचते पहुंचते जोधा जी के पास केवल सात सिपाही शेष रह गये। जोधा जी ने पहले तो मंडोर में रहने का विचार किया पर मेवाडी सेना के पीछे लगी रहने के कारण उन्हें अपना यह विचार स्थगित करना पडा। वे थली परगने के काहुनी नामक स्थान में जाकर रहने लगे, राणा कुम्भा जी ने समस्त मारवाड पर अपना अधिकार कर लिया। उन्होंने राव चूडाजी के प्रपौत्र सधवदेव को राव की पद॒वी देकर सोजत के शासक नियुक्त कर दिया। मंडोर और चोकडी नामक स्थानों की रक्षा के लिये राणाजी ने अपनी बढ़िया से बढ़िया सेना नियुक्त की। राव रणमल जी के 26 पुत्र थे। इन सब में राव जोधाजी बड़े थे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— महाराजा गंगा सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा डूंगर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा सरदार सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास महाराजा रत्नसिंह बीकानेर का परिचय और इतिहास महाराजा सूरत सिंह बीकानेर जीवन परिचय और इतिहास महाराजा अनूप सिंह का इतिहास महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास महाराजा रायसिंह बीकानेर का परिचय राव बीका जी का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर का जीवन परिचय और इतिहास महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा जवाहर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय राजा सूरजमल का इतिहास और जीवन परिचय राजा बदन सिंह का इतिहास भरतपुर राज्य महाराजा उम्मेद सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा सुमेर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा मानसिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा अभय सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा अजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा जसवंत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय राव उदय सिंह राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय राव जोधा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय राव सातल देव का इतिहास और जीवन परिचय राव सुजा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय राव मालदेव का इतिहास और जीवन परिचय सवाई माधोसिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय सवाई रामसिंह द्वितीय का इतिहास और परिचय सवाई जगत सिंह का इतिहास और परिचय सवाई प्रताप सिंह का इतिहास और जीवन परिचय सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय सवाई माधोसिंह का इतिहास और जीवन परिचय सवाई जयसिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा जयसिंह का इतिहास (प्रथम) आमेर राजा मानसिंह का इतिहास - आमेर के राजा का इतिहास महाराणा फतह सिंह जी का परिचय महाराणा प्रताप सिंह का इतिहास - महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई महाराणा विक्रमादित्य का इतिहास महाराणा रतन सिंह द्वितीय का इतिहास महाराणा सांगा का इतिहास - राणा सांगा का जीवन परिचय 1 2 Next » भारत के महान पुरूष जोधपुर का राजवंशराजपूत शासकराजस्थान के वीर सपूतराजस्थान के शासकराठौड़ राजवंश