रायचूर का इतिहास – रायचूर के पर्यटन स्थल Naeem Ahmad, February 20, 2023 रायचूर भारत के कर्नाटक राज्य का एक प्रमुख नगर और जिला मुख्यालय है। यह एक ऐतिहासिक नगर है। रायचूर नगर कृष्णा- तुंगभद्रा दोआब में है और विजयनगर तथा बहमनी साम्राज्यों के मध्य कई युद्धों का कारण और स्थान रहा है। इन साम्राज्यों के मध्य संघर्ष के कई कारण रहे हैं। इस दोआब में स्थित किले इन दोनों साम्राज्यों के संयुक्त अधिकार में थे। दूसरे, बहमनी साम्राज्य अपना विस्तार तुंगभद्रा के दक्षिण की तरफ और विजयनगर साम्राज्य उत्तर की तरफ करना चाहता था। रायचूर का इतिहास बहमनी साम्राज्य तीन ओर से तीन शक्तिशाली राज्यों उड़ीसा, गुजरात और मालवा से तथा विजयनगर साम्राज्य तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ था। इस प्रकार इन दोनों साम्राज्यों के विस्तार की संभावना रायचूर दोआब में ही थी। तीसरे, कृष्णा का दक्षिणी भाग बहुत उपजाऊ था। चौथे, दक्षिणी भारत के अधिकांश बड़े-बड़े बंदरगाह इसी भाग में थे। इनके अतिरिक्त निर्यात योग्य वस्तुओं का उत्पादन भी इसी क्षेत्र में होता था और हीरे तथा लोहे जैसी चीजें भी यहीं की खानों से निकलती थीं। प्रथम बहमनी सुल्तान अलाउद्दीन ने जब रायचूर के किले का घेरा पहली बार डालने के लिए अपने सेनानायक मुबारक खाँ को भेजा, तो विजयनगर के नरेश हरिहर प्रथम ने घोड़े और धन देकर संधि कर ली। अलाउद्दीन के पुत्र मुहम्मद शाह प्रथम और बुक्काराय प्रथम के काल में तीन युद्ध हुए, परंतु इनका कोई परिणाम नहीं निकला। मुहम्मद शाह प्रथम के उत्तराधिकारी मुजाहिद शाह ने बुक्काराय प्रथम से रायचूर देने की माँग की जिसके इंकार करने पर दोनों में युद्ध हुआ, परंतु फिर कोई परिणाम नहीं निकला। मुजाहिद की हत्या के बाद हरिहर द्वितीय ने बहमनी शासक से अदोनी, चोल, डाभोल और गोआ छीन लिए और कृष्णा नदी तक के क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। चौदहवीं शताब्दी के अंत में सुल्तान फिरोज ने विजयनगर तक सैनिक अभियान किया, परंतु फिर इन दोनों ने एक-दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण न करने का वचन देकर संधि कर ली। 1406 में फिरोज शाह ने देवराय प्रथम पर आक्रमण किया। देवराय प्रथम ने उसके साथ अपनी पुत्री का विवाह करके और बांकापुर का किला दहेज में देकर संधि कर ली। परंतु यह संधि स्थायी सिद्ध नहीं हुई। फिरोज ने वेलम मित्र की राजधानी रचकोंडा पर आक्रमण कर दिया। बाद में फिरोज का वेलम मित्र देवराय से मिल गया और फिरोज की हार हुई। परंतु उसके उत्तराधिकारी अहमद प्रथम ने तेलंगाना तथा विजयनगर के कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। उसके उत्तराधिकारी अलाउद्दीन अहमद ने विजयनगर से चार युद्ध किए। पहले दो युद्धों में वह जीत गया, तीसरे युद्ध में देवराय द्वितीय की विजय हुई और चौथे युद्ध के बाद दोनों ने संधि कर ली। सन् 1471 में बहमनी सेनानायक महमूद गावाँ ने गोआ पर और बाद में नेल्लोर और काँची पर अधिकार कर लिया। 1485 में विजयनगर के पहले वंश संगम वंश का पतन हो गया और कुछ समय बादबहमनी साम्राज्य भी विभाजित हो गया, परंतु तब रायचूर दौआब विजयनगर के परवर्ती वंशों और बीजापुर के आदिलशाही सुल्तानों के मध्य उसी प्रकार एक समस्या बना रहा। रायचूर के दर्शनीय स्थल रायचूर के पर्यटन स्थलरायचूर का किलारायचूर का किला कर्नाटक के रायचूर जिले का प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में से एक है। इस प्रभावशाली संरचना का निर्माण काकतीय शासकों ने 1294 ईस्वी में करवाया था। किले ने मौर्य, बहमनियों और निज़ाम जैसे कई राजवंशों को देखा है। किला तीन तरफ से बड़े पैमाने पर लो-सर्किट की दीवारों से घिरा हुआ है और भीतरी दीवारें पत्थर से बने ब्लॉकों से बनी हैं जिनमें कोई मजबूत सामग्री नहीं है। किले के प्रवेश द्वार और अन्य हिस्से अरबी ग्रंथों से खुदे हुए हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि अली बुर्ज ने इसे उद्धृत किया था। किले की स्थापत्य सुंदरता के अलावा, आसपास के क्षेत्र भी सुंदर और आकर्षक हैं। एक मीनार मस्जिदएक मीनार की मस्जिद कर्नाटक के रायचूर शहर की प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। मस्जिद का निर्माण फ़ारसी शैली की वास्तुकला का उपयोग करके किया गया था। मस्जिद के मुख्य आकर्षणों में से एक इसकी दो मंजिला, 20 मीटर ऊंची मीनार है, जिस पर घुमावदार सीढ़ीयां बनी है, जिनका उपयोग करके मीनार की चोटी तक जाया जा सकता है। मीनार की चोटी से पूरे रायचूर शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। दत्तात्रेय मंदिर कुरूवापुरकुरुवापुर भगवान दत्तात्रेय का तीर्थ तीर्थ है। यह कर्नाटक के रायचूर जिले से 25 किमी दूर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। यह कृष्णा नदी के पवित्र जल से घिरा एक द्वीप है। कलियुग में भगवान दत्तात्रेय के पहले अवतार श्री श्रीपाद श्रीवल्लभ थे। यह स्थान श्री श्रीपाद श्रीवल्लभ की कर्मभूमि और तपभूमी है। यह जगह द्वीप पर है और इस द्वीप पर सीमित संसाधन हैं। द्वीप तक पहुँचने के लिए आपको पुट्टी या सर्कुलर शेयर बोट लेनी होगी जो नदी पार करने में लगभग 10-20 मिनट का समय लेती है। फिर मंदिर तक पहुंचने के लिए 1 किमी का सफर तय करना पड़ता है। नारद गढ़ीरायचूर से लगभग 35 किमी दूर स्थित रायचूर तालुका में कुरुवुकला गांव के पास एक द्वीप गांव है नारद गढ़ी। किंवदंती है कि भगवान नारद ने नारदगढ़ी में तपस्या की थी। यह द्वीप कृष्णा नदी से घिरा हुआ है जो कर्नाटक के एक तरफ और दूसरी तरफ तेलंगाना पर बहती है। कर्नाटक से मंदिर तक पहुंचने के लिए रायचूर से सड़क लेनी पड़ती है। मुद्गल का किलारायचूर से 110 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में लिंगसगुर तालुका में स्थित मुद्गल, इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों में से एक है, यह स्थान यहां स्थित मुद्गल का किला के लिए जाना जाता है। मुद्गल, जिसे मुदुगल के नाम से भी जाना जाता है, का एक लंबा इतिहास रहा है, जो यादव राजवंश से जुड़ा है, जैसा कि शहर में और उसके आसपास पाए गए कई शिलालेखों से पता चलता है। 14वीं शताब्दी की शुरुआत में यह काकतीय साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण चौकी थी। बहमनी राजवंश की हार और बहमनी साम्राज्य के पश्चिमी और दक्षिणी वर्गों के अवशोषण के बाद, मलिक नायब ने रायचूर और मुद्गल महल, साथ ही बीजापुर राजकुमारों को जब्त कर लिया। किला मुद्गल का मुख्य आकर्षण है। मुद्गल में किले के निर्माण में एक टीले पर किया गया है। जलदुर्गकृष्णा नदी के तट पर स्थित जलदुर्ग किला प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। कहा जाता है कि इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी यादवों ने करवाया था। आदिलशाही की वास्तुकला में 400 फुट ऊंचा किला बना हुआ है। कहा जाता था कि पहले यहां अपराधियों को किले से नदी में फैंक कर सजा दी जाती थी। क्योंकि इसके चारों ओर कृष्णा नदी बहती है। यह बीदर राष्ट्रीय राजमार्ग से 18 किमी की दूरी पर स्थित है। किला ऊंचा है और नीचे दो नदियों का संगम देखने में बहुत सुंदर लगता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”5906″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल कर्नाटक पर्यटनहिस्ट्री