रामदेवरा का इतिहास – रामदेवरा समाधि मंदिर दर्शन, व मेला Naeem Ahmad, October 27, 2019March 18, 2023 राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह राजस्थान के जैसलमेर जिले के अंतर्गत पोखरण नामक गांव से लगभग 13 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित है। यह स्थान जोधपुर पोखरण रेल मार्ग एवं जोधपुर, बिकानेर जैसलमेर से मोटर मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुडा हुआ है। रामदेवरा का नीवं बाबा रामदेवजी तंवर ने रखी थी। यह स्थान बाबा रामदेवजी का समाधि स्थल है। जिन्होंने जात-पात, ऊंच-नींच, कुलीन-अकुलीन इत्यादि कृत्रिम बंधनों से मुक्त होने का मार्ग दिखाया। यहां उनका भव्य मंदिर बना हुआ है। और वर्ष दो बार रामदेवरा में मेला भी लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में बाबा रामदेवजी को मानने वाले लोग भाग लेते है। और रामदेवरा दर्शन के लिए आते है। रामदेवरा का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ बाबा रामदेवजी धाम रामदेवरा के निर्माता बाबा रामदेवजी का जन्म पंद्रहवीं शताब्दी के पूर्ववाद में हुआ था। उस काल में राजस्थान तो क्या पूरे भारतवर्ष की दशा दयनीय थी। समग्र भू भाग पर विदेशी द्वारा पदाक्रांत था। पराजय पर पराजय के थपेड़ों से यहां का जन मानस हीन भावना से ग्रसित हो चुका था। शान सत्ता छोटे छोटे टुकड़ों में विभाजित थी। सर्वोच्च सत्ता की ओर से साम्प्रदायिक विद्वेष इतना जोर पकड़ चुका था कि वर्गविशेष जनता को उनके नित्यकर्म करने तक का अधिकार न था। इतने पर भी उस वर्गविशेष में छोटे बडे, ऊंच-नीच, जात-पात, छुआछूत की भ्रांति अपनी चरम अवस्था पर थी। अनेक मत मतान्तरों का उदय हो चुका था। ऐसी ही विकट परिस्थिति में पश्चिमी राजस्थान के उण्डू काश्मीर नामक गांव के पास सन् 1462 मे दूज के दिन बाबा रामदेव जी का जन्म हुआ। रामदेवजी के पिता का नाम अजमल जी था, जो तंवर कुलश्रेष्ठ थे। रामदेव जी की माता का नाम मैणा देवी था। इस बालक ने आगे चलकर मानवमात्र को मानवीय अधिकार दिलवाने का बीडा उठाया और समग्र राजस्थान, गुजरात तथा सिंध क्षेत्र में शांति क्रांति का सूत्रपात किया। रामदेवरा धाम के सुंदर दृश्य जिन दिनों बाबा रामदेवजी का अवतरण हुआ उन दिनों राजस्थान के पश्चिमी भूभाग पर साथलमेर (वर्तमान पोखरण के समीप) के कुख्यात भैरव का राक्षस का प्रबल उत्पात था। जिसके कारण आसपास के सैकडों गांव उजड चुके थे। दुर्भाग्यवश यदि कोई जीवधारी उक्त भैरव के अधिकार क्षेत्र में चला जाता तो वह दुष्ट उस प्राणी को नहीं छोड़ता। मानव देहधारियों में केवल एक तपोनिष्ठ साधु थे। जो भैरव के दुष्प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ थे। उनका नाम था जोगी बालीनाथ। ये ही जोगी बालीनाथ जी महाराज आगे जाकर बाबा रामदेव जी के धर्म गुरू के रूप प्रतिष्ठित हुए। वर्तमान पोखरण में इनका साधना स्थल विद्यमान है। तथा इनकी समाधि जोधपुर के निकट मसूरिया नामक पहाडी पर बनी हुई है। बाबा रामदेव जी ने यद्यपि अनेक बाल लीलाएँ की थी, परंतु उन सब में रामदेव और राक्षस भैरव दमन लीला ने वहां के क्षेत्रिय जन मानस को अत्यंत प्रभावित किया। कहते है कि एक बार बाबा रामदेवजी अपने साथियों के साथ गेंद खेल रहे थे, तो उनकी गेंद भैरव की सीमा में जा गिरीं। सायंकाल का समय हो चुका था। तथा भैरव का भय भी भयभीत कर रहा था। अतः कोई भी साथी गेंद लाने का साहस न कर सका। ऐसी परिस्थिति मे बाबा रामदेवजी स्वंय गेंद लाने के लिए तैयार हुए। हांलाकि उनके साथियों ने रात्रि तथा भैरव का भय बताकर लाख लाख मना किया, परंतु रामदेव के चरण तो जिधर गेंद गई थी उधर बढ़ चुके थे। संध्याकालीन छुटपुटे पक्षी अपने अपने घोंसलों की ओर चहचहाते बढ़ रहे थे। अंधेरे का सम्राज्य धीरे धीरे बढ़ रहा था। ऐसे समय में बालक रामदेवजी गेंद तलाशते तलाशते जोगी बालीनाथ जी की धूनी पर पहुंच गए। उन्होंने जाते ही सर्वप्रथम योगी के चरण स्पर्श करते हुए साष्टांग दण्डवत किया। योगीराज ने बालक की पीठ थप थपाकर आशीर्वाद देते हुए (साश्चर्य) इस प्रकार के कुसमय आने का कारण पूछा। बालक रामदेव जी ने निश्छल भाव से गेंद वाली घटना वर्णन किया। योगी बालीनाथ निःश्वास छोड़ते हुए बोले- बेटा गेंद तो अवश्य मिल जायेगी परंतु दुष्ट भैरव से पिंड कैसे छूटेगा। बालक रामदेव ने सविनय निवेदन किया– गुरु महाराज का हाथ जिस शिष्य के सिर पर है। उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है। रामदेवरा धाम के सुंदर दृश्य गुरू शिष्य दोनों धूनी के आसपास सो गए अर्द्ध रात्रि के समय दुष्ट भैरव खांऊ खांऊ करता हुआ वहां आया और योगी बालीनाथ को सम्बोधित करके बोला– नाथजी महाराज ! आज तो बहुत दिनों के बाद किसी मनुष्य की गंध आ रही है। उसे आपने कहाँ छुपा रखा है?। योगी बालीनाथ जी ने उसे बहुत समझाया बुझाया और टालने का प्रयत्न किया। परंतु वह दुष्ट राक्षस कब मानने वाला था। वह सीधा जहाँ बालक रामदेव जी गुदड़ी ओढ़े सो रहे थे, वहां पहुंच गया तथा गुदड़ी का एक छोर पकड़कर खिचने लगा। उसने बहुत जोर लगाएं परंतु गुदड़ी टस से मस नहीं हुई। यह घटना देखकर योगी बालीनाथ जी बालक रामदेव जी के पराक्रम को समय गए। गुदड़ी न उतरने पर भैरव थक हारकर अपनी गुफा की ओर चला गया। भैरव के वापस चले जाने के बाद बालक रामदेव जी गुरू योगी बालीनाथ को सम्बोधित करते हुए बोले– हे गुरू महाराज! यदि आपकी आज्ञा हो तो उस दुष्ट भैरव का काम तमाम कर जाऊं?।योगी बालीनाथ जी ने सम्पूर्ण घटना अपनी आंखों से देखी थी तथा शिष्य रामदेव के पराक्रम के प्रति सिर हिलाकर मूक स्वीकृति दे दी। बाबा रामदेव तत्काल जिधर भैरव गया था उधर चल पड़े। भैरव यद्यपि अपनी तेज गति से गुफा की ओर बढ़ रहा था, परंतु बाबा रामदेवजी ने उसे आंगरो (नमक की खानों) के पास पहुंचते पहुंचते धर दबोचा। कुछ देर तक रामदेव और राक्षस दोनों में भयंकर युद्ध चलता रहा। परंतु अंत मे दुष्ट भैरव परास्त होकर गिर पड़ा। बाबा रामदेवजी उसकी छाती पर चढ़ बैठे और मुष्टिका प्रहार करने लगे। यह देखकर भैरव रोने लगा तथा अपने प्राणों की भीख मांगने लगा। दयालु बाबा रामदेव जी ने भविष्य में अपकर्म न करने का वचन लेकर उसे आंगरो के आसपास की भूमि उसके विचरण हेतू निश्चित कर दी। भैरव के उत्पीड़न का भय मिट जाने के फलस्वरूप वर्षों से वीरान पड़ी भूमि कृषि से लहलहाने लगी। सैकडों उजडे हुए गांव फिर से आबाद हो गए। बाबा रामदेव जी भी अपने पूरे परिवार को पोखरण ले आए। बाबा रामदेव जी की पारिवारिक प्रतिष्ठा एवं स्वयं की ख्याति देखकर अमरकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में) के सोढ़ा दलैसिंह जी ने अपनी सुपुत्री नेतलदे का विवाह बाबा रामदेवजी के साथ कर दिया। बाबा रामदेवजी ने अगला कार्यक्रम अछूतों के उद्धार का हाथ में लिया। मानव मानव के बीच खड़ी इस भ्रांति की दीवार को ढहाने के लिए उन्होंने एक संत पंथ की स्थापना की। जो आगे चलकर कामड़िया पंथ कहलाया। इस पंथ में दीक्षित व्यक्ति जात-पात, ऊंच-नींच, कुलीन-अकुलीन इत्यादि के कृत्रिम बंधनों से मुक्त होकर संत हो जाता था। रावल मल्लीनाथजी, जाड़ेचा जैसल, भाटी उगणसी, सांखला हड़बूजी, मांगलिया मेहझी इत्यादि प्रतिष्ठित राजघराने के लोगों से लेकर मेघवंशी घारू, रेवारी रतना, डालीबाई इत्यादि अस्पृश्य लोग तक इस संत पंथ मे दीक्षित थे। तथा जिस दिन रात्रि जागरण होता था उस दिन सब लोग सम्मिलित होकर समान भाव से अपने इष्टदेव की आराधना करते थे। इस मानवोचित व्यवहार के परिणाम स्वरूप बाबा रामदेव जी अपने जीवन काल मे ही अवतारी पुरूष तथा पीर रामदेव की पदवी से अलंकृत हो गए थे। रामदेवरा धाम के सुंदर दृश्य बाबा रामदेव जी ने अपने निवास स्थान पोखरण को अपनी भतीजी तथा वीरमदेव जी की पुत्री को दहेज में दे देने के उपरांत पोखरण से बारह किलोमीटर उत्तर की ओर अपना नया निवास स्थान रामदेवरा की स्थापना की तथा अपने ही नाम पर उसका नाम रामदेवरा रखा। अनेक लौकिक अलौकिक लीलाओं का परिचय देते हुए बाबा रामदेवजी ने सन 1515 में अपने द्वारा निर्मित रामसरोवर की पाली पर जीवित समाधि ले ली। वर्तमान में इस पवित्र स्थान पर विशाल मंदिर बना हुआ है। तथा उनकी पावन स्मृति में प्रति वर्ष दो बार भाद्रपद शुक्ला 10 तथा माघ शुक्ल 10 को रामदेवरा मे मेला लगता है। इस मेले में राजस्थान, गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश इत्यादि प्रांतों के श्रृद्धालु बडी संख्या में भाग लेते है। तथा बाबा रामदेवजी की समाधि के दर्शन, रामसरोवर स्नान, बावडी के जल का आमचन एवं नगर प्रदक्षिणा करके अपने आपको कृत्य कृत्य समझते है। रामदेवरा मेले मे तेरहताली नृत्य मेले का प्रमुख आकर्षण होता है। इसे कामडिया लोग प्रस्तुत करते है। इसमें एक कामडिया स्त्री अपने शरीर के विभिन्न भागों पर मजीरे बांध लेती है। तथा हाथ के मजीरे द्वारा विभिन्न मुद्राओं के साथ उन्हें बजाती है। अन्य पुरूष तम्बूरा, हारमोनियम, खडताल, चिमटा व मजीरा के साथ ताल देते है। ये लोग बाबा रामदेव जी की जीवनी से संबंधित परिचयों का गायन प्रस्तुत करते है। तथा संबंधित रामदेवरा भजन गाते है। तथा स्थान स्थान पर बाबा रामदेवजी की जय जयकार से वातावरण गुंजयमान रहता है। प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:— मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और जोधपुर ( ब्लू नगरी) jodhpur blue city – जोधपुर का इतिहास जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन अजमेर 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चित्तौडगढ दुर्ग भारत का सबसे बडा किला इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व जैसलमेर के दर्शनीय स्थल – जैसलमेर के टॉप 10 टूरिस्ट पैलेस जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध अजमेर का इतिहास – अजमेर हिस्ट्री इन हिन्दी अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस अलवर के पर्यटन स्थल – अलवर में घूमने लायक टॉप 5 स्थान अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल उदयपुर दर्शनीय स्थल – उदयपुर के टॉप 15 पर्यटन स्थल उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी नाथद्वारा दर्शन – नाथद्वारा का इतिहास – नाथद्वारा टेम्पल हिसट्री इन हिन्दी वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन कोटा दर्शनीय स्थल – टॉप 10 कोटा टूरिस्ट प्लेस चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के कुम्भलगढ़ का इतिहास – कुम्भलगढ़ का किला राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में झुंझुनूं के पर्यटन स्थल – झुंझुनूं के टॉप 5 दर्शनीय स्थल झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता पुष्कर सरोवर तीर्थ यात्रा – पुष्कर झील का धार्मिक महत्व भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर करणी माता मंदिर – चूहों वाला मंदिर के अद्भुत रहस्य बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर बीकानेर पर्यटन स्थल – बीकानेर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435 जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षण भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता सीकर पर्यटन स्थल – सीकर का इतिहास व टॉप 6 दर्शनीय स्थल सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे। भरतपुर पर्यटन स्थल -भरतपुर के टॉप 8 टूरिस्ट प्लेस भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का बाड़मेर पर्यटन स्थल – बाड़मेर के टॉप 8 दर्शनीय स्थल 28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, धौलपुर पर्यटन स्थल – धौलपुर राजस्थान के टॉप10 आकर्षण धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए भीलवाड़ा पर्यटन स्थल – भीलवाड़ा राजस्थान के टॉप20 दर्शनीय स्थल भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से पाली पर्यटन स्थल – पाली राजस्थान के टॉप टूरिस्ट प्लेस पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी जालोर का इतिहास – जालोर के टॉप पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक टोंक पर्यटन स्थल – टोंक जिले के टॉप 9 दर्शनीय स्थल टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का राजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17 सिरोही का इतिहास – सिरोही पर्यटन स्थल – सिरोही के दर्शनीय स्थल सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में करौली आकर्षक स्थल – करौली राजस्थान के टॉप दर्शनीय स्थल करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगह सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना नागौर के ऐतिहासिक स्थल – नागौर का मौसम, तापमान राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने बूंदी इंडिया दर्शनीय स्थल – बूंदी राजस्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। बारां जिला आकर्षक स्थल – बारां के टॉप पर्यटन, ऐतिहासिक, टूरिस्ट प्लेस कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और झालावाड़ के ऐतिहासिक स्थल – झालावाड़ के टॉप 12 दर्शनीय स्थल झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों हनुमानगढ़ का किला – हनुमानगढ़ ऐतिहासिक स्थल – हनुमानगढ़ पर्यटन स्थल हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व चूरू का इतिहास, किला, पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द गोगामेड़ी का इतिहास, गोगामेड़ी मेला, गोगामेड़ी जाहर पीर बाबा गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों तेजाजी की कथा – प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने शील की डूंगरी चाकसू राजस्थान – शीतला माता की कथा शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों सीताबाड़ी का इतिहास – सीताबाड़ी का मंदिर राजस्थान सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक गलियाकोट दरगाह राजस्थान – गलियाकोट दरगाह का इतिहास गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे श्री महावीरजी टेम्पल राजस्थान – महावीरजी का इतिहास यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल मुकाम मंदिर राजस्थान – मुक्ति धाम मुकाम का इतिहास मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहास माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की ऋषभदेव मंदिर उदयपुर – केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर राजस्थान राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर – एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर हर्षनाथ मंदिर सीकर राजस्थान – जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक नाकोड़ा जी का इतिहास – नाकोड़ा जी भैरव चालीसा नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग केशवरायपाटन का मंदिर – केशवरायपाटन मंदिर का इतिहास केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र गौतमेश्वर महादेव मंदिर अरनोद राजस्थान – गौतमेश्वर मंदिर का इतिहास राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी रानी सती मंदिर झुंझुनूं राजस्थान – रानी सती दादी मंदिर हिस्ट्री इन हिन्दी सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। डिग्गी कल्याण जी की कथा – डिग्गी धाम कल्याण जी टेम्पल डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब रणकपुर जैन मंदिर समूह – रणकपुर जैन तीर्थ का इतिहास सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है। लोद्रवा जैन मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ लोद्रवा जैन टेंपल भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर गलताजी मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ गलताजी धाम जयपुर नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के सकराय माता मंदिर या शाकंभरी माता मंदिर सीकर राजस्थान हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बूंदी राजपूताना की वीर गाथा – बूंदी राजस्थान राजपूताना केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है। जय निवास उद्यान जयपुर – जय निवास गार्डन राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा सरोवर राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद और जय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण बादल महल कहां स्थित है – बादल महल जयपुर जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज 1 2 Next » भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल राजस्थान के प्रसिद्ध मेलेंराजस्थान के लोक तीर्थराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन