रानी सती मंदिर झुंझुनूं राजस्थान – रानी सती दादी मंदिर हिस्ट्री इन हिन्दी Naeem Ahmad, November 6, 2019March 14, 2023 सती तीर्थो में राजस्थान का झुंझुनूं कस्बा सर्वाधिक विख्यात है। यहां स्थित रानी सती मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां सती नारायणी के कुल में अब तक 12 सतियां हो चुकी है। सती नारायणी ही रानी सती के रूप में पूजी जाती है। झूंझुनू में रानी सती का मंदिर भक्तों के लिए श्रृद्धा का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर को रानी सती दादी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। रानी सती दादी मंदिर का महत्व को अगर देखा जाएं तो पौराणिक इतिहास से ज्ञात होता है की महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे। उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दिया था की कलयुग में तू “नारायाणी” के नाम से श्री सती दादी के रूप में विख्यात होगी और जन जन का कल्याण करेगी, सारे दुनिया में तू पूजीत होगी। रानी सती मंदिर झुंझुनूं के सुंदर दृश्य रानी सती मंदिर का इतिहास श्री नारायणी बाई या रानी सती के ससुर का नाम सेठ जालीराम था। वे बांसल गोत्रीय अग्रवाल थे। इनके पूर्वज कभी राजस्थान छोड़ कर दिल्ली जा बसे थे। किन्तु सेठ जालीराम व्यापार के सिलसिले में परिवार सहित हिसार जाकर रहने लगे थे। उस समय हिसार का नवाब झड़चन्द था। उसने सेठ जालीराम का सौजन्य और औदार्य देखकर उन्हें अपना दीवान बना लिया था। नवाब के दीवान बन जाने के बाद सेठ जालीराम का यश सौरभ चारों ओर बढ़ गया। हिसार की जनता नवाब की अपेक्षा दीवान की अधिक इज्ज्त करने लगी थी। सेठ जालीराम के चांद सूरज की तरह दो पुत्र थे, एक का नाम तनधनदास और दूसरे का नाम कमलाराम था। सेठ के पैतृक गुणों के अलावा शौर्य वीर्य उनमें पर्याप्त था। वे अन्य सेठो की तरह मूंछ नीची करके जीने के आदि नहीं थे। सम्मान के साथ क्षणभर जीवित रहने में अपने जीवन की सार्थकता समझते थे। वे यर्थाथ में टूट भले ही जाये, पर झुके नहीं के प्रतीक थे। रानी सती मंदिर झुंझुनूं के सुंदर दृश्य श्री तनधनदास का विवाह महम डोकवा के सेठ गुरसामलजी की सर्वगुण सम्पन्न पुत्री नारायणी बाई के साथ हुआ। चांद चकौरी का योग देखकर सेठ का परिवार ही पुलकित नहीं था, बल्कि आस पडोस भी उल्लासित हो गया था। अभी तनधनदास का मुकलावा (पत्नी का प्रथम बार ससुराल में आगमन की रस्म) भी नहीं हुआ था। कि सेठ जालीराम और नवाब झडचन्द में मन मुटाव हो गया। सेठ जालीराम के पास अत्यंत सुंदर और शुभ लक्षणों से युक्त सुडौल एक घोडी थी। जिस पर सुबह शाम सेठ का लाडला बेटा तनधनदास सवारी किया करता था। उस घोडी की प्रशंसा दूर दूर तक फैली हुई थी। घोडा के व्यापारियों और राजा महाराजाओं ने मुंह मांगे मोल पर घोड़ी खरीदने की इच्छा प्रकट की पर सेठ ने पुत्र की इच्छा के विरुद्ध घोडी बेची नहीं। नवाब का शहजादा घोडी लेने के लिए जिद कर बैठा। उसने अपने पिता से घोडी प्राप्त करने के लिए अनुरोध किया। पिता ने पहले तो अपने पुत्र को समझाया बुझाया पर शहजादा का उग्र हठ देखकर नवाब को झुकना पड़ा। नवाब ने सेठ जालीराम को बुलाकर शहजादे के हठ की बात बताई और चाहे जिस शर्त पर घोडी देने का आग्रह किया। सेठ जालीराम के सामने विकट समस्या खड़ी हो गई। इधर नवाब अपने शहजादे के हठ के लिए घोडी प्राप्त करने की जिद्द पर अड़ गया। उधर उस का बेटा तनधनदास अपनी घोडी को जीते जी किसी को नहीं देने के लिए अकड़ गया था। सेठ ने अपने पुत्र को समझाया बुझाया पर सेठ का बेटा टस से मस न हुआ। उसने घोडी की अपेक्षा अपने प्राण दे देना सरल समझा। अन्ततः सेठ को भी घोडी देने से इंकार कर देना पडा। रानी सती मंदिर झुंझुनूं के सुंदर दृश्य शहजादा हर सम्भव उपाय से घोडी प्राप्त करने के प्रयास में जुटा रहा और तनधनदास घोडी की निगरानी में पूर्ण सावधान रहने लगा। नवाब के शहजादे ने कोई दाल गलती न देखी तो कहा जाता हैं कि एक रात नवाब का शहजादा भेष बदलकर सेठ की घुड़शाला में घुस गया। लुकते छुपते वह घोडी खोलने ही वाला था, कि घोडी हिनहिना ऊठी। सेठ का बेटा सावधान था। उसने जब घोड़ी का हिनहिनाना सुना तो वह भाला लेकर घुड़शाला की ओर झपटा। शहजादा भागकर छिपने का प्रयास कर ही रहा था। कि तनधनदास ने पूरे जोर से अपना भाला फेककर मारा। शहजादा वहीं ढेर हो गया। शहजादे का मृत शरीर देखकर सेठ जालीराम और उनके दोनों बेटे नवाब के भावी भय से आशंकित हो गए तथा रातों रात हिसार छोड़कर वे झूंझुनू की ओर चल पड़े। शहजादे की मृत्यु की खबर सुनकर नवाब आपे से बाहर हो गया। उसने सेठ जालीराम को सपरिवार पकडऩे के लिए अपनी सेना भेज दी। किन्तु सेठ का परिवार नवाब की सेना की पकड़ में आने से पहले ही झुंझुनूं पहुंच चुका था। उस समय झुंझुनूं और हिसार के नवाबों के बीच काफी तनातनी थी। इस कारण हिसार के नवाब की सेना झूंझुनू में प्रवेश कर सेठ जालीराम के परिवार को पकड़ लेने का साहस न कर सकी वह निराश होकर वापिस लौट आई। इस घटना के थोडे समय बाद ही तनधनदास के पत्नी को घर लाने का मुहूर्त आ गया। इधर तनधनदास अपनी पत्नी को लाने के लिए पहुंचा कि नवाब के गुप्तचरो ने नवाब को सुचना दे दी। नवाब बदला लेने के अवसर की खोज में था। उसने तनधनदास को वापिस लौटते समय पकड लेने के लिए अपनी सेना की टुकडी भेज दी। रानी सती मंदिर झुंझुनूं के सुंदर दृश्य तनधनदास अपनी पत्नी नारायणी देवी को साथ लिए एक विरान जंगल से गुजर रहा था। कि नवाब की सेना ने उन पर आक्रमण कर दिया, बड़ा भयानक युद्ध हुआ, दोनों ओर से अनेक वीर मारे गए। तनधनदास बड़ी वीरता से लड़ा, उसने अनेक सैनिकों को मौत के घाट उतारा, सेठ पुत्र की युद्ध में निपुणता देखकर नवाब के सैनिक हक्के बक्के रह गए। किसी सैनिक ने छिपकर पिछे से तनधनदास पर आक्रमण किया। जिसके फलस्वरूप तनधनदास मारा गया। अपने पति को मरा देखकर श्री नारायणी देवी भी चण्डी का रूप धारण कर युद्ध क्षेत्र में कूद पड़ी, उसने अनेक सैनिकों का संहार किया। श्री नारायणी देवी के प्रचंड रूप को देखकर नवाब के बचे कुचे सैनिक भाग खडे हुए। अंत में युद्ध भूमि में रानी और राणा जाति के गायक को छोडकर कोई शेष नहीं रहा। सैनिकों के भाग जाने पर श्री नारायणी देवी का चंडी रूप सतीत्व में परिवर्तित हो गया। उसने राणा से कहा मैं पति के शव को लेकर यही सती हो जाऊंगी, तुम चिता तैयार करो। देवी की आज्ञा पाकर राणा ने चिता तैयार की, श्री नारायणी देवी अपने पति के शव को गोद में लेकर चिता पर चढ़ गई, सतीत्व का स्मरण किया की चिता स्वतः धधक उठी। सती का इछलौलिक शरीर भस्म हो गया वह दिव्य रूप में प्रकट होकर राणा से बोली तुम मेरी भस्मी लेकर झुंझुनूं चले जाओ जहां घोडा रूके वही मेरी भस्मी रख देना, मेरे घरवाले मेरा देवल स्मारक बना देंगें। मैं वहां रानी सती के रूप में अपने भक्तों का योगदान वहन करूंगी। रानी सती की भस्मी लेकर घोडी पर चढ़कर राणा चल पड़ा, घोडी झुंझुनूं के निकट पहुंच कर रूक गई। जहां घोडी रूकी थी उसी स्थान पर सती के घरवालों ने रानी सती के मंदिर का निर्माण करवा दिया। यद्यपि श्री नारायणी देवी सन् 1352 मे मार्ग शीर्ष कृष्णा नवमी मंगलवार को सती हुई थी। परंतु भाद्र कृष्ण अमावस्या को सतियों की विशेष पूजा का विधान होने के कारण रानी सती की पूजा भी इसी तिथि को की जाती है। कुछ लोगों की मान्यता है कि सेठ जालीराम के परिवार में अंतिम तेरहवीं सती गूजरी सती भाद्र कृष्ण अमावस्या को हुई थी। इस कारण इन 13 सतियों की सामूहिक पूजा उपासना इसी दिन की जाती है। झुंझुनूं में रानी सती का विशाल मंदिर है। अनेक धर्मशालाएं है। राजस्थान एव अन्य प्रदेशों के धर्म प्राण अग्रवालों ने मुक्त हस्त से दान देकर सती के स्थल को लोक तीर्थ का रूप देने में कोई कसर नहीं रहने दी है। सचमुच झुंझुनूं रानी सती के देवल के कारण लोक तीर्थ बन गया है। भाद्र कृष्ण अमावस्या के दिन झुंझुनूं में सती के दर्शनार्थियों की इतनी अधिक भीड़ होती है कि पावं रखने को भी स्थान रिक्त नहीं मिलता। प्रिय पाठकों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है। राजस्थान पर्यटन पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:— मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और जोधपुर ( ब्लू नगरी) jodhpur blue city – जोधपुर का इतिहास जोधपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में वहाँ की एतिहासिक इमारतों वैभवशाली महलों पुराने घरों और प्राचीन अजमेर शरीफ दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ajmer dargaah history in hindi भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध शहर अजमेर को कौन नहीं जानता । यह प्रसिद्ध शहर अरावली पर्वत श्रेणी की Hawamahal history in hindi- हवा महल का इतिहास प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने हेदराबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल व स्मारक के बारे में विस्तार से जाना और City place Jaipur history in hindi – सिटी प्लेस जयपुर का इतिहास – सिटी प्लेस जयपुर का सबसे पसंदीदा पर्यटन... प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हवा महल की सैर की थी और उसके बारे Jantar mantar jaipur history in hindi – जंतर मंतर जयपुर का इतिहास प्रिय पाठको जैसा कि आप सभी जानते है। कि हम भारत के राजस्थान राज्य के प्रसिद् शहर व गुलाबी नगरी Jal mahal history hindi जल महल जयपुर रोमांटिक महल प्रिय पाठको जैसा कि आप सब जानते है। कि हम भारत के राज्य राजस्थान कीं सैंर पर है । और Amer fort jaipur आमेर का किला जयपुर का इतिहास हिन्दी में पिछली पोस्टो मे हमने अपने जयपुर टूर के अंतर्गत जल महल की सैर की थी। और उसके बारे में विस्तार चित्तौडगढ का किला – चित्तौडगढ दुर्ग भारत का सबसे बडा किला इतिहास में वीरो की भूमि चित्तौडगढ का अपना विशेष महत्व है। उदयपुर से 112 किलोमीटर दूर चित्तौडगढ एक ऐतिहासिक व जैसलमेर के दर्शनीय स्थल – जैसलमेर के टॉप 10 टूरिस्ट पैलेस जैसलमेर भारत के राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है। जैसलमेर के दर्शनीय स्थल पर्यटको में काफी प्रसिद्ध अजमेर का इतिहास – अजमेर हिस्ट्री इन हिन्दी अजमेर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। अजमेर का इतिहास और उसके हर तारिखी दौर में इस अलवर के पर्यटन स्थल – अलवर में घूमने लायक टॉप 5 स्थान अलवर राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत शहर है। जितना खुबसूरत यह शहर है उतने ही दिलचस्प अलवर के पर्यटन स्थल उदयपुर दर्शनीय स्थल – उदयपुर के टॉप 15 पर्यटन स्थल उदयपुर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर है। उदयपुर की गिनती भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलो में भी नाथद्वारा दर्शन – नाथद्वारा का इतिहास – नाथद्वारा टेम्पल हिसट्री इन हिन्दी वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों, मैं नाथद्वारा धाम का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा दर्शन कोटा दर्शनीय स्थल – टॉप 10 कोटा टूरिस्ट प्लेस चंबल नदी के तट पर स्थित, कोटा राजस्थान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। रेगिस्तान, महलों और उद्यानों के कुम्भलगढ़ का इतिहास – कुम्भलगढ़ का किला राजा राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य में झुंझुनूं के पर्यटन स्थल – झुंझुनूं के टॉप 5 दर्शनीय स्थल झुंझुनूं भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। राजस्थान को महलों और भवनो की धरती भी कहा जाता पुष्कर सरोवर तीर्थ यात्रा – पुष्कर झील का धार्मिक महत्व भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मे स्थित पुष्कर एक प्रसिद्ध नगर है। यह नगर यहाँ स्थित प्रसिद्ध पुष्कर करणी माता मंदिर – चूहों वाला मंदिर के अद्भुत रहस्य बीकानेर जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर, करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर बीकानेर पर्यटन स्थल – बीकानेर के टॉप 10 दर्शनीय स्थल जोधपुर से 245 किमी, अजमेर से 262 किमी, जैसलमेर से 32 9 किमी, जयपुर से 333 किमी, दिल्ली से 435 जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षण भारत की राजधानी दिल्ली से 268 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर, जिसे गुलाबी शहर (पिंक सिटी) भी कहा जाता सीकर पर्यटन स्थल – सीकर का इतिहास व टॉप 6 दर्शनीय स्थल सीकर सबसे बड़ा थिकाना राजपूत राज्य है, जिसे शेखावत राजपूतों द्वारा शासित किया गया था, जो शेखावती में से थे। भरतपुर पर्यटन स्थल -भरतपुर के टॉप 8 टूरिस्ट प्लेस भरतपुर राजस्थान की यात्रा वहां के ऐतिहासिक, धार्मिक, पर्यटन और मनोरंजन से भरपूर है। पुराने समय से ही भरतपुर का बाड़मेर पर्यटन स्थल – बाड़मेर के टॉप 8 दर्शनीय स्थल 28,387 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ बाड़मेर राजस्थान के बड़ा और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। राज्य के दौसा पर्यटन स्थल – दौसा राजस्थान के टॉप 7 दर्शनीय स्थल दौसा राजस्थान राज्य का एक छोटा प्राचीन शहर और जिला है, दौसा का नाम संस्कृत शब्द धौ-सा लिया गया है, धौलपुर पर्यटन स्थल – धौलपुर राजस्थान के टॉप10 आकर्षण धौलपुर भारतीय राज्य राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह लाल रंग के सैंडस्टोन (धौलपुरी पत्थर) के लिए भीलवाड़ा पर्यटन स्थल – भीलवाड़ा राजस्थान के टॉप20 दर्शनीय स्थल भीलवाड़ा भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर और जिला है। राजस्थान राज्य का क्षेत्र पुराने समय से पाली पर्यटन स्थल – पाली राजस्थान के टॉप टूरिस्ट प्लेस पाली राजस्थान राज्य का एक जिला और महत्वपूर्ण शहर है। यह गुमनाम रूप से औद्योगिक शहर के रूप में भी जालोर का इतिहास – जालोर के टॉप पर्यटन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जोलोर जोधपुर से 140 किलोमीटर और अहमदाबाद से 340 किलोमीटर स्वर्णगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित, राजस्थान राज्य का एक टोंक पर्यटन स्थल – टोंक जिले के टॉप 9 दर्शनीय स्थल टोंक राजस्थान की राजधानी जयपुर से 96 किमी की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है। और राजस्थान राज्य का राजसमंद पर्यटन स्थल – राजसमंद जिले के टॉप 10 ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल राजसमंद राजस्थान राज्य का एक शहर, जिला, और जिला मुख्यालय है। राजसमंद शहर और जिले का नाम राजसमंद झील, 17 सिरोही का इतिहास – सिरोही पर्यटन स्थल – सिरोही के दर्शनीय स्थल सिरोही जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह उत्तर-पूर्व में जिला पाली, पूर्व में जिला उदयपुर, पश्चिम में करौली आकर्षक स्थल – करौली राजस्थान के टॉप दर्शनीय स्थल करौली राजस्थान राज्य का छोटा शहर और जिला है, जिसने हाल ही में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है, अच्छी सवाई माधोपुर आकर्षक स्थल – सवाई माधोपुर राजस्थान मे घूमने लायक जगह सवाई माधोपुर राजस्थान का एक छोटा शहर व जिला है, जो विभिन्न स्थलाकृति, महलों, किलों और मंदिरों के लिए जाना नागौर के ऐतिहासिक स्थल – नागौर का मौसम, तापमान राजस्थान राज्य के जोधपुर और बीकानेर के दो प्रसिद्ध शहरों के बीच स्थित, नागौर एक आकर्षक स्थान है, जो अपने बूंदी इंडिया दर्शनीय स्थल – बूंदी राजस्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन स्थल बूंदी कोटा से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर और राजस्थान का एक प्रमुख जिला है। बारां जिला आकर्षक स्थल – बारां के टॉप पर्यटन, ऐतिहासिक, टूरिस्ट प्लेस कोटा के खूबसूरत क्षेत्र से अलग बारां राजस्थान के हाडोती प्रांत में और स्थित है। बारां सुरम्य जंगली पहाड़ियों और झालावाड़ के ऐतिहासिक स्थल – झालावाड़ के टॉप 12 दर्शनीय स्थल झालावाड़ राजस्थान राज्य का एक प्रसिद्ध शहर और जिला है, जिसे कभी बृजनगर कहा जाता था, झालावाड़ को जीवंत वनस्पतियों हनुमानगढ़ का किला – हनुमानगढ़ ऐतिहासिक स्थल – हनुमानगढ़ पर्यटन स्थल हनुमानगढ़, दिल्ली से लगभग 400 किमी दूर स्थित है। हनुमानगढ़ एक ऐसा शहर है जो अपने मंदिरों और ऐतिहासिक महत्व चूरू का इतिहास, किला, पर्यटन, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। जिले को। द गोगामेड़ी का इतिहास, गोगामेड़ी मेला, गोगामेड़ी जाहर पीर बाबा गोगामेड़ी राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान की मान्यता राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों तेजाजी की कथा – प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला भारत में आज भी लोक देवताओं और लोक तीर्थों का बहुत बड़ा महत्व है। एक बड़ी संख्या में लोग अपने शील की डूंगरी चाकसू राजस्थान – शीतला माता की कथा शीतला माता यह नाम किसी से छिपा नहीं है। आपने भी शीतला माता के मंदिर भिन्न भिन्न शहरों, कस्बों, गावों सीताबाड़ी का इतिहास – सीताबाड़ी का मंदिर राजस्थान सीताबाड़ी, किसी ने सही कहा है कि भारत की धरती के कण कण में देव बसते है ऐसा ही एक गलियाकोट दरगाह राजस्थान – गलियाकोट दरगाह का इतिहास गलियाकोट दरगाह राजस्थान के डूंगरपुर जिले में सागबाडा तहसील का एक छोटा सा कस्बा है। जो माही नदी के किनारे श्री महावीरजी टेम्पल राजस्थान – महावीरजी का इतिहास यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैन धर्मावलंबियों के अनगिनत तीर्थ स्थल है। लेकिन आधुनिक युग के अनुकूल जो कोलायत मंदिर के दर्शन – कोलायत का इतिहास प्रिय पाठकों अपने इस लेख में हम उस पवित्र धरती की चर्चा करेगें जिसका महाऋषि कपिलमुनि जी ने न केवल मुकाम मंदिर राजस्थान – मुक्ति धाम मुकाम का इतिहास मुकाम मंदिर या मुक्ति धाम मुकाम विश्नोई सम्प्रदाय का एक प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। इसका कारण कैला देवी मंदिर करौली राजस्थान – कैला देवी का इतिहास माँ कैला देवी धाम करौली राजस्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहा कैला देवी मंदिर के प्रति श्रृद्धालुओं की ऋषभदेव मंदिर उदयपुर – केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर राजस्थान राजस्थान के दक्षिण भाग में उदयपुर से लगभग 64 किलोमीटर दूर उपत्यकाओं से घिरा हुआ तथा कोयल नामक छोटी सी एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर – एकलिंगजी टेम्पल हिस्ट्री इन हिन्दी राजस्थान के शिव मंदिरों में एकलिंगजी टेम्पल एक महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय मंदिर है। एकलिंगजी टेम्पल उदयपुर से लगभग 21 किलोमीटर हर्षनाथ मंदिर सीकर राजस्थान – जीणमाता मंदिर सीकर राजस्थान भारत के राजस्थान राज्य के सीकर से दक्षिण पूर्व की ओर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर हर्ष नामक एक रामदेवरा का इतिहास – रामदेवरा समाधि मंदिर दर्शन, व मेला राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम रूणिचा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक तीर्थ है। यह नाकोड़ा जी का इतिहास – नाकोड़ा जी भैरव चालीसा नाकोड़ा जी तीर्थ जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग के बलोतरा जंक्शन से कोई 10 किलोमीटर पश्चिम में लगभग केशवरायपाटन का मंदिर – केशवरायपाटन मंदिर का इतिहास केशवरायपाटन अनादि निधन सनातन जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनीसुव्रत नाथ जी के प्रसिद्ध जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र गौतमेश्वर महादेव मंदिर अरनोद राजस्थान – गौतमेश्वर मंदिर का इतिहास राजस्थान राज्य के दक्षिणी भूखंड में आरावली पर्वतमालाओं के बीच प्रतापगढ़ जिले की अरनोद तहसील से 2.5 किलोमीटर की दूरी ओसियां का इतिहास – सच्चियाय माता मंदिर ओसियां राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती जिले जोधपुर में एक प्राचीन नगर है ओसियां। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। डिग्गी कल्याण जी की कथा – डिग्गी धाम कल्याण जी टेम्पल डिग्गी धाम राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर टोंक जिले के मालपुरा नामक स्थान के करीब रणकपुर जैन मंदिर समूह – रणकपुर जैन तीर्थ का इतिहास सभी लोक तीर्थों की अपनी धर्मगाथा होती है। लेकिन साहिस्यिक कर्मगाथा के रूप में रणकपुर सबसे अलग और अद्वितीय है। लोद्रवा जैन मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ लोद्रवा जैन टेंपल भारतीय मरूस्थल भूमि में स्थित राजस्थान का प्रमुख जिले जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लोद्रवा अपनी कला, संस्कृति और जैन मंदिर गलताजी मंदिर का इतिहास – हिस्ट्री ऑफ गलताजी धाम जयपुर नगर के कोलाहल से दूर पहाडियों के आंचल में स्थित प्रकृति के आकर्षक परिवेश से सुसज्जित राजस्थान के जयपुर नगर के सकराय माता मंदिर या शाकंभरी माता मंदिर सीकर राजस्थान हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के सीकर जिले में सीकर के पास सकराय माता जी का स्थान राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बूंदी राजपूताना की वीर गाथा – बूंदी राजस्थान राजपूताना केतूबाई बूंदी के राव नारायण दास हाड़ा की रानी थी। राव नारायणदास बड़े वीर, पराक्रमी और बलवान पुरूष थे। उनके सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक भवनों का मोर-मुकुट चंद्रमहल है और इसकी सातवी मंजिल ''मुकुट मंदिर ही कहलाती है। जय निवास उद्यान जयपुर – जय निवास गार्डन राजस्थान की राजधानी और गुलाबी नगरी जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों और भवनों के बाद जब नगर के विशाल उद्यान जय तालकटोरा जयपुर – जयपुर का तालकटोरा सरोवर राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर प्रासाद और जय निवास उद्यान के उत्तरी छोर पर तालकटोरा है, एक बनावटी झील, जिसके दक्षिण बादल महल कहां स्थित है – बादल महल जयपुर जयपुर नगर बसने से पहले जो शिकार की ओदी थी, वह विस्तृत और परिष्कृत होकर बादल महल बनी। यह जयपुर माधो विलास महल का इतिहास हिन्दी में जयपुर में आयुर्वेद कॉलेज पहले महाराजा संस्कृत कॉलेज का ही अंग था। रियासती जमाने में ही सवाई मानसिंह मेडीकल कॉलेज 1 2 Next » भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल राजस्थान के प्रसिद्ध मेलेंराजस्थान के लोक तीर्थराजस्थान धार्मिक स्थलराजस्थान पर्यटन