You are currently viewing राधा कुंड यहाँ मिलती है संतान सुख प्राप्ति – radha kund mthura
राधा कुंड

राधा कुंड यहाँ मिलती है संतान सुख प्राप्ति – radha kund mthura

राधा कुंड :- उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर को कौन नहीं जानता में समझता हुं की इसका परिचय कराने की शायद की जरूरत हो । यह तो आप सभी जानते है कि इस शहर को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक रूप माना जाता है । यह पूरा शहर ही उनकी भक्ति और कृपा से भरा हुआ है । और यही पर वह स्थान है जिसकी हम बात करने जा रहे है यह स्थान गोवर्धन गिरधारी की परिक्रमा मार्ग पर है इस चमत्कारी स्थान को राधा कुंड के नाम से जाना जाता है । जिसके बारे में मान्यता है कि अगर निसंतान दम्पति अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि को इस पवित्र कुंड में एक साथ स्नान करें तो उन्हें संतान सुख प्राप्त हो सकता है । यहाँ निसंतान महिलाएं अपने बाल खोलकर राधा जी से संतान सुख का वरदान मांगती है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है

राधा कुंड की कहानी

केदारनाथ धाम का इतिहास

कुंड कि स्थापिता में एक कथा प्रचलित है कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने अरिष्टासुर नामक राक्षस को भेजा था । अरिष्टासुर बछड़े का रूप धारण कर श्रीकृष्ण की गायोँ में शामिल हो गया तथा गवालों को मारने लगा। श्रीकृष्ण ने बछड़े का रूप धारण किए अरिष्टासुर को पहचान लिया और उसका वध कर दिया । यह देखकर राधा ने कृण्ण से कहा उन्हें गौ हत्या का पाप लग गया है इस पाप से मुक्ति हेतु सभी तीर्थो के दर्शन करने चाहिए ।
राधा कुंड
राधा कुंड
इस देवर्षि नारद ने उपाय बताया की वह सभी तीर्थो को जल के रूप में आमंत्रित करें तथा उस जल से स्नान करने पर पाप से मुक्ति मिल जाएगी । देवर्षि के कहने पर श्रीकृष्ण ने अपनी बासुरी से एक कुंड खोदा तथा उसमें सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और कुंड में स्नान कर पाप मुक्त हो गए । उस कुंड को श्रीकृष्ण कुंड कहते है । श्रीकृष्ण के कुंड को देख राधा ने भी अपने कंगन से एक छोटा सा कुण्ड खोदा भगवान श्रीकृष्ण ने जब राधा द्वारा खोदे गये कुण्ड को देखा तो उन्होंने प्रतिदिन उसमें स्नान करने व उनके द्वारा बनाएं कुंड से ज्यादा प्रसिद्ध होने का वरदान दिया ।
राधा देवी द्वारा बनाया गया कुंड राधा कुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है अहोई अष्टमी की तिथि को इन कुंडो का निर्माण हुआ इन तिथि को यहाँ स्नान करने का अलग महत्व है। कृष्ण कुंड और राधा कुण्ड की अपनी अलग विशेषता है । दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला तथा (राधा कुंड) का जल सफेद दिखाई देता है । जोकि कृष्ण के काले रूप तथा राधा के सफेद रूप का प्रतीक है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ स्नान करने आते है।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

This Post Has One Comment

  1. Nk

    सराहनीय

Leave a Reply