राजनगर का किला किसने बनवाया – राजनगर मध्यप्रदेश का इतिहास इन हिन्दी
Naeem Ahmad
राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले मेंखुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा गाँव है। छतरपुर रियासत के तहत अठारहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान गांव एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र था। यह पन्ना के पास और महोबा खुजराहो मार्ग से जुड़ा हुआ है। हमहराज पुल मलहरा और बारीगढ़ से इस किले तक पहुंचा जा सकता है।
पहले राजनगर का किला चंदेलों के अधिकार में था।चंदेलों के पतन के बाद यह किला गौंडों के पास चला गया। तत्पश्चात राजनगर के किले पर तुर्कों और मुगलों का अधिकार रहा। जब पन्ना राज्य की स्थापना छत्रसाल के माध्यम से की गयी उस समय यह दुर्ग छत्रसालल के अधिकार में आ गया। पहले राजनगर फोर्ट, राजगढ़ के नाम से प्रसिद्ध था। इस स्थल में धमौनी के मुगल फौजदार से छत्रसाल का युद्ध हुआ। इस दुर्ग में मुगल सेनापति बहलोल मारा गया और उसकी सहायता करने वाले जागीरदार जगत सिंह को मौत के घाट उतार दिया, और उसका एक सरदार भी घायल अवस्था में भाग गया।
राजनगर का किला
यह घटना औरंगजेब के शासन काल की सन् 1681 की है। इस युद्ध के पश्चात औरंगजेब ने छत्रसाल से मित्रता करनी चाही और दक्षिण के लिये सहयोग मांगा तथा धमौनी परगना को 500 पैदल सैनिक और 500 सवार रखने की अनुमति प्रदान की किन्तु छत्रसाल औरंगजेब के प्रलोभन में नहीं आये और उन्होने औरंगजेब से संघर्ष जारी रखा।
राजनगर किले को उपदुर्ग की संज्ञा दी जा सकती है यह दुर्ग सुरक्षात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण था तथा इसके माध्यम से खजुराहो जाने वाले यात्रियों की भी सुरक्षा की जाती थी। यह दुर्ग ब्रिट्रिश शासन काल में भी छत्रसाल के वंशजो के हाथ में बना रहा। दुर्ग के दर्शनीय स्थल निम्नलिखित है-
1. किले का प्रवेशद्वार 2. दुर्ग के आवसीय स्थल 3. युद्ध स्मारक 4. दुर्ग के जलाशय