रसड़ा का मेला और नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलियाPost author:Naeem AhmadPost published:August 7, 2022Post category:भारत के प्रमुख त्यौहारPost comments:0 Commentsबलिया जिले का रसड़ा एक प्रमुख स्थान है। यहा नाथ संप्रदाय का प्रभाव है, जिसके कारण यहां नाथ बाबा का मंदिर बना हुआ है जहां क्वार दशमी के दिन मेला लगता है। रामलीला का यह मेला बडा प्रसिद्ध है जिसमें 25-30 हजार का जन-समूह उमड पडता है। गांव-देहात के लोग भी आते है। मनोरजन के साधनों में गीत, नाट्य, मदारी का खेल, जादू, कठपुतली का नाच उपलब्ध रहता है। Contents1 रसड़ा का धार्मिक महत्व2 रसड़ा का मेला3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-रसड़ा का धार्मिक महत्व रसड़ा को नाथ नगरी कहा जाता है। रसड़ा की पहचान ही नाथ बाबा के मंदिर से होती है। नाथ बाबा का यह प्रसिद्ध मंदिर व नाथ मठ लगभग 12 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। नाथ बाबा का पूरा नाम श्री अमरनाथ बाबा था बाद में यह नाथ बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। नाथ बाबा का मन बचपन से ही ईश्वर की भक्ति में लगा रहता था। यहां तक कि उनका अन्य किसी कामों में मन नहीं लगता था। एक दिन नाथ बाबा संसार की भीड़ भाड़ से विमुक्त होकर गन्ने के खेत में छुप गए। जिसका किसी को पता नहीं था, ऐसे ही कई दिन बीत गए। कहते हैं कि जब उस गन्ने के खेत की कटाई शुरू हुई तो उस खेत के गन्ने खत्म ही नहीं हो रहे थे। ऐसा लगता था की कुबेर का धन हाथ लग गया। किसी ने ईर्ष्या से उस गन्ने के खेत में आग लगा दी। सारा गन्ना जलकर राख हो गया। नाथ बाबा उस जलते गन्ने के खेत से सही सलामत वापस आ गए। बाबा महिनों बिना कुछ खाएं पिये सिर्फ गन्नों के सहारे रहे।नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलियाइस घटनाक्रम के बाद उनके घरवालों ने उन्हें अपनी इच्छानुसार जहां चाहे रहने की आजादी देदी। इसके बाद नाथ बाबा कई वर्षों तक तीर्थों का भ्रमण करते रहे। और फिर वापस रसड़ा आ गए। रसड़ा आकर श्री नाथ बाबा लोगों को आत्मज्ञान की शिक्षा देने लगे। धीरे धीरे उनकी ख्याति दूर दूर तक फेल गई। आसपास के गांवों के लोग उनके पास आते और अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते जिससे उनके कष्टों का निवारण होता। उसके बाद नाथ बाबा ने यहीं पर समाधि ले ली।श्री नाथ बाबा जी की समाधि के पास ही यहां पर श्री सुमार नाथ की समाधि है। वह एक सिद्ध महात्मा थे और वह नाथ बाबा मठ के प्रथम मठाधीश थे। नाथ बाबा मंदिर के समीप ही एक पवित्र सरोवर है जो नाथ सरोवर के नाम से जाना जाता है। इस सरोवर के तट पर अनेक देवी देवताओं के मंदिर भी है। श्री नाथ बाबा सरोवर के पश्चिमी तट पर कुछ संरचनाएं बनी हुई है। जिनके बारे में कहा जाता है कि यह सती जौहर स्मारक है। काशी नरेश बलवंत सिंह और यहां के सेंगर वंश के वीरों भी लगान वसूली को लेकर युद्ध हुआ था। जिसमें वीरगति को प्राप्त सेंगर वीरों की पत्नियों ने सामूहिक रूप से आग में कूद यहां जौहर किया था, और सती हो गई थी।रसड़ा का मेलारसड़ा के नाथ सरोवर पर प्रातः काल स्नान करने के लिए भक्तों की काफी भीड़ देखी जा सकती है। जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे छोटी काशी हो। इसलिए रसड़ा को छोटी काशी भी कहते हैं। इस स्थान पर वैवाहिक कार्यक्रम आदि होते रहते हैं। मंदिर के पास ही में राम नवमी का बहुत बड़ा मैदान है। जिसमें रामनवमी पर बड़ा प्रसिद्ध रसड़ा का मेला लगता है। रसड़ा का मेला बड़ा भव्य होता है। इसमें मनोरंजन के साधन के साथ साथ खरीदारी की बहुत सी दुकानें होती है। प्रशासन की और से रसड़ा के मेले में सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा इंतजाम होता है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- ओणम पर्व की रोचक तथ्य और फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में विशु पर्व, केरल के प्रसिद्ध त्योहार की रोचक जानकारी हिन्दी में थेय्यम नृत्य फेस्टिवल की रोचक जानकारी हिन्दी में theyyam festival केरल नौका दौड़ महोत्सव - केरल बोट रेस फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अट्टूकल पोंगल केरल में महिलाओं का प्रसिद्ध त्योहार तिरूवातिरा कली नृत्य फेस्टिवल केरल की जानकारी हिन्दी में मंडला पूजा उत्सव केरल फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अष्टमी रोहिणी केरल का प्रमुख त्यौहार की जानकारी हिन्दी में लोहड़ी का इतिहास, लोहड़ी फेस्टिवल इनफार्मेशन इन हिन्दी दुर्गा पूजा पर निबंध - दुर्गा पूजा त्योहार के बारें में जानकारी हिन्दी में तेजाजी की कथा - प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला मुहर्रम क्या है और क्यो मनाते है - कर्बला की लड़ाई - मुहर्रम के ताजिया गणगौर व्रत कथा - गणगौर क्यों मनाई जाती है तथा गणगौर व्रत विधि बिहू किस राज्य का त्यौहार है - बिहू किस फसल के आने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है हजरत निजामुद्दीन दरगाह - हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह का उर्स नौरोज़ त्यौहार का मेला - नवरोज त्योहार किस धर्म का है तथा मेला फूलवालों की सैर त्यौहार कब मनाया जाता है - फूलवालों की सैर का इतिहास हिन्दी में ईद मिलादुन्नबी कब मनाया जाता है - बारह वफात क्यों मनाते है और कैसे मनाते है ईद उल फितर क्यों मनाया जाता है - ईद किस महिने के अंत में मनाई जाती है बकरीद क्यों मनाया जाता है - ईदुलजुहा का इतिहास की जानकारी इन हिन्दी बैसाखी का पर्व किस दिन मनाया जाता है - बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है अरुंधती व्रत रखने से पराये मर्द या परायी स्त्री पाप से मुक्ति रामनवमी का महत्व - श्रीराम का जन्मदिन चैत्र रामनवमी कैसे मनाते हैं हनुमान जयंती का महत्व - हनुमान जयंती का व्रत कैसे करते है और इतिहास आसमाई व्रत कथा - आसमाई की पूजा विधि वट सावित्री व्रत की कथा - वट सावित्री की पूजा कैसे करते है गंगा दशहरा का महत्व - क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा की कथा रक्षाबंधन क्यों मनाते है - रक्षाबंधन पूजा विधि और रक्षा-बंधन की कथा नाग पंचमी कब मनायी जाती है - नाग पंचमी की पूजा विधि व्रत और कथा कजरी की नवमी कब और कैसे मनाते है - कजरी पूर्णिमा का व्रत और कथा हरछठ का व्रत कैसे करते है - हरछठ में क्या खाया जाता है - हलषष्ठी व्रत कथा हिंदी गाज बीज माता की कथा - गाज बीज माता का व्रत कैसे करते है और पूजा विधि सिद्धिविनायक व्रत कथा - सिद्धिविनायक का व्रत कैसे करते है तथा व्रत का महत्व कपर्दि विनायक व्रत - कपर्दि विनायक व्रत कैसे करते है और व्रत कथा हरतालिका तीज व्रत कथा - हरतालिका तीज का व्रत कैसे करते है तथा व्रत क्यो करते है संतान सप्तमी व्रत कथा पूजा विधि इन हिन्दी - संतान सप्तमी व्रत मे क्या खाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत कथा और महत्व - जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों रखा जाता है अहोई आठे व्रत कथा - अहोई अष्टमी का व्रत कैसे करते है बछ बारस पूजन कैसे करते है - बछ बारस व्रत कथा इन हिन्दी करमा पूजा कैसे की जाती है - करमा पर्व का इतिहास जइया पूजा आदिवासी जनजाति का प्रसिद्ध पर्व डोमकच नृत्य समारोह क्यों मनाया जाता है छेरता पर्व कौन मनाते हैं तथा छेरता नृत्य कैसे करते है दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भैरव जी मेला महराजगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश कामाख्या देवी मेला गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश तरकुलहा का मेला - तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर 1 2 Next » Tags: उत्तर प्रदेश के त्योहार, उत्तर प्रदेश के मेले, त्यौहार, मेलेRead more articles Previous Postअसेगा का मेला – शोकहरण महादेव मंदिर असेगा बलिया Next Postसिकंदरपुर का मेला – कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर Naeem Ahmad CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger You Might Also Like कजरी की नवमी कब और कैसे मनाते है – कजरी पूर्णिमा का व्रत और कथा August 19, 2021 कंतित शरीफ का उर्स व दरगाह मिर्जापुर उत्तर प्रदेश August 15, 2022 नाग पंचमी कब मनायी जाती है – नाग पंचमी की पूजा विधि व्रत और कथा August 18, 2021Leave a ReplyCommentEnter your name or username to commentEnter your email address to commentEnter your website URL (optional) Δ