रसड़ा का मेला और नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलिया Naeem Ahmad, August 7, 2022March 18, 2023 बलिया जिले का रसड़ा एक प्रमुख स्थान है। यहा नाथ संप्रदाय का प्रभाव है, जिसके कारण यहां नाथ बाबा का मंदिर बना हुआ है जहां क्वार दशमी के दिन मेला लगता है। रामलीला का यह मेला बडा प्रसिद्ध है जिसमें 25-30 हजार का जन-समूह उमड पडता है। गांव-देहात के लोग भी आते है। मनोरजन के साधनों में गीत, नाट्य, मदारी का खेल, जादू, कठपुतली का नाच उपलब्ध रहता है। Contents1 रसड़ा का धार्मिक महत्व2 रसड़ा का मेला3 हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- रसड़ा का धार्मिक महत्व रसड़ा को नाथ नगरी कहा जाता है। रसड़ा की पहचान ही नाथ बाबा के मंदिर से होती है। नाथ बाबा का यह प्रसिद्ध मंदिर व नाथ मठ लगभग 12 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। नाथ बाबा का पूरा नाम श्री अमरनाथ बाबा था बाद में यह नाथ बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। नाथ बाबा का मन बचपन से ही ईश्वर की भक्ति में लगा रहता था। यहां तक कि उनका अन्य किसी कामों में मन नहीं लगता था। एक दिन नाथ बाबा संसार की भीड़ भाड़ से विमुक्त होकर गन्ने के खेत में छुप गए। जिसका किसी को पता नहीं था, ऐसे ही कई दिन बीत गए। कहते हैं कि जब उस गन्ने के खेत की कटाई शुरू हुई तो उस खेत के गन्ने खत्म ही नहीं हो रहे थे। ऐसा लगता था की कुबेर का धन हाथ लग गया। किसी ने ईर्ष्या से उस गन्ने के खेत में आग लगा दी। सारा गन्ना जलकर राख हो गया। नाथ बाबा उस जलते गन्ने के खेत से सही सलामत वापस आ गए। बाबा महिनों बिना कुछ खाएं पिये सिर्फ गन्नों के सहारे रहे। नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलिया इस घटनाक्रम के बाद उनके घरवालों ने उन्हें अपनी इच्छानुसार जहां चाहे रहने की आजादी देदी। इसके बाद नाथ बाबा कई वर्षों तक तीर्थों का भ्रमण करते रहे। और फिर वापस रसड़ा आ गए। रसड़ा आकर श्री नाथ बाबा लोगों को आत्मज्ञान की शिक्षा देने लगे। धीरे धीरे उनकी ख्याति दूर दूर तक फेल गई। आसपास के गांवों के लोग उनके पास आते और अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते जिससे उनके कष्टों का निवारण होता। उसके बाद नाथ बाबा ने यहीं पर समाधि ले ली। श्री नाथ बाबा जी की समाधि के पास ही यहां पर श्री सुमार नाथ की समाधि है। वह एक सिद्ध महात्मा थे और वह नाथ बाबा मठ के प्रथम मठाधीश थे। नाथ बाबा मंदिर के समीप ही एक पवित्र सरोवर है जो नाथ सरोवर के नाम से जाना जाता है। इस सरोवर के तट पर अनेक देवी देवताओं के मंदिर भी है। श्री नाथ बाबा सरोवर के पश्चिमी तट पर कुछ संरचनाएं बनी हुई है। जिनके बारे में कहा जाता है कि यह सती जौहर स्मारक है। काशी नरेश बलवंत सिंह और यहां के सेंगर वंश के वीरों भी लगान वसूली को लेकर युद्ध हुआ था। जिसमें वीरगति को प्राप्त सेंगर वीरों की पत्नियों ने सामूहिक रूप से आग में कूद यहां जौहर किया था, और सती हो गई थी। रसड़ा का मेला रसड़ा के नाथ सरोवर पर प्रातः काल स्नान करने के लिए भक्तों की काफी भीड़ देखी जा सकती है। जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे छोटी काशी हो। इसलिए रसड़ा को छोटी काशी भी कहते हैं। इस स्थान पर वैवाहिक कार्यक्रम आदि होते रहते हैं। मंदिर के पास ही में राम नवमी का बहुत बड़ा मैदान है। जिसमें रामनवमी पर बड़ा प्रसिद्ध रसड़ा का मेला लगता है। रसड़ा का मेला बड़ा भव्य होता है। इसमें मनोरंजन के साधन के साथ साथ खरीदारी की बहुत सी दुकानें होती है। प्रशासन की और से रसड़ा के मेले में सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा इंतजाम होता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- ओणम पर्व की रोचक तथ्य और फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में विशु पर्व, केरल के प्रसिद्ध त्योहार की रोचक जानकारी हिन्दी में थेय्यम नृत्य फेस्टिवल की रोचक जानकारी हिन्दी में theyyam festival केरल नौका दौड़ महोत्सव - 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