रक्षाबंधन क्यों मनाते है – रक्षाबंधन पूजा विधि और रक्षा-बंधन की कथा Naeem Ahmad, August 17, 2021March 11, 2023 रक्षाबंधन:– श्रावण की पूर्णिमा के दिन दो त्योहार इकट्ठे हुआ करते है।श्रावणी और रक्षाबंधन। अनेक धर्म-ग्रंथों का मत है कि श्रावणी को ब्रह्मचारी ओर द्विजों को चाहिये कि ग्राम के समीप अच्छे तालाब या नदी के किनारे पर जाकर, उपाध्याय (गुरु) की आज्ञानुसार शास्त्राथ-विधि से श्रावणी-करम अवश्य करे। प्रारम्भ में शरीर की शुद्धि के लिये दूध, दही, घी, गोबर, और गोमूत्र इन पाँचों चीज़ों का पान करना चाहिये। पुनः शास्त्र-विधि से तैयार की हुई बेदी मे ,हविषान्न ( खीर, घी, शक्कर, जा आदि ) का विधिवत् हवन करना चाहिये। इसी के उपाकर्म कहते हैं। तदनन्तर जल-प्रवाह के सामने जल मे खड़े होकर तथा हाथ जोड़- कर सूर्य भगवान् का ध्यान और स्तुति करे। फिर अरुन्धती-समेत सप्त ऋषियों का पूजन करके दधि तथा सत्तू की आहुतियाँ दे। इसको उत्सर्जन करते है। रक्षाबंधन की धार्मिक कथा एक समय देवता और देत्यों मे लगातार बारह वर्ष तक घोर युद्ध होता रहा, जिसमे दैत्यों ने सम्पूर्ण देवताओं-समेत इन्द्र को विजय कर लिया। देत्यों से पराजित इन्द्र ने अपने गुरु बृहस्पति से कहा– इस समय न तो में यहाँ ठहरने मे समर्थ हूं और न मुझको भागने का अवसर है। अतः मुझे लड़कर प्राण देना अनिवार्य हो गया है। ऐसी बाते सुनकर इन्द्राणी बीच ही में बोल उठीं —पतिदेव ! आप निर्भय रहे मे एक ऐसा उपाय करती हूँ , जिससे अवश्य ही आपकी विजय होगी। रक्षाबंधन और श्रावणी पूर्णिमा प्रातःकाल ही श्रावणी पूर्णिमा थी। इन्द्राणी ने ब्राह्मणों के द्वारा स्वस्ति-वाचन कराकर इन्द्र के दाहिने हाथ में रक्षा की पेटली बाँध दी। रक्षाबंधन से सुरक्षित इंद्र ने जब देत्यों पर चढ़ाई की, तो दैत्यों को वह काल के समान दिखाई पड़ा, जिससे भयभीत होकर वे आप ही भाग गये। बुद्धिमान मनुष्य श्रावण शुक्ला पूर्णिमा के दिन प्रथम तो स्नान करे, पुनः देवता, पितर ओर सप्तर्षियों का तर्पण करे। दोपहर के बाद सूती व ऊनी वस्त्र लेकर उसमे चावल रखकर गॉठ लगावे ओर स्वर्ण के रंग के समान हल्दी या केशर मे रँगकर उसे एक पात्र मे रख दे। पुनः घर को गाबर से लिपवाकर ओर चावलों का चौक पुरवाकर उस पर घट की स्थापना करे। घट में अन्न भरा होना चाहिए। पीले वस्त्र मे सूत के लच्छे से लिपटी हुईं एक या अनेक चावल की पोटलियाँ रख दे। यजमान स्वयं पटा अथवा चौकी पर बैठे और शास्त्रलोक विधि से पुरोहित-द्वारा घट का पूजन कराये। पूजन के पश्चात् उस पोटली को यजमान के हाथ में बाँधे तथा परिवार के ओर लोगो के हाथों में भी बाँधे। इस प्रकार के रक्षाबंधन को वेदपाठी ब्राह्मण द्वारा ही कराना चाहिए। रक्षाबंधन के समय ब्राह्मण मंत्र बोले। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—– ओणम पर्व की रोचक तथ्य और फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में विशु पर्व, केरल के प्रसिद्ध त्योहार की रोचक जानकारी हिन्दी में थेय्यम नृत्य फेस्टिवल की रोचक जानकारी हिन्दी में theyyam festival केरल नौका दौड़ महोत्सव - केरल बोट रेस फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अट्टूकल पोंगल केरल में महिलाओं का प्रसिद्ध त्योहार तिरूवातिरा कली नृत्य फेस्टिवल केरल की जानकारी हिन्दी में मंडला पूजा उत्सव केरल फेस्टिवल की जानकारी हिन्दी में अष्टमी रोहिणी केरल का प्रमुख त्यौहार की जानकारी हिन्दी में लोहड़ी का इतिहास, लोहड़ी फेस्टिवल इनफार्मेशन इन हिन्दी दुर्गा पूजा पर निबंध - दुर्गा पूजा त्योहार के बारें में जानकारी हिन्दी में तेजाजी की कथा - प्रसिद्ध वीर तेजाजी परबतसर पशु मेला मुहर्रम क्या है और क्यो मनाते है - कर्बला की लड़ाई - मुहर्रम के ताजिया गणगौर व्रत कथा - गणगौर क्यों मनाई जाती है तथा गणगौर व्रत विधि बिहू किस राज्य का त्यौहार है - बिहू किस फसल के आने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है हजरत निजामुद्दीन दरगाह - हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह का उर्स नौरोज़ त्यौहार का मेला - नवरोज त्योहार किस धर्म का है तथा मेला फूलवालों की सैर त्यौहार कब मनाया जाता है - फूलवालों की सैर का इतिहास हिन्दी में ईद मिलादुन्नबी कब मनाया जाता है - बारह वफात क्यों मनाते है और कैसे मनाते है ईद उल फितर क्यों मनाया जाता है - ईद किस महिने के अंत में मनाई जाती है बकरीद क्यों मनाया जाता है - ईदुलजुहा का इतिहास की जानकारी इन हिन्दी बैसाखी का पर्व किस दिन मनाया जाता है - बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है अरुंधती व्रत रखने से पराये मर्द या परायी स्त्री पाप से मुक्ति रामनवमी का महत्व - श्रीराम का जन्मदिन चैत्र रामनवमी कैसे मनाते हैं हनुमान जयंती का महत्व - हनुमान जयंती का व्रत कैसे करते है और इतिहास आसमाई व्रत कथा - आसमाई की पूजा विधि वट सावित्री व्रत की कथा - वट सावित्री की पूजा कैसे करते है गंगा दशहरा का महत्व - क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा की कथा नाग पंचमी कब मनायी जाती है - नाग पंचमी की पूजा विधि व्रत और कथा कजरी की नवमी कब और कैसे मनाते है - कजरी पूर्णिमा का व्रत और कथा हरछठ का व्रत कैसे करते है - हरछठ में क्या खाया जाता है - हलषष्ठी व्रत कथा हिंदी गाज बीज माता की कथा - गाज बीज माता का व्रत कैसे करते है और पूजा विधि सिद्धिविनायक व्रत कथा - सिद्धिविनायक का व्रत कैसे करते है तथा व्रत का महत्व कपर्दि विनायक व्रत - कपर्दि विनायक व्रत कैसे करते है और व्रत कथा हरतालिका तीज व्रत कथा - हरतालिका तीज का व्रत कैसे करते है तथा व्रत क्यो करते है संतान सप्तमी व्रत कथा पूजा विधि इन हिन्दी - संतान सप्तमी व्रत मे क्या खाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत कथा और महत्व - जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों रखा जाता है अहोई आठे व्रत कथा - अहोई अष्टमी का व्रत कैसे करते है बछ बारस पूजन कैसे करते है - बछ बारस व्रत कथा इन हिन्दी करमा पूजा कैसे की जाती है - करमा पर्व का इतिहास जइया पूजा आदिवासी जनजाति का प्रसिद्ध पर्व डोमकच नृत्य समारोह क्यों मनाया जाता है छेरता पर्व कौन मनाते हैं तथा छेरता नृत्य कैसे करते है दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भैरव जी मेला महराजगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश कामाख्या देवी मेला गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश तरकुलहा का मेला - तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर सोहनाग परशुराम धाम मंदिर और सोहनाग का मेला 1 2 Next » भारत के प्रमुख त्यौहार त्यौहार