उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो आज भी बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बादशाह बीरबल की न्याय प्रियता व विनोदी स्वभाव की स्मृति दिलाता है। बीरबल का रंग महल कालपी के ऐतिहासिक भवनों में से एक है। इसे बीरबल का किला या बीरबल का महल के नाम से भी जाना जाता है।
रंग महल का इतिहास
राजा बीरबल का पुराना नाम महेश दास था जो कि एक ब्राहमण भाट थे, जिसको परशियन लोग बादफरोश कहते है। यह एक गरीब परन्तु दिल का साफ सुथरा व्यक्ति था जिसके अन्दर अनुमान लगाने की विशेष क्षमता थी। उसकी हिन्दी कवितायें बहुत अच्छी थी जिससे बादशाह अकबर ने ‘कविराम’ की उपाधि से विभूषित किया था तथा सदैव ही उसे अपने निकट रखता था।
डा० राजेन्द्र कुमार के अनुसार मथा के राजा रामचन्द्र ने महेश दुबे की कविताओं से प्रभावित होकर उसे कविराय की उपाधि से सम्मानित किया था। महेश दुबे बीरबल का जन्म कालपी की एक संकरी गली में हुआ था तथा वह जंगलों से लकड़ी बीनकर अपना जीविकोपार्जन किया करता था। यह अपनी गरीब माँ की अकेली सन्तान थे। श्री रूप किशोर टण्डन के अनुसार बीरबल का पहले का नाम महेशदास था, तथा ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। ये इसी कालपी नगर के रहने वाले थे। राजा रामचन्द्र द्वारा उन्हें कविराय की उपाधि से विभूषित किया गया था।
रंग महल कालपी
प्रो के०डी० वाजपेयी लिखते हैं कि बीरबल का जन्म स्थान कालपी नगर में रंग महल के नाम से अब भी विद्यमान है। श्री रूप किशोर टण्डन के अनुसार अकबर के समय में बीरबल ने कुछ महल अपने रहने के लिए निर्माण कराये थे उनमें से रंग महल का कुछ भाग अभी भी बना हुआ हैं। अकबर के नवरत्नो में प्रधान बीरबल कालपी के ही निवासी थे, जिनके रंग महल के भग्नावशेष अब भी विद्यमान है।
ज्योतिखरे के अनुसार सम्राट अकबर ने बीरबल को कालिन्जर राज्य का जागीरदार बनाकर उन्हें राजा बीरबल की पदवी दी थी। बीरबल का कालपी में जीर्ण शीर्णहालत में घर आज भी मौजूद है। कालिन्जर का जागीरदार बन जाने के पश्चात बीरबल ने कालपी में अपना निवास स्थान बनवाया।
अस्तु राजा बीरबल जिनका पुराना नाम महेशदास दुबे था, जन्म कालपी में सन 1528 में एक गरीब कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो कि जंगलों से लकड़ी बीनकर अपनी जीविका चलाते थे। वे एक कुशल कवि थे जिनकी कविताओं से प्रभावित होकर राजा रामचन्द्र द्वारा उन्हें कविराय की उपाधि से विभूषित किया गया। अकबर की सानिध्य में आने के पश्चात बीरबल को कालिंजर का जागीरदार बनाया गया और उसके पश्चात् बीरबल ने अपनी जन्मभूमि कालपी में अपना निवास बनवाया था जिसके भग्नावशेष के रूप में रंग महल आज भी विद्यमान है।
राजा बीरबल ने कार्लिंजर की जागीरदारी प्राप्त करने के पश्चात कालपी में अपना निवास स्थान बनवाया। उसने सात चौक का महल बनवाया तथा हाथी खाना तथा घुड़साल का भी निर्माण कराया। रंगमहल भवन तो अब टूट गया है परन्तु उसका दीवान खाना अब भी पुराने समय की याद दिलाता है। इसके आसपास अन्य भवन छिन्न भिन्न अवस्था मे पड़े दिखते है जो प्राचीन महत्ता को दर्शाते है।