मड़फा दुर्ग के रहस्य – जहां तानसेन और बीरबल ने निवास किया था Naeem Ahmad, July 6, 2021March 11, 2023 मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। भरतकूप मार्ग पर बरिया मानपुर के समीप दुर्ग एक पहाड़ी पर है। चन्देल शासन काल में इस दुर्ग का महत्वपूर्ण स्थान था। तथा दुर्ग के भग्नावशेष यहाँ आज भी उपलब्ध होते है। सुरक्षा की दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व था। तथा यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी सराहनीय है। यह दुर्ग कालिंजर से 26 कि0०0मी0० दूर उत्तर पूर्व में है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कच्चा रास्ता है तथा इसके थोडी दूर बघेलाबारी गाँव है। इस दुर्ग में चढ़ने के लिए तीन रास्ते है। पहला मार्ग उत्तर पूर्व से मानपुर गाँव से है। तथा दूसरा मार्ग दक्षिण पूर्व से सवारियाँ गाँव से है। तथा तीसरा मार्ग कुरहन गाँव से है। तथा ये मार्ग दक्षिण पश्चिम में है। मड़फा दुर्ग का इतिहास अब इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए एक ही द्वार बचा है। इस द्वार को हाथी दरवाजा के नाम से पुकारा जाता है यह द्वार लाल रंग के बलुवा पत्थर से निर्मित है। चन्देलों के दुर्ग और मन्दिर समस्त स्थलो पर इन्ही पत्थरों से निर्मित हुए थे यहाँ से कुछ दूरी पर खभरिया के समीप चन्देलकालीन दो मन्दिर मिलते होते है। तथा यहीं पर एक सरोवर है और उसके ऊपर छत है जो चार स्तम्भो से रूकी हुई है। मड़फा दुर्ग समुद्र तल से 378 मी0 की ऊचाई पर है, इसी दुर्ग के पश्चिमी किनारे पर एक अन्य तालाब है इसका निर्माण चट्टान काटकर किया गया है। तथा करहन दरवाजे के समीप कुछ चन्देलकालीन मन्दिर भी है। मड़फा दुर्ग की खोज अंग्रेज इतिहासकार ने 18वीं शताब्दी में की थी। और इसे मडफा नाम प्रदान किया था। इस दुर्ग में कालान्तर में बघेलों और बुन्देलों नरेशों का राज्य रहा। यहाँ का अन्तिम शासक हरवंश राय था जिसका पतन चचरिया युद्ध के पश्चात हुआ। यह युद्ध सन् 1780 में बाँदा के राजा और पन्ना के राजा के मध्य हुआ था। सन् 1804 में ब्रिटिश सैनिकों ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था। मड़फा दुर्ग के दर्शनीय स्थल इस दुर्ग के चारो ओर जंगल है। मड़फा दुर्ग में अनेक दर्शनीय स्थल है हाथी दरवाजे के सन्निकट भगवान शिव का एक विशालकाय मन्दिर है, जिसमें भगवान शिव की विशाल मूर्ति है, तथा उनके अनेक भुजाये है, तथा उन भुजाओं में अनेक प्रकार अस्त्र-शस्त्र भी है। तथा वे गले में नरमुण्डो की माला पहने हुए है। मड़फा दुर्ग थोडी दूर चलने पर एक सरोवर मिलता होता है जिसकी बनावट कालिंजर के स्वर्गारोहण ताल जैसी है तथा इसी के बगल में एक चन्देल कालीन मन्दिर है। इसमें कोई प्रतिमा नही है थोडी दूर चलने पर दो अन्य मन्दिर मिलते है। ये दोनो मन्दिर जैन धर्म से सम्बन्धित है। इन मन्दिरों के समीप जैन तीर्थाकरों की अनेक मूर्तियां है। यही से शोडी दूरी पर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर मिलते होते है इन मन्दिरों को यहाँ के लोग बारादरी के नाम से पुकारते है। ये मन्दिर पूरी तरह सुरक्षित नही है यहीं से थाडी दूर चलने पर दुर्ग से नीचे उतरने के लिए सीढ़िया लगी हुई है। सीढ़ियों के नीचे गौरी शंकर गुफा नामक एक स्थान है। यहाँ अनेक अर्थ निर्मित मूर्तियाँ है तथा साधू सन्तो की एक प्राकृतिक गुफा भी है। इतिहास के साक्ष्यों के अनुसार यह स्थल माण्डव ऋषि की तपस्थली थी तथा यही पर शकुनन्तला ने दुश्यन्त के संयोग से अपने पुत्र भरत को जन्म दिया था। यह स्थली कर्म कण्व ऋषि, यवन ऋषि, चरक ऋषि, और महाआर्धवर्ण की कर्म स्थली रही है। महाआर्धवर्ण व्यास के ससुर थे तथा उनकी पुत्री का नाम वाटिका था जो व्यास की पत्नी थी जब इस क्षेत्र में बघोेलों का शासन स्थापित हुआ उस समय यह बघेल नरेश ब्याघ्ठ देव की राजधानी रही। रामचन्द्र बघेल के शासनकाल तक यह क्षेत्र बघेलों के शासन के अर्न्तगत रहा बाद में रामचन्द्र बघेल ने इस क्षेत्र को मुगल बादशाह अकबर को दे दिया। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन और राजा बीरबल पहले रामचन्द्र बघोल के राज्य में भी मडफा में निवास किया करते थे। यह दुर्ग वास्तव में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दुर्ग था जो विभिन्न नरेशों के शासन के अधीन रहा। आज के समय मे मड़फा दुर्ग अपनी क्षीण अवस्था में है। अब यहां इसके सिर्फ भग्नावशेष ही देखने को मिलते है। जो इतिहास में रूची रखने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—– [post_grid id=”8089″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किले