You are currently viewing मोठ की मस्जिद किसने बनवाई कहानी और इतिहास
मोठ की मस्जिद

मोठ की मस्जिद किसने बनवाई कहानी और इतिहास

मोठ की मस्जिद जिसे मस्जिद मोठ भी कहा जाता है, नईदिल्ली के साउथ एक्सटेंशन द्वितीय के मस्जिद मोठ नामक गांव में स्थित है, पहले समय में मोठ की मस्जिद दिल्ली से बाहर दूर स्थित थी इसी कारण बहुत कम लोग इसे देखने जाते थे। शीत काल में इस मस्जिद मोठ को देखना अधिक उत्तम है। उस समय मोठ की मस्जिद को जाने के लिये दो मार्ग थे। प्रथम मार्ग यह था कि यदि हम तांगा या मोटर पर बैठकर कुतुब रोड (सड़क) से होकर जाएं तो हमें सफदरजंग का मकबरा और हवाई अड्डा मिलेता था उससे एक मील आगे सड़क के बाई ओर एक मोठ की मस्जिद का चिन्ह-स्तम्भ लगा हुआ है इस चिन्ह-स्तम्भ से एक कच्ची सड़क सीधे मस्जिद को जाती है।। यह मसजिद अपने नाम के ग्राम
मस्जिद मोठ में स्थित है। मोठ की मस्जिद को सिकन्दर लोदी के वज़ीर मियां बुहवा ने बनवाया था।

मोठ की मस्जिद की कहानी और इतिहास

कहते हैं कि एक दिन बादशाह अपने मंत्री के साथ नमाज, पढ़ने के लिये मस्जिद में गया। ठीक प्रार्थना के पूर्व एक पत्ती ने मोठ का एक बीज बादशाह के सामने गिरा दिया। बादशाह ने उसी के ऊपर सजदा किया। जब बादशाह सजदे से उठा तो वजीर ने मोठ का बीज देखा उसने उस बीज – को उठा लिया और अपने हृदय में विचारांश किया कि जिस बीज को बादशाह ने सजदा करके इतना सम्मान दिया उसे यूही न फेंक देना चाहिये। वज़ीर ने उसे बो दिया और फिर पौधे के जो बीज मिले उन्हें फिर बोया इस प्रकार धीरे धीरे इतना अधिक मोठ की उत्पत्ति वजीर ने की कि बेच कर वजीर ने बहुत सा धन एकत्रित कर लिया और फिर उसी धन से उसने मस्जिद बनवाई जिसका नाम करण वजीर ने बीज के नाम पर मोठ की मस्जिद रखा।

मोठ की मस्जिद
मोठ की मस्जिद

उस समय मस्जिद मोठ को जाने के लिये दूसरा पैदल मार्ग था। यह मार्ग सफदरजंग समाधि से जाता है। यह मार्ग उस समय खेतों के बीच होकर जाता है। हालांकि आजकल मस्जिद मोठ लगभग दिल्ली के मध्य में स्थित है, और उसके जाने के लिये अनेकों मार्ग है। अलीगंज के हाते के समीप है यह रास्ता कुतुब सड़क से अलग हो जाता है। उस समय यहां की भूमि बिलकुल साफ थी ओर खुले हुये मैदान में बड़े बड़े स्मारकों का समूह दिखाई पड़ता था। यह सय्यद-स्मारक कहलाते थे। मार्ग सीधा इन्हीं की ओर जाता था। इन्हीं स्मारकों से रास्ता मोठ की मस्जिद को जाता है। हालांकि वर्तमान में इन स्मारकों और मैदान रिहायशी मकान ही दिखाई देते हैं।

तैमूर के आक्रमण और मुग़लकाल के मध्यवर्ती समय में जो मस्जिदें भारतवर्ष में बनी हैं उनमें से सर्वोत्तम दो मस्जिदों में से एक मोठ की मसजिद ओर दूसरी शेरशाह की मसजिद है। मस्जिद में हम गांव वाले मार्ग से होकर एक सुंदर प्रवेश द्वार से घुसते है। प्रवेश द्वार में भिन्न भिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे पत्थर लगे हुए है। यह पत्थर लाल, नीले, काले, स्वेत आदि में भाँति भाँति रंगो के हैं। यह देखने में बड़े ही सुन्दर प्रतीत होते हैं। मोठ की मस्जिद का प्रवेश द्वार के मेहराब को देखने से पता चलता है कि उसके निर्माण में हिन्दू ओर मुसलमान दोनों प्रकार के शिल्पकारों ने कार्य किया है।

इस मस्जिद की छत से समस्त दिल्ली (प्राचीन तथा नवीन आठ नगर ) का अवलोकन होता था। एक ओर कुतुब मीनार, सिरी, विजयमंडल ओर चिराग दिल्ली दिखाई देते थे। नीचे आकाश ओर प्रथ्वी से मिले हुये भाग में तुगलकाबाद की दीवारें दिखाई पड़ती थी। गांव की ओर दृष्टि डालने पर हुमायूं का मक॒बरा, पुराना किला ओर खान-खाना का स्मारक दिखाई पड़ता था। नई दिल्‍ली की ओर देखने पर सफदरजंग का मकबरा, लोदियों के मकबरे और जामा मस्जिद आदि दिखाई पड़ते थे दिल्ली छोड़ कर कदाचित ही ओर किसी नगर में इतने स्मारक एक ही स्थान से दिखाई पड़ते हों। कई एक स्मारक वर्तमान में दिखाई पड़ते और कई आधुनिक विकास के साये में चिप गए हैं।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-

लाल किला के सुंदर दृश्य
यमुना नदी के तट पर भारत की प्राचीन वैभवशाली नगरी दिल्ली में मुगल बादशाद शाहजहां ने अपने राजमहल के रूप
जामा मस्जिद दिल्ली मुस्लिम समुदाय का एक पवित्र स्थल है । सन् 1656 में निर्मित यह मुग़ल कालीन प्रसिद्ध मस्जिद
हुमायूँ का मकबरा
भारत की राजधानी दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन तथा हजरत निजामुद्दीन दरगाह के करीब मथुरा रोड़ के निकटहुमायूं का मकबरास्थित है।
कुतुबमीनार के सुंदर दृश्य
पिछली पोस्ट में हमने हुमायूँ के मकबरे की सैर की थी। आज हम एशिया की सबसे ऊंची मीनार की सैर करेंगे। जो
Lotus tample
भारत की राजधानी के नेहरू प्लेस के पास स्थित एक बहाई उपासना स्थल है। यह उपासना स्थल हिन्दू मुस्लिम सिख
Asksardham tample
पिछली पोस्ट में हमने दिल्ली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कमल मंदिरके बारे में जाना और उसकी सैर की थी। इस पोस्ट
इंडिया गेट भारत की राजधानी शहर, नई दिल्ली के केंद्र में स्थित है।( india gate history in Hindi ) राष्ट्रपति
दिल्ली दर्शनीय स्थल के सुंदर दृश्य
यमुना नदी के किनारे पर बसे महानगर दिल्ली को यदि भारत का दिल कहा जाए तो कोई अनुचित बात नही
शीशगंज साहिब गुरूद्वारे के सुंदर दृश्य
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण गुरुद्वारा है जो सिक्खों के नौवें गुरु तेग बहादुर को समर्पित है।
दिल्ली के जैन मंदिर
दिल्ली भारत की राजधानी है। भारत का राजनीतिक केंद्र होने के साथ साथ समाजिक, आर्थिक व धार्मिक रूप से इसका
कालकाजी मंदिर दिल्ली
कालकाजी मंदिर दिल्ली के सबसे व्यस्त हिंदू मंदिरों में से एक है, श्री कालकाजी मंदिर देवी काली को समर्पित है,
गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दूर लोकसभा के सामने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित है। गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब की स्थापना
मोती बाग गुरुद्वारा साहिब
मोती बाग गुरुद्वारादिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। गुरुद्वारा मोती बाग दिल्ली के प्रमुख गुरुद्वारों में से
गुरुद्वारा मजनूं का टीला साहिब
गुरुद्वारा मजनूं का टीला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर एवं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी
बंगला साहिब गुरुद्वारा
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर की दूरी पर गोल डाकखाने के पास बंगला साहिब गुरुद्वारा स्थापित है। बंगला
हजरत निजामुद्दीन दरगाह
भारत शुरू ही से सूफी, संतों, ऋषियों और दरवेशों का देश रहा है। इन साधु संतों ने धर्म के कट्टरपन
देश राजधानी दिल्ली में स्थित फिरोज शाह कोटला किला एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो दिल्ली के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अंग
पुराना किला दिल्ली
पुराना किला इन्द्रप्रस्थ नामक प्राचीन नगर के राज-महल के स्थान पर बना है। इन्द्रप्रस्थ प्रथम दिल्ली नगर था। यहाँ कौरवों और
सफदरजंग का मकबरा
दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों में सफदरजंग का मकबरा या सफदरजंग की समाधि अपना एक अलग महत्व रखता है। मुगलकालीन स्मारकों
सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली
सफदरजंग के मकबरे के समीप सिकंदर लोदी का मकबरा स्थित है। यह आज कल नई दिल्ली में विलिंगटन पार्क में पृथ्वीराज
कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद दिल्ली
दिल्ली में विश्व प्रसिद्ध कुतुबमीनार स्तम्भ के समीप ही कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद है। इसे कुव्वतुल-इस्लाम मसजिद (इस्लाम की ताक़त वाली) अथवा
हौज खास दिल्ली
हौज खास राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक गांव है यह गांव यहां स्थित ऐतिहासिक हौज खास झील और और उसके किनारे
सीरी किला दिल्ली
दिल्ली में हौज़ खास के मोड़ से कुछ आगे बढ़ने पर एक नई सड़क बाई ओर घूमती है। वहीं पर
जंतर मंतर दिल्ली
दिल्ली में स्थित जंतर मंतर दिल्ली एक खगोलीय वैधशाला है। जंतर मंतर अथवा दिल्‍ली आवज़स्वेट्री दिल्‍ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट (सड़क
तुगलकाबाद किला
तुगलकाबाद किला दिल्ली स्थित तुगलकाबाद में स्थित है। शब्द तुग़लकाबाद का संकेत तुग़लक़ वंश की ओर है। हम अपने पिछले लेखों
लालकोट का किला
लालकोट का किला दिल्ली महरौली पहाड़ी पर स्थित है। वर्तमान में इस किले मात्र भग्नावशेष ही शेष है। इस पहाड़ी
कुतुब सड़क पर हौज़ खास के मोड़ के कुछ आगे एक लम्बा चौकोर स्तम्भ सा दिखाई पड़ता है। इसी स्तम्भ

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply