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मैराथन का युद्ध

मैराथन का युद्ध कब हुआ था – मैराथन की लड़ाई के कारण और परिणाम

ई.पू. पांचवीं-छठी शताब्दी में फारस के बादशाहों का बड़ा बोलबाला था। एजियन सागर (Aegean sea) के निकट के लगभग सभी क्षेत्रों पर उनका आधिपत्य था। इन क्षेत्रों में अधिकतर यूनानी उपनिवेश थे। जब डेरियस प्रथम (Darius l, 522-486 B.C) फारस का बादशाह बना तो इन क्षेत्रों में विद्रोह हो गया और कर मिलने बंद हो गये। तब एक बड़ी सेना लेकर डेरियस उन्हें सबक सिखाने के लिए एथेंस के उत्तर में स्थित मैराथन नामक स्थान पर जा पहुंचा लेकिन पराजित हुआ। यह समाचार लेकर फीडिपीडिज (Pheidippdes) नामक एक व्यक्तित चालीस किलोमीटर दूर एथेंस तक दौड़ता चला गया और थकान के कारण मर गया। उसी की याद में ओलिंपिक खेलों में मैराथन दौड़ आयोजित की जाती है। उसी मैराथन के मैदान में यह युद्ध हुआ जिसके कारण इस युद्ध को मैराथन का युद्ध या मैराथन की लड़ाई कहते हैं। अपने इस लेख में हम इसी मैराथन की लड़ाई का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:—-

मैराथन का युद्ध कब हुआ था? मैराथन का युद्ध किस किस के मध्य हुआ था? मैराथन के युद्ध में किसकी पराजय हुई? इस लड़ाई को मैराथन का युद्ध क्यों कहा जाता है? मैराथन युद्ध के क्या कारण थे? मैराथन का युद्ध का परिणाम?

मैराथन के युद्ध का कारण

फारस के बादशाह महान साइरस (Cyrus the great) ने 559 ई.प्‌. में मीडिया (Media), लीडिया (Lydia) को जीतने के बाद एशिया माइनर और बेबिलोन की भी अपने साम्राज्य में मिला लिया। उसकी मृत्यु के पश्चात्‌ भी इस साम्राज्य की विजयों का सिलसिला जारी रहा और मिस्र भी उसमें मिला लिया गया। 522 ई.पू. मे डेरियस प्रथम फारस का बादशाह बना। दस वर्ष पश्चात्‌ उसने एक बड़ी जल सेना लेकर सीथिया पर आक्रमण करने के लिए डैन्यूब नदी पर नावों का पुल बांध दिया। उस पुल पर वह स्वयं कुछ साथियों के साथ सबसे पहले चढ़ा और अपने एशिया के अनुयायी यूनानियो को कहा, ” मैं सीथिया पर आक्रमण करने जा रहा हूं! यदि मै साठ दिन तक लौट कर न आऊं तो तुम मझे मरा समझ कर पुल की तोड देना और अपने देश को लौट जाना। ”’ साठ दिन बीत गये किन्तु डेरियस न लौटा। एक दिन पता लगा कि डेरियस भागा हुआ लौट रहा है क्योंकि शत्रु उसके थोड़े से सैनिकों को पराजित कर उसका पीछा कर रहे थे। उस समय कुछ लोगो ने अनुयायी यूनानियो को पुल तोड़ देने की सलाह दी। हालाकि डेरियसयूनान का शत्रु था, फिर भी उन्होने इन बातों पर कोई ध्यान नही दिया। डेरियस पुल पार करके अपने देश में आ गया।

मैराथन का युद्ध
मैराथन का युद्ध

कुछ दिनों बाद डेरियस ने यूरोप-विजय का विचार किया ओर थ्रेस तथा मैसीडोनिया के यूनानी प्रदेशों को जीत लिया। इसी समय फारस में ही आयोना जैसे यूनानी प्रदेशों मे उसके विरुद्ध विद्रोह हो गया। एथेंस के लोगों ने ईरान के अधीनस्थ एक प्रसिद्ध नगर सारंडिस को आग लगा दी। इस घटना से डेरियस के भीतर क्रोध और प्रतिशोध का लावा फूट पडा। फलत: उसने कई लाख सेना एवं जलसेना लेकर एथेंस पर आक्रमण कर दिया। काले सागर के पास डैन्यूब नदी के दहाने तक उसकी सेना जा पहुंची। यूनानियो ने थोड़ा-बहुत प्रतिरोध किया किन्तु उसे दबा दिया गया। पीछे हटते-हटते एथेंसवासी ऐसे पहाड़ी अन्नात क्षेत्रो में चले गये, जहां सेना के निर्वाह के साधन मिलने असभव थे। इसलिए आक्रमणकारी डेरियस को निराश-मन वापस लौटना पड़ा। फिर भी थ्रेस विजय करके उसने वहां 80 हजार सेना तैनात कर दी।

मैराथन युद्ध का प्रारम्भ

ईरान की बढ़ती हुई शक्ति से आतंकित होकर यूनानियो ने ईरान के अधीनस्थ मिस्र तथा जैविलँन को विद्रोह के लिए उत्तेजित किया। आयोना को खुलेआम सहायता दी गयी। इस विद्रोह और उद्दंडता के दमन के लिए डेरियस ने पुनः यूनान पर आक्रमण करने की योजना बनायी। 490 ई.पू मे एथेंस के उत्तर मे स्थित मैराथन नामक स्थान पर इस युद्ध की शुरुआत हुई। मिल्टियाड्स ने 20,000 फारसी सेना के मुकाबले 11000 ऐथीनियायी सेना का नेतृत्व किया। फारसी सैनिक मैराथन जैसे समतल मैदान पर अपनी घुड़सवार सेना के सही उपयोग के प्रति विश्वस्त थे किन्तु एथेंस वासियों ने उन्हे यह अवसर ही नही दिया और अकस्मात्‌ उस समय आक्रमण कर दिया जब उनके लड़ाकू और जांबाज घोडें इधर-उधर गये हुए थे। यूनानी सेनाध्यक्ष मिल्टियाड्स ने देर तक युद्ध करने के बाद फारसी सेनाओ को मैराथन की लडाई मे पराजित कर दिया। डेरियस इतना दुखी हुआ कि कुछ दिनो बाद ही मर गया।

मैराथन युद्ध का परिणाम

मैराथन के युद्ध में मिली पराजय से डेरियस और भी क्रुद्ध हुआ और मृत्यु प्रत्यन यूनान को जीतने का प्रयास करता रहा किन्तु असफल रहा। इसके अतिरिक्त यूनान के छोटे-छोटे राज्यों ने आपसी मतभेदों को भुलाकर एक परिसंघ की स्थापना की और अपने को ईरानी दासता से मुक्त कर लिया।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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