मैडम कामा का जीवन परिचय – मैडम भीकाजी कामा इन हिन्दी Naeem Ahmad, May 9, 2018March 30, 2024 मैडम कामा कौन कौन थी? अपने देश से प्रेम होने के कारण ही मैडम कामा अपने देश से दूर थी। वे भारत से बाहर रहकर भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले क्रातिकारियो में से एक थी। वह विदेश रहकर भी भारत के क्रांतिकारियो की मदद करती थी। क्रांतिकारियो की मदद करने के कारण ही उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई थी। मैडम कामा उन दिनों फ्रांस में थी। तथा धनाभाव के कारण बडा कष्ट झेल रही थी। एक दिन उनके एक परिचित ने उनके पास कहा– आप तो संपन्न घराने की है। फिर इस तरह विदेशो में क्यो कष्टो की आग में जल रही है?कमला देवी चट्टोपाध्याय की जीवनी – स्वतंत्रता सेनानीमैडम भीकाजी कामा ने उत्तर दिया– आप जिसे कष्ट समझ रहे है, मै उसे कष्ट नही समझती।.मै उसे सुख समझती हूं। क्योकि उसके मूल में देशप्रेम और देशभक्ति है।भारत की स्वतंत्रता की कहानी को हम दो भागो में बांट सकते है। एक भाग तो वह है। जिसमे भारत के सपूत स्वतंत्रता के लिए शस्त्रो का अवलंबन लेते हुए दिखाई पडते है। तो दूसरे भाग में अहिंसा को मानने वाले है। मैडम कामा प्रथम भाग के क्रांतिकारियो में से थी। वे महान क्रांतिकारिणी थी। यद्यपि वे न तो गिरफ्तार हुई और न ही उन्हे कारागार का दंड भोगना पडा, वे उन क्रांतिकारियो में से थी जो भारत में संघर्ष कर रहे क्रांतिकारियो की आर्थिक मदद करके आपना महत्वपूर्ण योगदान भारत की स्वतंत्रता में देती थी। पर उन्होने विदेश में स्वतंत्रता के लिए कष्ट सहन करते हुए जो प्रयत्न किए थे। उनका मूल्य किसी जेल की सेवाओ से कम नही आंका जा सकता था। उनके देशप्रेम और उनकी देशभक्ति ने स्वतंत्रता के इतिहास में उन्हें अमर बना दिया है।मैडम कामा का जन्म कब हुआ – मैडम भीकाजी कामा का जन्म स्थान कहां है?मैडम भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 कोओ मुंबई में हुआ था। उनके पिता सोहराबजी फ्रामजी पटेल एक प्रसिद्ध व्ययापारी थे। वे बडे उदार और देशप्रेमी थे। उनकी मां सुशिक्षिता और ऊंचे विचारो की थी। मैडम कामा का पालन पोषण बडे लाड प्यार के साथ हुआ था। उन्होने अंग्रेजी में अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी। उनका विवाह एक प्रसिद्ध और धनी व्यापारी के, आर कामा के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात मैडम कामा का स्वास्थ खराब हो गया। कुछ दिनो तक उनकी चिकित्सा मुंबई में हुई। जब कुछ लाभ नही हुआ तो सन् 1902 में चिकित्सा के लिए वे यूरोप चली गई।उन्होने इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस की यात्रा की। वे अपनी इस यात्रा में कई ऐसे भारतीयो के संपर्क में आई, जो उन दिनो वहा रहकर भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न कर रहे थे।उन भारतीयो के जीवन का कामा के ह्रदय पर बहुत गहरा प्रभाव पडा। उनसे प्रभावित होकर वे भी देशभक्ति के मार्ग पर चलने लगी।मैडम कामा का काल्पनिक चित्रमैडम कामा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान उधर भारत में अंग्रेजो का दमनचक्र जोरो से चल रहा था। सन् 1905 में बंगाल के बंटवारे को लेकर क्रांति की आग जल उठी थी। अंग्रेज बंगाली युवको को फांसी पर चढाकर उस आग को बडी कठोरता के साथ बुझाने की कोशिश कर रहे थे। परिणाम यह हुआ की पूरे भारत में क्रांति की आग जल उठी। साथ ही अंग्रेजो का दमनचक्र भी पूरे भारत में फैल गया।सन् 1908 में बहुत से युवको को पकडकर जेलो में बंद कर दिया गया। सैकडो युवको को फांसी पर चढा दिया गया। और कई बडे नेताओ को गिरफ्तार करके काले पानी की सजा देकर अंडमान द्वीप पर भेज दिया गया।कमला नेहरू की जीवनी – कमला नेहरू का जीवन परिचयकामा ने इन सभी घटनाओ का बडे ध्यान से अध्ययन किया। उनके ह्रदय पर इन घटनाओ का बहुत बडा प्रभाव पडा। उन्होने उन भारतीय क्रांतिकारियो के साथ अपना संबंध स्थापित कर लिया। जो उन दिनो यहा रह रहे थे। वे फिर भारत लौटकर नही आई। वे यूरोप में ही रहकर भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने लगी। कामा यदि चाहती तो बडे सुख से जीवन व्यतीत कर सकती थी। उनके पति बहुत धनी व्यापारी थे। पर उन्होने सुखी दांपत्य जीवन को तिलांजलि देकर कांटो भरे रास्ते को चुना। उन्होने उन लोगो को अपना साथी बनाया, जो विदेशो में भूख प्यास से लडकर स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न कर रहे थे। कामा के सिर पर सदा तलवार लटकी रहती थी। गिरफ्तारी का सदैव भय बना रहता था। गुप्तचर सदा पीछे लगे रहते थे। पर कामा को बिल्कुल चिंता नही थी। उन्होने अपने आपको भारत मां के चरणो पर न्यौछावर कर दिया था। वे बडी वीरता और धैर्य के साथ कठिन से कठिन दुखो को झेलती हुई महाक्रांति के मार्ग पर अग्रसर होने लगी।इंदिरा गांधी की जीवनी, त्याग, बलिदान, साहस, और जीवन परिचयमैडम कामा ने इंग्लैंड, रूस, मिस्र, जर्मनी और आयरलैंड के क्रांतिकारियो के साथ अपना संपर्क स्थापित किया। उन्होने फ्रांस में रहकर भारत के क्रांतिकारियो के लिए हथियार भेजे। हथियार खिलौनो की पेटियों में बडी होशियारी के साथ छिपाकर भेजे जाते थे। उन्होने ऐसे भारतीयो के लिए एक छात्रवृति भी स्थापित की, जो विदेशो में जाकर पढने के लिए तैयार हो।सन् 1907 में जर्मनी में अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस हुई। मैडम कामा ने भारत के प्रतिनिधि के रूप में उसमें भाग लिया। उन्होने कॉन्फ्रेंस में बडा ओजस्वी और मार्मिक भाषण भी दिया। उन्होने अपने भाषण में बडे ही ह्रदयद्रावक शब्दो में भारत की गरीबी का चित्रण किया था। भाषण के पश्चात मैडम कामा ने भारत के राष्ट्रीय झंडे को फहराया था। जो हरे, पीले और लाल रंग का था। तथा जिसके बीच में “वंदे मातरम्” लिखा हुआ था। वह पहला अवसर था, जब भारत के तिरंगे झंडे को फहराया गया था। तिरंगे झंडे की कल्पना सर्वप्रथम कामा के ही मस्तिष्क में उत्पन्न हुई थी। और उन्ही के द्वारा वह पहली बार फहराया भी गया था। इसी दृष्टि से कामा के जीवन को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आज जिस तिरंगे झंडे को गौरव प्राप्त है, वह कामा के ही मस्तिष्क की उपज है।कॉन्फ्रेन्स के बाद कामा ने अपना यह नियम बना लिया था। वे जहां भी भाषण करने जाती, तिरंगे झंडे को अवश्य फहराया करती थी। उनके ही कारण अंतर्राष्ट्रीय जगत में तिरंगे झंडे को ख्याति प्राप्त हुई थी।इन्ही दिनो पार्लियामेंट का चुनाव हुआ। दादाभाई नौरोजी पार्लियामेंट की सदस्यता के लिए खडे हुए थे। कामा ने इंग्लैंड जाकर उनके पक्ष में प्रचार किया। बहुत सी सभाओ में भाषण दिए। फलस्वरूप नौरोजी को विजय प्राप्त हुई।इन्ही दिनो कामा अमेरिका गई। उन्होने अमेरिका में कई भाषण दिए। उन्होने अपने भाषण में भारत की गरीबी का चित्र खींचा ही, साथ ही अंग्रेजो के अत्याचारो का भी वर्णन किया था। उनके भाषणो का अमेरिकी जनता पर बहुत प्रभाव पडा। और अमेरिका की जनता भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में सोचने और विचार करने लगी।इंदिरा गांधी की जीवनी, त्याग, बलिदान, साहस, और जीवन परिचयफिर कामा अमेरिका से लंदन गई। उन्होने सन् 1908 में एक विज्ञप्ति प्रकाशित की। उस विज्ञप्ति में उन्होने लिखा था– हम हिंदू, मुसलमान, पारसी और सिख– चाहे जो हो, पर हम सब भारतीय है। भारत की स्वतंत्रता के लिए हमे आपस में मिल जाना चाहिए।कामा ने अपनी विज्ञप्ति विदेशो में रहने वाले भारतीयो के पास भेजी। उनका एकता में दृढ़ विश्वास था। वे कहा करती थी– हमें हर प्रकार से अंग्रेजो का बहिष्कार करना चाहिए। यदि हम अंग्रेजी सरकार की नौकरी न करें, तो भारत में अंग्रेजो का राज्य करना कठिन हो जाएगा।मैडम कामा बडे ऊंचे विचारो की थी। वे अपने देश का कल्याण तो चाहती ही थी, साथ ही संसार के सभी मनुष्यो का कल्याण भी चाहती थी। वे कहा करती थी– “वह दिन कब आएगा, जब मैं कहूंगी, संसार के सभी लोग मेरे कुटुंब के है। पर उस दिन के आने से पूर्व मैं चाहूंगी कि संसार के सभी परतंत्र राष्ट्र स्वतंत्र हो जाएं”।कामा की विज्ञप्तियो भाषणो और पर्चो से भारत सरकार सजग हो उठी। उसने उनकी विज्ञप्ति के भारत आने पर रोक लगा दी। जो भी डाक समुद्री मार्ग से आती थी। उसकी बडी छानबीन की जाती थी। फिर भी कामा के पार्सल और चिट्ठठियां पांडिचेरी पहुंचती रही। अंग्रेज सरकार को जब पता चला तो वह और कुपित हो उठी। उसने कामा को फरार घोषित करके उनकी एक लाख की संपत्ति जब्त कर ली। अंग्रेज सरकार को इतने से ही संतोष नही हुआ। वह फ्रांस की सरकार पर भी दवाव डालने लगी कि कामा को वहा न रहने दिया जाए। कामा स्थाई रूप से फ्रास में रहती थी। अंग्रेज सरकार के दबाव का कुछ भी परिणाम नही निकला। फ्रांस की सरकार सजग हो उठी उसने अपने देश से कामाआ को बाहर नही निकाला।कामा फ्रांस में रहकर भारत में क्रांति के लिए प्रयत्न करने लगी। सन् 1914 में मैडम कामा पर यह आरोप लगाया गया कि वे फ्रांस में रहकर अंग्रेज सरकार को उलटने का षडयंत्र कर रही है। अंग्रेजो के दबाव में फ्रांस सरकार ने कामा पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें यह आदेश दिया गया की वे प्रतिदिन शाम को पुलिस स्टेशन अपनी हाजरी दिया करें। विवश होकर मैडम कामा को फ्रास सरकार का हुक्म मानना पडा। क्योकि उन्हें फ्रांस में रहकर भारत की स्वतंत्रता के लिए अलख जगाना था।उन दिनो अमेरिका से कई भाषाओ में गदर नामक समाचार पत्र छपता था। कामा ने गदर की बहुत सी प्रतियां गुजराती में छापी और उन्हें भारत के क्रांतिकारीयो के पास भेजा। उनमे क्रांतिकारियो को क्रांति के लिए उत्साहित किया गया था।हमारे यह लेख भी जरूर पढे—भीमाबाई की जीवनीबेगम हजरत महल का जीवन परिचयझांसी की रानीउधर कामा ने रूसी क्रांतिकारियो से अपना संबंध स्थापित किया था। समाजवाद की प्रेरणा उन्होनै रूसी क्रांतिकारियो से ही ली थी। फ्रांस की राजधानी पेरिस में उन्ही के प्रयत्नो से समाजवादियो की संस्था स्थापित हो चुकी थी। वे भारत में भी समाजवादी शासन चाहती थी। वे कहा करती थी- जब तक गरीबो और मजदूरो में जागरण पैदा नही किया जाएगा, भारत में अंग्रेजो का शासन बना रहेगा। अत: आवश्यक है कि मजदूरो और मालिको को एक धरातल पर लाया जाए।मैडम कामा ने एक समाचार पत्र भी निकाला था जिसका नाय वंदेमातरम् था। वंदेमातरम् कई भाषाओ में छपता था। उसकी बहुत सी प्रतियां भारत में भेजी जाती थी। कामा स्वयं वंदेमातरम् का संपादन करती थी। उन्होने एक अंक में लिखा था- हमे पहले हब्शियो की श्रेणी में रखा जाता था। पर आज हमें क्रांति के कारण रूसियो और आयरिशो की श्रेणी में रखा जा रहा है। वह दिन शीघ्र ही आने वाला है। जब भारत स्वतंत्र हो जाएगा। और हम संसार के बडे से बडे देश की श्रेणी में रखे जाएंगें।चक्रवर्ती विजयराघवाचार्य का जीवन परिचय हिन्दी मेंकामा ने रूसी लेखक गोर्की से संबंध स्थापित किया, जो धीरे धीरे प्रगाढ हो गया। गोर्की के अनुरोध पर उन्होने भारतीय नारियो पर एक लेख भी लिखा था। जो गोर्की के समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था। कामा रूसी साहित्य से बहुत प्रभावित हुई थी। वे चाहती थी कि भारत में भी रूस की तरह क्रांति हो, और अंग्रैजो के राज्य की जगह मजदूरो का राज्य स्थापित हो। कामा दिन रात काम में लगी रहती थी। उन्हे अपने खाने पीने की भी चिंता नही थी। उनके पास अब धन भी नही रह गया था। भारत के जो क्रांतिकारी और देशभक्त नेता पेरिस जाते थे, वे कामा के ही पास ठहरते थे। मैडम कामा उनकी हर प्रकार से सहायता करती थी।परिणाम यह हुआ की वे अर्थाभाव की आग में जलने लगी। उनका स्वास्थ खराब हो गया। वे बीमार पड गई। उनकी कठिन बीमारी ने भारत के नेताओ को चिंतित कर दिया। भारत के नेताओ ने अंग्रेज सरकार पर दबाव डाला की वह मैडम भीकाजी कामा को भारत आने की अनुमति दे। आखिर अंग्रेज सरकार को झुकना पडा। उसने बीमार कामा पर लगा प्रतिबंध हटा लिया।सन् 1936 में कामा लौटकर भारत आई। जनता ने हर्ष और उल्लास के साथ उनका स्वागत किया। पर थोडे ही दिनो बाद वह हर्ष आंसुओ में बदल गया। 13अगस्त 1936 में मैडम कामा ककी मृत्यु हो गई। भारत के जन जन मे वे इस समय भी विद्यमान है। उनकी देशभक्ति ने उन्हें अमर बना दिया।लाला लाजपत राय का जीवन परिचय हिन्दी मेंमैडम कामा का जीवन परिचय पर आधारित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा आप हमे कमेंट करके बता सकते है। यह जानकारी आप अपने दोस्तो के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते हैहमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:–[post_grid id=”6215″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत की महान नारियां जीवनीसहासी नारी