मेरठ उत्तर प्रदेश एक प्रमुख महानगर है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मेरठ एक प्राचीन नगर है। अपने इस लेख में हम इसी प्राचीन नगर मेरठ के दर्शनीय स्थल, मेरठ के पर्यटन स्थलो के बारे में विस्तार से जानेगें। वैसे तो मेरठ शहर कोई खास पर्यटन क्षेत्र नही है। लेकिन फिर भी इस प्राचीन नगर में कई ऐतिहासिक स्थल है जिनके दर्शन किए जा सकते है। मेरठ में भारतीय सेना की सैन्य छावनी भी है। जो कैंट क्षेत्र कहलाता है।
मेरठ महानगर में श्री औघड़नाथ शिव मन्दिर एक प्राचीन सिद्धिपीठ है। जहाँ प्राचीन काल से शिव का आराधनकर जन-जन आत्मकल्याण करीता रहता है। इस मन्दिर में स्थापित लधुकाय शिवलिंग स्वयंभू हैं। जो सद्य फलप्रदाता हैं। तथा अन्नतकाल से भक्तों मनोकामनायें पूर्ण करने वाले औघड़दानी शिवस्वरूप हैं। इसी कारण इसका नाम औघड़नाथ शिव मन्दिर पड़ गया। परतन्त्र काल में भारतीय सेना को काली पल्टन कहते थे। यह मन्दिर काली पल्टन क्षेत्र में अवस्थित होने से काली पल्टन मन्दिर के नाम से भी विख्यात है। इस मन्दिर की स्थापना का कोई निश्चित समय उपलब्ध नहीं है। जनश्रुति के अनुसार, यह मन्दिर सन् 1857 से पूर्व ख्याति प्राप्त श्रद्धास्पद वन्दनीय स्थल के रूप में विद्यमान था। वीर मराठों के समय में अनेक प्रमुख पेशावा विजय यात्रा से पूर्व इस मन्दिर में उपस्थित होकर बड़ी श्रद्धा से प्रलयंकर भगवान शंकर की उपासना एवं पूजा किया करते थे। और उनकी मनोकामनायें पूर्ण हुआ करती थी । भारत के प्रथम स्वातन्त्रय संग्राम (1857) की भूमिका में इस देव-स्थान का प्रमुख स्थान रहा है। सुरक्षा एवं गोपनीयता के लिए उपयुक्त शान्त वातावरण के कारण अग्रेजों ने यहाँ सेना का प्रशिषण केन्द्र स्थापित किया था। भारतीय पल्टनों के निकट होने के कारण इस मन्दिर में अनेक स्वतंत्रता सेनानी आते, ठहरते तथा भारतीय पल्टनों के अधिकारियों से गुप्त मन्त्रणायें किया करते थे। यह स्थान मेरठ के दर्शनीय स्थल में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
मेरठ के दर्शनीय स्थलो के सुंदर दृश्य
सुरज कुंड पार्क
सुरज कुंड पार्क मेरठ के दर्शनीय स्थल मे यात्रा करने के लिए बहुत बढ़िया जगह है, सूरज कुंड पार्क के बीच में एक झील है। पार्क में बहुत सारी हरियाली है, पार्क की सफाई सबसे अच्छी है। पारिवार के साथ कुछ समय बिताने के लिए बहुत बढ़िया जगह। सूरज कुंड पार्क इलाका एक पुराना क्षेत्र है जिसे अच्छी तरह से बनाए रखा गया है। हर साल दुशहरा पर इसके पास एक मेला आयोजित किया जाता है। यहां बड़ी सभा देखी जाती है। दशहरा त्यौहार पर रावण की प्रतिमा जल जाती है और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते है। सूरज कुंड का निर्माण एक व्यापारी, लॉर जवाहर लाल ने 1714 में किया था। प्रारंभ में, तालाब आबू नाला के पानी से भर गया था और बाद में, यह गंगा नहर के पानी से भरा था। सूरज कुंड कई प्राचीन मंदिरों से घिरा हुआ है, जिसमें मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित प्रसिद्ध बाबा मनोहर नाथ मंदिर भी शामिल है।
मुस्तफा कैसल
मेरठ के दर्शनीय स्थल में यह एक ऐतिहासिक इमारत है। जिसको नवाब मौहम्मद इश्हाक खान ने अपने पिता नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता की याद मे इसका निर्माण 1896/18 9 7 में शुरू हुआ कराया था और यह इमारत 1 9 00 में पूरी हो गई थी। नवाब मोहम्मद इश्क खान केे पिता, नवाब मुस्तफा खान शेट्ता न फारसी और उर्दू महान कवि थे। नवाब मुहम्मद इश्क खान ने 30 एकड़ भूमि पर खुद इस इमारत और प्रोजेक्ट तैयार किया था। यह उन सहायकों की मदद से डिजाइन किया गया था जिनके पास ब्रिटिश सेना के लिए बैरकों के निर्माण में काफी अनुभव था। नवाब ने मुस्तफा कैसल के निर्माण में वास्तुकला की कई शैलियों का मिश्रण किया। यह ब्रिटिश बंगलों की तरह सुविधाएं प्रदान करता है।
मनसा देवी का यह मंदिर मेरठ मेडिकल कॉलेज के पास स्थित है। देवी दुर्गा को समर्पित यह स्थान एक सिद्धपीठ है। लोगो की मान्यता है की यहा देवी की पूजा अर्चना करने से देवी भक्तो की इच्छाओ को पूर्ण करती है। नवरात्रो के दिनो में यहा भक्तो की काफी भीड रहती है।
शहीद स्मारक
मेरठ के सबसे पुराने स्मारकों में से एक शाहिद स्मारक, जिसकी ऊंचाई में 30 मीटर की है और यह संगमरमर से बना है। यह युद्ध स्मारक मेरठ में वेस्टेंड रोड के पास स्थित है।
गांधी पार्क
गांधी पार्क मेरठ जैसे भीड भाड वाले शहर में हरियाली से भरा एक पार्क है। गर्मीयो में राहत पाने का भी एक अच्छा स्थान है। यह स्थानीय रूप से कंपनी गार्डन के रूप में जाना जाता है, यह छावनी क्षेत्र में स्थित है और ब्रिटिशों के लिए एक समय पसंदीदा मनोरंजक स्थान माना जाता था। गांधी पार्क में वनस्पति ककीहरियाली और विविध संपत्ति आपको एक अलग दुनिया में ले जायेगी। पार्क अपने वनस्पति उद्यान, बच्चों के पार्क और हर शाम को होने वाले संगीत फव्वारे के लिए भी प्रसिद्ध है। यह एक लंबे दिन की कड़ी मेहनत के बाद कुछ सकून के पल गुजारने के लिए एक आदर्श स्थान है। मेरठ के दर्शनीय स्थल में काफी प्रसिद्ध है। लोकल के लोग अक्सर यहा सुबह शाम जॉगिंग और वाकिंग के लिए आते है।
सेंट जॉन बैपटिस्ट चर्च
सेंट जॉन द बैपटिस्ट, या जॉन्स चर्च, उत्तर भारत के चर्च के बिशप में एक पैरिश चर्च है, और भारत के मेरठ स्थित है। चर्च भवन 1819 से 1821 तक बनाया गया था और उत्तर भारत में सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च के पास सेंट जॉन चर्च कब्रिस्तान है। मैदानों में पेड़ और हरियाली होती है। इस की स्थापना 181 9 में स्थानीय सेना में स्थित सैन्य सेना की सेवा के लिए की गई थी। इसके संस्थापक ब्रिटिश सेना चैपलैन थे, रेव हेनरी फिशर, इंग्लैंड की एक चर्च में पादरी थे , जो भारत के मेरठ में तैनात थे। सेंट जॉन द बैपटिस्ट का पैरिश चर्च भारत के उत्तरी छोर में सबसे पुराना चर्च भवन है। इसमें अभी भी एक विशाल लेकिन गैर-कार्यशील पाइप अंग है, जो हवा के साथ अंग की आपूर्ति के लिए मैन्युअल रूप से संचालित बेलो को नियोजित करता है। लकड़ी के प्यूज़ और घुटनों, पीतल ईगल लेक्टर्न, संगमरमर की बपतिस्मा, और दाग़े हुए गिलास खिड़कियां लगभग दो शताब्दियों की तारीखें बयां करते है। मेरठ के दर्शनीय स्थल में यह चर्च काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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