मुबारक महल कहां स्थित है – मुबारक महल सिटी प्लेस Naeem Ahmad, September 12, 2022February 20, 2024 राजस्थान की राजधानी जयपुर के महलों में मुबारक महल अपने ढंग का एक ही है। चुने पत्थर से बना है, किंतु इसके बहिरंग की छटा उन काठ के मकानों जैसी है जो काठमाण्डु या गंगटोक मे देखे जाते है। यह प्रभाव पत्थर को तराश कर उसमे बारीक कराई द्वारा पैदा क्या गया है। दो मंजिले मुबारक महल का अन्तरंग जयपुर के अन्य मकानों जैसा ही है, पलस्तर से परिपूर्ण या फिनिश्ड, पर सुदृढ़ और सुरुचिपूर्ण। मुबारक महल की पूरी इमारत में किवाडों की जोडियां भी ऐसी लगी है कि अन्तरंग और बहिरंग के शिल्प से पूरा मेल खाती है।मुबारक महल सिटी प्लेस जयपुरमुबारक महल जयपुर नगर के ऐतिहासिक भवनों में सबसे नया है। महाराज माधोसिंह (1880-1922) ने यह अपने मेहमानों के उपयोग के लिये बनवाया था। बाद में इसमें जयपुर रियासत का महकमा खास भी रहा और अब इसकी ऊपरी मंजिल में जयपुर सवाई मानसिंह संग्रहालय का वस्त्र विभाग हैं और नीचे इस संग्रहालय ओर पोथीखाने के अधिकारीगण बैठते है। जिस विशाल चौक के बीचो-बीच यह महल है, उसके उत्तर-पूर्वी कोने में समधर आवाज की घडियो वाला घंटाघर है, जो एक कुएं के ऊपर बना है। यह महाराजा रामसिंह ने बनवाया था।त्रिपोलिया गेट का निर्माण किसने करवाया थादक्षिण की ओर त्रिपोलिया के ठीक सामने एक विशाल द्वार है, पूरबिया की ड्योढी। पूर्व की ओर ऐसा ही विशाल दरवाजा गडा की ड्योढी’ कहलाता हैं। वी एल धामा का मानना था कि कभी यहां गडा रहता था, किन्तु ठाकुर हरनाथ सिंह ने अपनी पुस्तक में लिखा हैं कि इस द्वार का सम्बन्ध गडे से जोडना भ्रान्ति है। वास्तव में गेडा ‘ लफगडार” शब्द का विकृत रूप है जिसका अर्थ होता है घरेलू नौकर। यह पंक्ति युक्त भी लगता है, क्योंकि इस दरवाजे के बाहर कभी ज्योतिष यन्त्रालय के समानातर खोजो या नादरों की हवेलिया थी। मिर्जा इस्माइल के समय (1941 -44 ) में ये सभी हवेलिया धराशायी कराई गई थी क्योंकि ये यन्त्रालय की आड बनी हुई थी। इस द्वार को औपचारिक रूप से वीरेन्द्र पोल भी कहते है।मुबारक महल सिटी प्लेस जयपुरमुबारक महल को सरवता या सर्वंतोभद्र प्रासाद से जोडता है राजेन्द्र पोल नामक दरवाजा। इसे ‘सरहद की ड्योढी’ भी कहा जाता है। इस दरवाजे के निर्माण मे संगमरमर का प्रचूर प्रयोग किया गया हैं ओर इसकी दीवारों तथा मेहराब मे दर्शनीय नक्काशी है। सर्वतोभद्र तो सवाई जयसिंह ने ही बनवा दिया था ओर उसमे प्रवेश के लिए इसी स्थान पर सरहद की ड्योढी भी थी। जब मुबारक महल बना तो उस पुराने और सीधे-सादे प्रवेश द्वार को राजप्रासाद के अनुरूप नही समझा गया और यह नया द्वार बनवाया गया। दरवाजा क्या है पुरी इमारत या महल है। इसमे दोनो और मेहराबदार दालान बन है और बाहर की ओर संगमरमर के झरोखे झांकते है जिनसे इसकी भव्यता बहुत बढ गई है।चंद्रमहल सिटी पैलेस जयपुर राजस्थानजयपुर अपने पीतल के काम के लिए प्रसिद्ध है ओर राम सिंह के समय में ही महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट्स ने इसमे बडी ख्याति पा ली थी। राजेन्द्र पोल जितनी दर्शनीय है, उतने ही दर्शनीय इसके विशाल कपाट है जिन पर पीतल की दर्शनीय सजावट है। अपने शिल्प सौन्दर्य और अलकृत शोभा के कारण राजेन्द्र पोल सचमुच राजसी है। इससे एक और मुबारक महल तथा दूसरी ओर सर्वतोभद्र, दोनो की सुन्दरता और भव्यता में वृद्धि होती है।जयपुर पर्यटन स्थल – जयपुर टूरिस्ट प्लेस – जयपुर सिटी के टॉप 10 आकर्षणराजेन्द्र पोल के बाहर दोनो ओर संगमरमर के हाथी खडे है जिन पर महावत भी सवार है। जिन सिलावटो ने यह हाथी बनाये उन्हे इस पशु की शरीर रचना और राज-दरबारो मे किये जाने वाले श्रृंगार का पूरा ज्ञान था। तभी ऐसी हूबहू आकृतिया बनी। यह हाथियों का जोडा यहां दिवगत महाराजा मान सिंह ने ने अपने प्रथम पुत्र महाराज कुमार (अब कर्नल) भवानीसिंह के जन्मोत्सव के अवसर पर रखवाया था।एनी बेसेंट का जीवन परिचय हिन्दी मेंमहाराजा मानसिंह ने ही मुबारक महल के चौक मे पश्चिम की ओर एक लम्बी दीर्घा बनवाना आरंभ किया था जिससे जयपुर नरेश संग्रहालय की विविध वस्तओं को अधिक अच्छे ढग से प्रदर्शित किया जा सके। नगर के इस ऐतिहासिक नवीनतम भवन मे समय-समय पर अनेक विशिष्ट प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।महाराजा मानसिंह का इतिहास और जीवन परिचयइस चौक मे दक्षिण की ओर पूरबिया की ड्योढी के आगे जो मकान बने हुए है, उन्हे चौकीखाना कहा जाता है। जब ”राज सवाई जयपुर” था तो मर्दानी ड्योढी के काम से जुडे कतिपय अधिकारी और कर्मचारी चौकीखाना मे ही रहते थे। उदाहरण के लिए महाराजा माधोसिंह के विशेष कृपापात्र खवास बालाबख्श को चौकीखाने का ही एक मकान आवंटित था, क्योकि वह महाराजा के शयन करने तक उनके साथ छाया की तरह लगा रहता था। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”6053″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल जयपुर पर्यटनराजस्थान ऐतिहासिक इमारतेंराजस्थान पर्यटन