माड़ा गुफाएं के भग्नावशेष वे दर्शन-स्थल हैं जो भारतीय संस्कृति की एक अमिट धरोहर की छाप मन पर छोड़ देते हैं। माड़ामध्य प्रदेश की सिगरौली तहसील में स्थित है । माड़ा गुफाओं के ये भवन भारतीय शैवधर्म के पुनरुत्थान के समय योगियों के योगा अभ्यास करने तथा बौद्ध-काल में शैवधर्म की रक्षा करने के पवित्र उद्देश्य को लेकर पहाड़ी को काटकर बनाए गए है विवाह माड़ा नामक गुफा एक लंबी पहाड़ी को काटकर बनाई गई है। इन गुफाओं में भगवान शिव के पार्वती सहित ताण्डव नृत्य की भयानक एवं प्रचंड मुद्रा में बनाई गई मूर्तियाँ स्थित हैं। इन गुफाओं की प्रमुख विशिष्ता यह है कि इनमें जुड़ाई कहीं भी नहीं की गई है, किंतु सम्पूर्ण गुफाएं मीलों लंबी पहाड़ी को काटकर बनाई गई हैं।
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माड़ा की गुफाएं सिंगरौली मध्य प्रदेश
रावण माडा गुफा की विशेषता यह है कि उसमें एक ऐसी मूर्ति है, जिसमें रावण द्वारा कैलाश सहित भगवान शंकर को सिर पर उठा लेने का दृश्य प्रस्तुत किया गया है। शंकर की विविध मूर्तियाँ भी दीवारों में बनी हुई हैं। रावण माड़ा गुफा से कुछ दूरी पर एक जलस्रोत हैं, यहां सालभर पहाड़ी की चट्टान की दरार से निरंतर जलधारा प्रवाहित होती रहती है।

शिव पहाड़ी इन मांडा गुफाओं का एक अन्य आकर्षण-स्थल है। ज्ञात होता है कि यह स्थान योगियों के ध्यान, अभ्यास आदि के लिए बनाया गया होगा। पहाड़ी के मध्य भाग में दोनों ओर अटारी की तरह गुफा बनी हैं, तथा उनमें छोटे-छोटे प्रकोष्ठ है, जिनमें संभवतः शैंव उपासक निवास करते होंगे। पहाड़ी पर जाने के हेतु एक सीढ़ीदार मार्ग भग्नावशेष रूप मे बना है। माड़ा की गुफाओं के संबंध में अनेक किवदन्तियाँ प्रसिद्ध हैं, किंतु अनुमान यह किया जाता है कि ये शैवकालीन सभ्यता के प्रतीक भवन आठवीं शताब्दी की हैं।