मांडू का किला किसने बनवाया था

मांडू का किला

भारत केमध्य प्रदेश राज्य में धार जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांडव नामक नगर एक ऐतिहासिक नगर है। यह शहर यहां स्थित ऐतिहासिक किले के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक किले को मांडू का किला के नाम से जाना जाता है, मांडू का किला मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर से लगभग 100 किलों मीटर की दूरी पर स्थित है। तथा मध्य प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है। मांडू के किले का निर्माण होशंंग शाह ने करवाया था। जो मालवा सल्तनत के पहले औपचारिक सुल्तान थे। मांडू का यह ऐतिहासिक किला 82 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। जिसमें कई ऐतिहासिक महल, दरवाजे, सजावटी नहरें, खुबसूरत स्नानागार, कुएं आदि लगभग 40 इमारतें मौजूद है।

मांडू का किला किसने बनवाया था

मुस्लिम शासकों से प्रभावित मांडू आज भी अपने आंचल में तत्कालीन कीर्ति चिह्न लिए खड़ा है। मांडू का किला सैनिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण था। इसके दिल्‍ली दरवाजे, आलमगीर और भांगी दरवाजे, तथा तारापुर दरवाजे की रक्षा के कड़े प्रबंध थे। मांडू के किले के इन ऐतिहासिक दरवाजों की चहारदीवारों में प्रायः 70 से अधिक प्राचीन चिह्न हैं, जो दर्शनीय हैं।

मांडू का किला
मांडू का किला

मांडू का किला में एक ओर वे खण्डहर हैं जो कि मालवा के सुलतानों के वैभव, सम्पन्नता और ऐश्वर्य का स्मरण दिलाते हैं। जहाज महल तो जैसे जीवन और सौंदर्य का जीता-जागता प्रतीक है जिसकी दीवारे राजकीय विलासिता और प्रेम क्रीड़ाओं के अनेकानेक दृश्य देख चुकी हैं। मुंज और कपूर तालों के बीच स्थित यह वास्तव में जहाज की कल्पना को साकार करता है।हिंडोला महल भी निर्माण-कला का एक सौंदर्य-रत्न है। किले की दूसरी ओर विशाल मस्जिद तथा मकबरे हैं। मस्जिद सुंदर एवं आकर्षक मेहराबों से सुसज्जित है जो मुगल वास्तु-कला की कलात्मकता और विलासिता की परिचायक है। मस्जिद के एक ओर होशंगशाह का मकबरा तथा दूसरी ओर मुहम्मद का मकबरा इस स्थल’ के सौंदये को और भी हिगूृणित करता हैं। सतमंजिला विजय स्तंभ जैसे यहाँ की शोभा में चार-चांद लगा देता है।होशंगशाह का मकबरा धवल संगमरमर का बना हुआ है जो पवित्रता व सादगी का प्रतीक है तथा मुस्लिम वास्तु-कला का अंतिम नमूना है।

पहाड़ी के दक्षिणी छोर पर वाजबहादुर का शाही महल है जो कि रूपमती और बाजवहादुर की प्रेमकथा की स्मृति को जागृत करता है। यह महल’ नासिरुद्वीन द्वारा बनवाया गया था, जिसे वाजबहादुर ने और भी सजाया संवारा। सैनिक दृष्टि से यह महत्वपूर्ण स्थिति पर था। पहाड़ी की ऊँचाई पर 1200 फुट नीचे फैले हुए नीमा मैदान का विस्तार हैं और दृष्टि गड़ाकर देखने से सुदूर क्षितिज में नर्मदा की चाँदी-सी चमकती पतली-सी जलधारा सम गति से बहती हुई दिखाई देती है। निस्संदेह यह दृष्य॒ मन को मोहित कर लेता हैं।

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