महाराजा महेन्द्र सिंह और महाराजा राजेन्द्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा महेन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा नरेंद्र सिंह जी की मृत्यु के पश्चात्‌ आपके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा महेन्द्र सिंह जी 10 वर्ष की अवस्था मेंपटियाला की राजगद्दी पर बैठे। आपका 26 वर्ष का उम्र में देहान्त हो गया। आपके शासन-काल में सरहिन्द नामक नहर निकालने का काम शुरू हुआ। आपने इस नहर के बनवाने में 12300000 रुपये प्रदान किय थे। कूका- विद्रोह दमन करने में आपने ब्रिटिश सरकार को अच्छी सहायता पहुँचाई थी। आपने लाहौर में विश्व-विद्यालय स्थापन करने के लिये 70000 रुपये प्रदान किए तथा अपने राज्य में भी महिन्द्र कॉलेज की स्थापना की। आपको जी० सी० एस० आइ० की उपाधि भी प्राप्त हुई तथा आपकी सलामी 15 से बढ़ाकर 17 तोपें कर दी गई। सन् 1873 में बंगाल के अकाल पीड़ित लोगों की सहायता के लिये आपने 1000000 रुपये प्रदान किये। सन् 1875 में तत्कालीन प्रिन्स ऑफ वेल्स (स्वर्गीय सप्तम एडवर्ड) से आपकी राजपुरा मुकाम पर मुलाकात हुईं। इस भेट के स्मृति- स्वरूप इस ग्राम में ‘अल्बर्ट महेन्द्रगंज’ बसाया गया।

महाराजा महेन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह पटियाला रियासत
महाराजा महेन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा महेन्द्र सिंह के पुत्र महाराजा राजेन्द्र सिंह जी

महाराजा महेन्द्र सिंह जी अपने चार वर्षीय उत्तराधिकारी पुत्र राजेन्द्र सिंह जी को छोड़कर सन् 1876 मे इस लोक से चल बसे। ब्रिटिश सरकार ने बाल महाराजा को पटियाला रियासत की राजगद्दी पर बैठाकर शासन का भार एक कोंसिल के सुपुर्द कर दिया। कोंसिल सन् 1906 तक राज्य काय चलाती रही। 1907 में महाराजा राजेन्द्र सिंहजी बालिग हो गये, इससे आपको उसी वर्ष समस्त शासनाधिकार प्राप्त हो गये। कोंसिल आफ रिजेन्सी के शासनकाल में सन् 1887 के अन्त में पटियाला राज्य की सेना उत्तर-पश्चिमीय युद्ध में सम्मिलित हुई थीं। इसके दो वर्ष पश्चात्‌ इसी सेना ने तिराह और महमनद के आक्रमण में अच्छी वीरता दिखाई थी। चीन के युद्ध में भी इस सेना ने भाग लिया था।दक्षिणी अफ़्रिका युद्ध में महारजा साहब ने ब्रिटिश अश्वारोही सेना के उपयोग के लिए अपने शिक्षित नूतन अश्व भेज थे। आपके शासन-काल में भटिंडा और राजपुरा के दरम्यान 108 मील लंबी रेलवे लाइन बनाई गई। आपने अमृतसर खालसा कॉलिज को 160000 रुपये, पंजाब विश्वविद्यालय को 50000 रुपए तथा इम्पीरियल इंस्टिटयूट लंदन को 30000 रुपये प्रदान किये। सन 1908 में महाराजा महेन्द्र सिंह के पुत्र महाराजा राजेन्द्र सिंह की मृत्यु हो गई।

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