महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला परिचय और इतिहास

महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा करम सिंह के पश्चात्‌ आपके पुत्र महाराजा नरेंद्र सिंह जीपटियाला रियासत पर राज्यासन हुए। आपने ब्रटिश सरकार के साथ दृढ़ मित्रभाव रखा। द्वितीय सिक्ख-युद्ध में आपने ब्रिटिश सरकार को 3000000 रुपया कर्ज दिया था। आपने अपनी सेना भी युद्ध में भेजने का अभिवचन दिया था, किन्तु ब्रिटिश सरकार को उसकी आवश्यकता न हुई। सन् 1857-58 में आपने ब्रिटिश सरकार को जितनी सहायता दी थी, उतनी शायद ही कोई दूसरे नरेश ने उस अवसर पर दी होगी।

महाराजा नरेंद्र सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

जिस समय भारत में चारों ओर विद्रोह की ज्वाला प्रज्वलित हो रही थी, जिस समय चारों ओर अराजकता फैली हुई थी, उस समय सिक्ख जाति ने श्रीमान महाराजा नरेंद्र सिंह को अपना प्रमुख नेता स्वीकृत किया था। यदि आप चाहते तो सारी सिक्ख जाति उस समय साम्राज्य सरकार के विरुद्ध आन्दोलन करने को उद्यत हो जाती। आपकी सत्ता, आपकी स्थिति उक्त समय इतनी ऊँची थी कि यदि आप शंख उठाते, तो बलवाइयों में सबसे प्रबल नेता बन जाते ओर ब्रिटिश सरकार को आपका सामना करने में कई कठिनाइयाँ उठानी पड़ती। किन्तु श्रीमान्‌ ने ब्रिटिश सरकार के प्रति अपना मित्रभाव कायम रखा ओर ऐसे भयंकर प्रसंग में भी आपने उनकी अच्छी सहायता की।

महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला रियासत
महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला रियासत

गदर के शुरू से अन्त तक अपनी आठ तोपें, 2156 अश्वारोही
सेना, 2846 पैदल फौज़ तथा 156 अफसर ब्रिटिश सरकार की अधीनता में रहकर आप उन्हें सहायता करते रहे। सन् 1858 में बलवा शान्त हो जाने पर भी आपने अपनी 2 तोपें, 2930 पैदल फ़ौज, और 907 सवार ब्रिटिश सरकार की मदद के लिये रखे थे।

उपरोक्त सहायता के मुआवजे में ब्रिटिश सरकार ने महाराजा नरेंद्र सिंह को नारनौल परगना प्रदान किया। आपने इसके बदले अंग्रेज सरकार को आन्दोलन तथा संकट के समय में धन तथा जन से सहायता करना स्वीकार किया। सन् 1748 तथा गदर के समय दिये हुए कर्ज के बदले ब्रिटिश सरकार ने अपना कऔदें परगना और खामगाँव तालुका आपके अधिकार में दे दिया। महाराजा नरेंद्र सिंह जी को निम्न लिखित पद्वियाँ भी प्राप्त हुईं :– “फरजन्दि-ए-खास, दौलत-ए-इंग्लिशिया, मन्सूर-ए-जमान, अमीर-उल- उमरा श्री।

सन् 1861 में आप के० सी० एस० आई० की उपाधि से विभूषित किये गये। हिन्दू नरशों में यह उपाधि पहिले पहल आप ही को प्राप्त हुई थी। आप लॉर्ड केनिंग के शासन-काल में कायदे कानून बनाने वाला कोंसिल के भी मेम्बर बनाये गये थे। सन् 1862 में महाराजा नरेंद्र सिंह जी की मृत्यु हो गई।

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