महाराजा साहिब सिंह जी की मृत्यु के पश्चात् महाराजा करम सिंह जीपटियाला रियासत के राज्यासन पर बैठे। उन्होंने सन् 1798 से सन् 1845 तक पटियाला राज्य पर शासन किया। श्रीमान महाराजा करम सिंह पटियाला रियासत के चौथे महाराजा थे। वे बड़े वीर बुद्धिमान और सहासी नरेश थे। राजा करम सिंह का विवाह कुरूक्षेत्र के सिख सरदार भांगा सिंह की पुत्री से हुआ था, जिनका नाम रानी बीबी रूप कौर था। सन् 1814 में महाराजा कर्म सिंह जी ने ब्रिटिश सरकार को पंजाब की पहाड़ियों में गोरखा के साथ युद्धों में कई युद्धों में बड़ी सहायता दी। पंजाबीय युद्ध ख़तम होने पर आपकी सहायता के उपलक्ष्य में अंग्रेज सरकार की ओर से आपको शिमला के आस पास सोलह परगने मिले। प्रथम अफगान युद्ध खर्च के लिये सन् 1830 में आपने ब्रिटिश सरकार को 250000 रुपये दिये। सन् 1842 में भी आपने द्वितीय अफगान युद्ध में 500000 रुपये दिये।
महाराजा करम सिंह पटियाला रियासत का इतिहास और जीवन परिचय
महाराजा करम सिंह
इसके दूसरे ही वर्ष आपने अपनी 1000 अश्वारोही सेना और दो तोपें भेजकर ब्रिटिश सरकार को केंथाल रियासत में होने वाले आन्दोलन को शान्त करने में सहायता दी थी। प्रथम सिक्ख युद्ध में आपने अपनी 2000 अश्वारोही सेना, 2000 पैदल सेना तथा उनके परिचारक- गण आदि से ब्रिटिश सरकार की सहायता की। युद्ध में अधिकांश रसद् इन्तजाम का ज़िम्मा भी आपने लिया। महाराजा करम सिंह को इमारतें बनवाने का भी बड़ा शौक था। उन्होंने अपने पटियाला राज्य में सिक्ख गुरूओं के सम्मान में कई ऐतिहासिक महत्व के मंदिर बनवाएं। उनमें से वर्तमान में भी कई स्थित है।
महाराजा कर्म सिंह जी अंग्रेजों और गोरखों बीच उक्त युद्ध खतम होने के पहिले ही इस लोक से कूच कर गये। महाराजा करम सिंह की 23 दिसंबर सन् 1845 को पटियाला में मृत्यु हो गई। महाराजा कर्म सिंह जी की बहुमूल्य और सामयिक सेवाओं के उपलक्ष्य में ब्रिटिश सरकार ने पटियाला राज्य से नज़र वसूल करना बन्द कर दिया था।
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