महाराजा उम्मेद सिंह का इतिहास और जीवन परिचय Naeem Ahmad, December 19, 2022February 19, 2023 महाराजा सुमेर सिंह जी के कोई पुत्र न था अतएवं आपके भाई महाराजा उम्मेद सिंह जी जोधपुर की गद्दी पर सिंहासनारूढ़ हुए। सिंहासन पर बैठते समय आपकी भी अवस्था केवल 16 वर्ष की थी। अतएवं फिर तीसरी वक्त कौन्सिल आफ़ रीजेन्सी की स्थापना हुई। फिर भी महाराजा प्रताप सिंह जी ही कौन्सिल के प्रेसिडेन्ट मुक़़र्र हुए। महाराजा उम्मेद सिंह का इतिहास महाराजा उम्मेद सिंह जी की पढ़ाई अजमेर के मेयो कालेज में हुई थी। ई० स० 1921 में गवर्नमेंट ने महाराजा की सलामी 17 तोपों से बढ़ाकर 19 कर दी। आपका विवाह ढींकाई के ठाकुर साहब की कन्या के साथ हुआ है। सन् 1921 में ड्यूक आफ कनाट जोधपुर पधारे थे उन समय आपने उनका अच्छा सत्कार किया। सन् 1922 में महाराजा साहब ने कौन्सिल में बैठकर काम देखना शुरू किया और कुछ ही समय बाद कुछ महकमों का भी कार्य आप की देखरेख में होने लगा। इसी वर्ष गवर्नमेंट सरकार ने आपको K.C.V.O की उपाधि प्रदान की। महाराजा उम्मेद सिंह जोधपुर सन् 1923 में महाराजा साहब ने सम्पूर्ण राज्य-भार अपने ऊपर ले लिया। आपने अपने राज्य को सुचारु रूप से चलाने के लिये रीजेंसी कौन्सिल को बदल कर उसके स्थान पर स्टेट कोंसिल की नियुक्ति की। उसके चार मेम्बर बनाये गये। वही पद्धति इस काफी समय चलती रही। महाराजा साहब को पोलो और शिकार खेलने का बड़ा शौक था। मारवाड़ की पोलो-टीम ने अनेक स्थानों से कप प्राप्त किये हैं। यहाँ तक कि इंग्लैंड में भी मारवाड़ की पोलो-टीम ने अच्छी ख्याति प्राप्त की है। मारवाड़ ही की टीम ने सन् 1924 में कलकत्ते के प्रसिद्ध वायसराय कप को जीता था। आपके दो बहिनें एवम एक छोटे भाई थे। बहनों का विवाह क्रमशः रींघा के महाराजा गुलाब सिंह जी ओर जयपुर के महाराजा मानसिंह जी के साथ हुआ है। आपके छोटे भाई अजीत सिंह जी भी बड़े होनहार व्यक्ति थे। आपका विवाह इसरदे के ठाकुर साहब की कन्या के साथ हुआ था। इनके सिवाय महाराजा साहब के दो राजकुमार भी हैं। मारवाड़ राज्य का विस्तार 35016 वर्ग मील थी। जोधपुर राज्य की मुनुष्य संख्या 1841642 थी। इस राज्य में कोई नदी ऐसी नहीं है जो बारहों मास बहती हो। इस राज्य की आमदनी विस्तार के हिसाब से बहुत कम थी। कारण इसका यह था कि इसका पश्चिमीय भाग बहुत बंजर और रेतीला था। फिर भी इसकी आमदनी 12000000 रुपया थी। खर्च सालाना 1200000 के करीब होता था गवर्नमेंट 108000 रुपया सालाना लेती थी। इसके अलावा ऐरनपुरा रेजीमेंट, इम्पीरियल सर्विस रिसाले आदि के लिये क्रमशः 115000 और 2564728 के करीब खर्च होते थे। महाराजा साहब बड़े उदार थे। आपका प्रजा पर बड़ा प्रेम था। आप हमेशा उसके हित के कार्य करते रहते थे। सन् 1954 ई. में राजा उम्मेदसिंह का देहावसान हो गया। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:– महाराजा गंगा सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा डूंगर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा सरदार सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास महाराजा रत्नसिंह बीकानेर का परिचय और इतिहास महाराजा सूरत सिंह बीकानेर जीवन परिचय और इतिहास महाराजा अनूप सिंह का इतिहास महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास महाराजा रायसिंह बीकानेर का परिचय राव बीका जी का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर का जीवन परिचय और इतिहास महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा जवाहर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय राजा सूरजमल का इतिहास और जीवन परिचय राजा बदन सिंह का इतिहास भरतपुर राज्य महाराजा सुमेर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा मानसिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा अभय सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा अजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा जसवंत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय राव उदय सिंह राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय राव रणमल का इतिहास और जीवन परिचय राव जोधा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय राव सातल देव का इतिहास और जीवन परिचय राव सुजा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय राव मालदेव का इतिहास और जीवन परिचय सवाई माधोसिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय सवाई रामसिंह द्वितीय का इतिहास और परिचय सवाई जगत सिंह का इतिहास और परिचय सवाई प्रताप सिंह का इतिहास और जीवन परिचय सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय सवाई माधोसिंह का इतिहास और जीवन परिचय सवाई जयसिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा जयसिंह का इतिहास (प्रथम) आमेर राजा मानसिंह का इतिहास - आमेर के राजा का इतिहास महाराणा फतह सिंह जी का परिचय महाराणा प्रताप सिंह का इतिहास - महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई महाराणा विक्रमादित्य का इतिहास महाराणा रतन सिंह द्वितीय का इतिहास महाराणा सांगा का इतिहास - राणा सांगा का जीवन परिचय 1 2 Next » भारत के महान पुरूष जोधपुर का राजवंशराजपूत शासकराजस्थान के वीर सपूतराजस्थान के शासकराठौड़ राजवंश