राजा आला सिंह के बाद उनके पौत्र महाराजा अमरसिंहपटियाला रियासत की गद्दी पर बिराजे। आपमें एक योग्य शासक और वीर सिपाही के गुण विद्यमान थे। सन् 1767 में जब अहमदशाह अब्दाली अंतिम बार पंजाब में आया तब उसने राजा अमरसिंह जी को राज्य राजवान की पदवी प्रदान की। सन् 1766 में राजा अमरसिंह ने मालेरकोटला के नरेश पायल और इशरू नामक स्थान जीत लिए। इसके बाद आपने अपने जनरल को पिंजौर नामक स्थान पर अधिकार करने के लिए भेजा।
महाराजा अमरसिंह पटियाला का जीवन परिचय
सन् 1771 में आपने भटिंडा पर अधिकार कर लिया। और सन् 1774 में आपने अपने रिश्तेदार भाटियो पर चढ़ाई करके बेधरन नामक स्थान पर उसे पराजित किया। आपने उनसे फतेहाबाद और सिरसा परगने छीन लिए तथा आपके दीवान नन्नूमल ने हांसी के अधिकारी को परास्त कर हिसार जिले को पदाक्रांत कर डाला। इस प्रकार राजा अमरसिंह जी ने की प्रदेश जीतकर सतलुज और जमुना नदी के बीच पटियाला स्टेट को महान शक्तिशाली राज्य बना डाला। सन् 1781 में राजा अमरसिंह की मृत्यु हो गई।
महाराजा अमरसिंह पटियालाजैसा कि हम बता चुके हैं कि 1766 में महाराजा अमर सिंह ने अपने सहयोगियों सरदार जस्सा सिंह और कुछ ट्रांस-सतलज सिखों की मदद से लुधियाना के पास के दो शहरों पायल और इसरू पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद कोट कपूरा फरीदकोट शहर के पास स्थित था और महाराजा अमर सिंह ने व्यक्तिगत कारणों से उस स्थान पर हमला किया। कोट कपूरा के मुखिया जोध सिंह ने अमर सिंह के दादा-दादी के नाम पर एक घोड़ा और एक घोड़ी रख कर उनके दादा-दादी की अवहेलना की थी।
महाराजा ने शहर को घेर लिया और इस लड़ाई में जोध सिंह शहीद हो गए। महाराजा अमर सिंह ने बहुत सारे दुश्मनों के खिलाफ कई अन्य लड़ाइयों का नेतृत्व किया। उसने काफी शक्ति और राज्य विकसित कर लिया था। अत्यधिक शराब पीने के कारण फरवरी, 1781 में महाराजा अमर सिंह की मृत्यु मात्र पैंतीस वर्ष आयु में हो गई थी।
हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—-