महाराष्ट्रराज्य के प्रमुख हिल्स स्टेशन में महत्तवपूर्ण स्थान रखने वाला महाबलेश्वर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। सह्याद्रि पर्वतमाला की गोद में बसा यह रमणीक स्थल समुन्द्र तल से लगभग 1372 मीटर की ऊचांई पर स्थित है। महाबलेश्वर की खोज सर जान मेल्कान ने की थी। महाबलेश्वर पहले प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ के दर्शनीय स्थल में यहा की खुबसूरत वादियां कलकल करते झरने व सुंदर झीले नदिया व खुबसूरत व्यू प्वाईंट आदि शामिल है जो पर्यटको को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते है। इसके अलावा स्ट्राबेरी के बागान भी काफी आकर्षित है। यहा घूमने के लिए अक्टूबर से जून तक का समय उचित समझा जाता है।
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महाबलेश्वर के दर्शनीय स्थल
महाबलेश्वर के पर्यटन स्थल
वेन्ना झील – वेन्ना लेक
यहां के दर्शनीय स्थल में वेन्ना लेक का महत्वपूर्ण स्थान है। यह झील महाबलेश्वर के बाजार से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर पंचगनी के रास्ते पर स्थित है। चारो ओर से घने जंगलो से घिरी वेन्ना झील की सुंदरता व खुबसूरती देखते ही बनती है। शांत व स्थिर पानी पर तैरती बोट से आप यहां की प्राकृतिक सुंदरता को निहार सकते है। इस झील में बोटिंग का अपना अलग ही मजा है।

लिंगमाला झरने
यह खुबसूरत झरने महाबलेश्वर के करीब में ही स्थित है यहां पानी 600 फिट की ऊचांई से गिरता है यह शीतल जल वेन्ना लेक में गिरता है। ऊचाई से गिरते पानी के दृश्य काफी मनोहारी दिखाई पडते है।
लौडविक प्वाइंट या ऐलिफेंट हेड
लौडविक प्वाइंट की समुन्द्र तल से ऊचाई लगभग 4067 फुट है। यहाँ एक पहाड़ी है जो प्राकृतिक रूप से हाथी के सिर की तरह दिखाई देती है। जिस के कारण इसे ऐलिफेंट हेड के नाम से भी जाना जाता है। यहां से सामने स्थित दूर तक फैली कोयना घाटी के सुंदर दृश्य दिखाई देते है। जो पर्यटको को अपना दिवाना बना देते है।
मंकी प्वाइंट
यह सुंदर स्थल अरथुर सीट तक जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यहा पर प्राकृतिक रूप से पत्थर पर बनी बंदर की तीन मूर्तिया है। जो गांधी जी के तीन बंदरो को चत्रित करते है। इसलिए इस स्थान का नाम मंकी प्वांइंट है।
विल्सन प्वाइंट
यह स्थान यहां के दर्शनीय स्थल में सबसे अधिक ऊचाई पर स्थित है। विल्सन प्वाइंट की महाबलेश्वर बाजार से दूरी लगभग डेढ किलोमीटर है। यहां से सूर्योदय सूर्यास्त के बेहद आकर्षक व मनमोहक नजारे दिखाई देते है।
बॉम्बे प्वाइंट
यह खुबसूरत स्थल सूर्यास्त के बेहद मोहक नजारे के लिए जाना जाता है। सूर्यास्त के समय यहा का नजारा ऐसा लगता है मानो आकाश मे चारो ओर सिंदूर बिखर गया हो । बॉम्बे प्वाइंट की महाबलेश्वर बाजार से दूरी लगभग तीन किलोमीटर है।
प्रतापगढ़ किला
यह भव्य किला महाबलेश्वर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह आलिशान किला लगभग 1000 फुट की ऊचांई पर बना है। यह किला महाराज छत्रपति शिवाजी के तीन प्रमुख किलो में से एक है। यह किला छत्रपति शिवाजी की अफजल खां से ऐतिहासिक मुलाकात का भी गवाह है। यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्तवपूर्ण है क्यो कि इसी स्थान पर शिआजी ने अफजल खां को मौत के घाट उतारा था। इस स्थान पर अफजल खां की एक कब्र भी है जो दर्शनीय है।
पुराना महाबलेश्वर
पुराने महाबलेश्वर में महादेव के प्राचीन मंदिर में नंदी के मुख से निकलने वाली धारा से कृष्ण नदी बनकर निकलती है। कहा जाता है कि सावित्री ने तीनो महादेवो ब्रह्ममा विष्णु और महेश को नदी हो जाने का श्राप दिया था। इसलिए विष्णु कृष्ण नदी बन गए और शिव वेन्ना नदी तथा ब्रह्मा कोयना नदी बन गए। इसलिए यहाँ के दर्शनीय स्थल में पुराने महाबलेश्वर का मुख्य स्थान है।
कृष्ण मंदिर महाबलेश्वर
कृष्ण मंदिर पुराने महाबलेश्वर में स्थित है। इस मंदिर को पंचगना के नाम से भी जाना जाता है। क्यों कि यहां पांच नदिया कृष्ण कोयना वेन्ना गायत्री तथा सावित्री बहती है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

पंचगनी
पंचगनी सह्याद्री पर्वत माला की पांच पहाडियो से घिरा हुआ खुबसूरत हिल्स स्टेशन है। इसकी खोज अंग्रेजो ने ब्रटिश काल के दौरान की थी । पंचगनी चारो ओर से पांच गावों से घिरा हुआ है। – डांडेघर, खिंगार, गोडवाली, अमराल और ताईघाट । यहा से कृष्ण नदी बहती है। और धोमधाम झील बनाती है। पंचगनी महाबलेश्वर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पंचगनी में बरसात अधिक होती है भारत में चेरापूंजी के बाद दूसरा सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान में पंचगनी का ही नाम आता है। यात्रीयो को आकर्षित करने के लिए यहाँ सिडनी प्वाइंट है। जहा से धोमधाम झील का चमकता हुआ पानी देखा जा सकता है। इसके अलावा यहा एशिया का सबसे बडा पठार टेबल पठार है जहा से डेविल्स किचन नाम की गुफाओ का नजारा कर सकते है। पंचगनी का म्युनिसिपल गार्डन, चील्ड्रेन पार्क, फूलो का बागीचा, पारसी प्वाइंट और डेविल्स किचन की गुफाए घुमने के लिए अच्छी जगह है।
कैसे पहुंचे
रेल मार्ग द्वारा यहा का नजदीकी रेलवे स्टेशन पुणे है। जोकि 120 किलोमीटर कि दूरी पर है। सडक मार्ग द्वारा मुंबई पुणे से यहा सिधी बस व टैक्सी सेवाए उपल्बध है। यहा पहुचने के लिए किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नही है।
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