You are currently viewing मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल – मछलीपट्टनम पर्यटन स्थल
मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल

मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल – मछलीपट्टनम पर्यटन स्थल

मसूलीपट्टम जिसका वर्तमान नाम मछलीपट्टनम है। मसूलीपट्टम की स्थापना अरब के व्यापारियों द्वारा 14वीं शताब्दी में की गई थी। मसूलीपट्टम यह स्थानआंध्र प्रदेश के गोलकुंडा क्षेत्र में है। तथा कृष्णा जिले में है। इसका प्राचीन नाम मसालिया है। यहाँ अंग्रेजों ने 1613 ई० में एक कारखाना लगाया था।

मसूलीपट्टम का इतिहास

दिसंबर, 1669 में फ्रांसीसियों ने भी यहाँ अपना दूसरा कारखाना स्थापित किया था। गोलकुंडा के राजा ने फ्रांसीसी कंपनी को आयात- निर्यात कर से मुक्त कर दिया था। फ्रांसीसियों की सहायता से हैदराबाद का निजाम बनने के उपलक्ष्य में मुजफ्फरजंग ने दिसंबर, 1750 में इसे डुप्ले को दे दिया था। 7 दिसंबर, 1759 को इसे अंग्रेजों ने कर्नल फोर्ड के नेतृत्व में जीत लिया था।

संगम युग और मुगल काल के दौरान मसूलीपट्टम व्यापार का एक केंद्र था और यहाँ से पेरू व फारस को वस्तुएँ भेजी जाती थीं। प्राचीन काल में यह व्यापार के लिए इतना अधिक प्रसिद्ध था कि मुबारक शाह के सेनानायक खुसरो खाँ ने मसूलीपट्टम पर आक्रमण करके यहाँ के एक समृद्ध व्यापारी ख्वाजा तकी का धन हड़प लिया था। मौर्य काल में यहाँ से जावा, सुमात्रा, चंपा (अन्नम्‌), कंबोडिया आदि के साथ व्यापार किया जाता था।

मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल
मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल

मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल – मछलीपट्टनम के पर्यटन स्थल

बंदर किला (Bandar fort)

बंदर का किला मछलीपट्टनम में ऐतिहासिक स्मारक, जो कभी डच, फ्रांसीसी, ब्रिटिश और निज़ाम शासकों के लिए व्यापार का पूर्वी तटीय प्रवेश द्वार था, अब पूरी तरह उपेक्षित है। 1864 के चक्रवात के दौरान मारे गए 30,000 लोगों की याद में बने किले के भव्य प्रवेश द्वार, भंडार गृह, शस्त्रागार, जेल और ऐतिहासिक स्मारक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। बंदर के किले में कई ऐतिहासिक स्मारक है।

कृष्णा जिले के जिला मुख्यालय मछलीपट्टनम से केवल छह किलोमीटर की दूरी पर बंदर का किला है जहां डच शासकों द्वारा निर्मित कुछ संरचनाओं ने विदेशी शासकों के शुरुआती संघर्षों की कहानी बताने के लिए कई बड़े और छोटे चक्रवातों का सामना किया। ऐसा कहा जाता है कि विदेशों के व्यापारियों को तटीय शहर, जिसे बंदर के नाम से भी जाना जाता है, में काफी स्वतंत्रता प्राप्त थी। ब्रिटिश सेना के कैप्टन अल्बर्ट हार्वे के अनुसार, भारत में अपने 10 वर्षों के प्रवास के दौरान, डचों द्वारा बनाए गए किले में एक शस्त्रागार स्टोर था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सेना के पूरे उत्तरी डिवीजन हैदराबाद और नागपुर सहायक बलों को राशन की आपूर्ति करना था। इसके अलावा निजाम द्वारा बनाया गया एक अस्पताल भी है जिसकी अब छत टूट चुकी है, इस किले का उपयोग समुद्री सीमा शुल्क लेने के लिए भी किया जाता था।

मंगिनापुडी बीच (Manginapudi Beach)

कभी प्रमुख बंदरगाह के रूप में सेवा देने वाला, मंगिनापुडी वर्तमान में मछलीपट्टनम से लगभग 11 किमी दूर एक समुद्र तट के किनारे पर स्थित यह एक मछली पकड़ने वाला गाँव है। यह सुंदर प्राकृतिक समुद्र तट अपनी काली मिट्टी और उथले जल स्तर वाली प्राकृतिक खाड़ी के लिए अद्वितीय है।

कुचिपुड़ी के शास्त्रीय नृत्य पाठ्यक्रमों के लिए समुद्र तट के किनारे एक नृत्य विद्यालय काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा, माघपूर्णमी उत्सव के दौरान समुद्र तट भी विशाल भीड को आकर्षित करता है, जब लोग यहां समुद्र के पानी में डुबकी लगाने आते हैं। फरवरी या मार्च के महीने के दौरान आयोजित ‘कृष्ण उत्सव’ का एक और लोकप्रिय त्योहार पर समुद्र तट पर भक्तों के झुंड को देखा जा सकता है।

पांडुरंगा स्वामी मंदिर

पांडुरंगा स्वामी मंदिर लगभग छह एकड़ के क्षेत्र में फैला है। यह एक सुंदर तथि प्राचीन मंदिर है। तथा भगवान पांडुरंग विट्ठल को समर्पित है। पांडुरंगा स्वामी मंदिर में भगवान की एक मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई 3 फीट है और यह भगवान कृष्ण के बचपन के स्वरूप से बहुत मिलती जुलती है। भगवान की मूर्ति को हीरे जड़ित मुकुट और अन्य आभूषणों से सुशोभित किया गया है। भगवान की मूर्ति के सामने लेटे हुए अभयंजनी स्वामी की एक मूर्ति भी मिलेगी।

हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

Leave a Reply