मरसलगंज प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर आतिशय क्षेत्र तीर्थ Naeem Ahmad, April 18, 2020March 14, 2024 श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मरसलगंज (ऋषभनगर) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फिरोजाबाद से 22 किलोमीटर दूर है। यहां अब जैनों का कोई घर नहीं है। किन्तु इसके पास ही फरिहा नामक एक कस्बा है। जहाँ जैनों के घर है। कहा जाता है कि पहले मरसलगंज में जैनीयों की अच्छी आबादी थी, लगभग दो सौ घर थे, उस समय यह नगर धन धान्य पूर्ण था। और यहां एक छोटा सा जैन मंदिर बना हुआ था।उज्जैन का इतिहास और उज्जैन के दर्शनीय स्थलपन्द्रहवीं शताब्दी में बाबा ऋषभदास नाम का एक क्षुल्लक यहा पधारें। ये दक्षिण के रहने वाले ब्राह्मण थे। किन्तु जैन धर्म के कट्टर अनुयायी थे। यह मंत्र तंत्र के भी अच्छे जानकार थे। उनकी प्रेरणा और प्रयत्न से उस छोटे से मंदिर के स्थान पर वर्तमान विशाल मंदिर का निर्माण किया गया। और बड़े समारोह पूर्वक उसकी प्रतिष्ठिता भी उन्हीं बाबा जी द्वारा की गई। बाबा ऋषभदास के संबंध में उस समय की अनेक चमत्कारिक घटनाएं अब तक आसपास के क्षेत्र में प्रचलित है। उन्होंने स्वयं कही से भगवान ऋषभदेव की एक मनोज्ञ और सतिशय प्रतिमा लाकर मुख्य वेदी में विराजमान करायी। उस प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर दूर से लोग आने लगे। धीरे धीरे उस प्रतिमा के चमत्कारों और अतिशय की चर्चा चारों ओर फैलने लगी। इस प्रकार मरसलगंज एक आतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध हो गया।मरसलगंज दिगंबर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्रकालांतर में यहा जैनों का एक भी घर नहीं रहा ऐसी स्थिति में कुछ लोगों ने मंदिर क्षेत्र की भूमि पर अपना अधिकार करने का प्रयत्न किया, किंतु क्षेत्र कमेटी ने हर प्रकार से क्षेत्र के हितो की रक्षा की। अब तो यहा लम्बी चाहरदीवारी बनवा दी गई है। जिसमें विजयद्वार, और अभयद्वार बने है। चाहरदीवारी के भीतर ही मेले के लिए अलग परिधि खींचकर उसमें ऋषभद्वार, दौलतद्वार और मणिकद्वार बनाये गये है। तथा एक सुंदर ध्वजा स्तंभ भी बना है। इस स्तभ पर क्षेत्र का परिचय, जैन धर्म का परिचय तथा प्रमुख दानदाताओं की नामावली अंकित है दिल्ली के जैन मंदिर – श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, नया मंदिर, बड़ा मंदिर दिल्लीक्षेत्र पर केवल एक ही मंदिर है। मुख्य वेदी में भगवान ऋषभदेव की श्वेत पाषाण की पद्यम्सन प्रतिमा है। जिसकी आवगाहना पौने दो फिट है। तथा जिसके आसन पर लेख है। उस लेख के अनुसार इस प्रतिमा की प्रतिष्ठिता संवत् 1545 में हुई थी। मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त पांच पाषाण प्रतिमाएं और ग्यारह धातु प्रतिमाएं है। धातु प्रतिमाओं में एक चौबीसी भी है। पाषाण प्रतिमाओं में चार इंच आवगाहना वाली पार्श्वनाथ भगवान की एक प्रतिमा है। जो लगभग पांच सौ वर्ष प्राचीन प्रतीत होती है।अहिच्छत्र जैन मंदिर – जैन तीर्थ अहिच्छत्र का इतिहासदो वेदियाँ ओर है। बायी वेदी में मूलनायक शांतिनाथ भगवान के अतिरिक्त आठ पाषाण प्रतिमाएं तथा वेदी के दोनों ओर पांच फुट आवगाहना वाली दो खडगासन प्रतिमाएं है। ये सभी प्रतिमाएं आधुनिक है।आगरा जैन मंदिर – आगरा के टॉप 3 जैन मंदिर की जानकारी इन हिन्दीदायी ओर की वेदी में भगवान नेमिनाथ की कृष्ण वर्ण मूलनायक प्रतिमा है। तथा इसके अतिरिक्त सात प्रतिमाएं और है। ये प्रतिमाएं भी आधुनिक है। इन अरिहंत प्रतिमाओं के अलावा आचार्य सुधर्म सागर जी, आचार्य महावीर कीर्ति जी और आचार्य विमल सागर जी की भी पाषाण प्रतिमाएं ध्यान मुद्रा में विराजमान है।चन्द्रवाड़ अतिशय क्षेत्र प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर – चन्दवार का प्रसिद्ध युद्ध, इतिहासइस मंदिर से सटा हुआ एक हाल बना हुआ है। जिसमें खुली वेदी में भगवान ऋषभदेव की श्वेत पाषाण की सात फुट आवगाहना वाली भव्य पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसका भार 350 मन है। प्राचीन मंदिर के नीचे बाबा ऋषभदेव ध्यान गुफा है। मंदिर में समय समय पर अब भी जीर्णोद्धार कार्य होते रहते है।शौरीपुर बटेश्वर श्री दिगंबर जैन मंदिर – शौरीपुर का इतिहासफरिहा में दो मंदिर है। बड़ा मंदिर दर्शनीय है। यहा चारों ओर लहलहाते हुए वृक्षों और सुंदर जलवायु ने क्षेत्र की आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य को अत्यधिक बढ़ा दिया है। प्रति तीसरे वर्ष यहां मेला लगता हैं।जै धार्मिक स्थलों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—–[post_grid id=”7632″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल उत्तर प्रदेश तीर्थ स्थलजैन तीर्थ स्थलतीर्थतीर्थ स्थल