मरसलगंज प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर आतिशय क्षेत्र तीर्थ Naeem Ahmad, April 18, 2020May 11, 2020 श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मरसलगंज (ऋषभनगर) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फिरोजाबाद से 22 किलोमीटर दूर है। यहां अब जैनों का कोई घर नहीं है। किन्तु इसके पास ही फरिहा नामक एक कस्बा है। जहाँ जैनों के घर है। कहा जाता है कि पहले मरसलगंज में जैनीयों की अच्छी आबादी थी, लगभग दो सौ घर थे, उस समय यह नगर धन धान्य पूर्ण था। और यहां एक छोटा सा जैन मंदिर बना हुआ था। पन्द्रहवीं शताब्दी में बाबा ऋषभदास नाम का एक क्षुल्लक यहा पधारें। ये दक्षिण के रहने वाले ब्राह्मण थे। किन्तु जैन धर्म के कट्टर अनुयायी थे। यह मंत्र तंत्र के भी अच्छे जानकार थे। उनकी प्रेरणा और प्रयत्न से उस छोटे से मंदिर के स्थान पर वर्तमान विशाल मंदिर का निर्माण किया गया। और बड़े समारोह पूर्वक उसकी प्रतिष्ठिता भी उन्हीं बाबा जी द्वारा की गई। बाबा ऋषभदास के संबंध में उस समय की अनेक चमत्कारिक घटनाएं अब तक आसपास के क्षेत्र में प्रचलित है। उन्होंने स्वयं कही से भगवान ऋषभदेव की एक मनोज्ञ और सतिशय प्रतिमा लाकर मुख्य वेदी में विराजमान करायी। उस प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर दूर से लोग आने लगे। धीरे धीरे उस प्रतिमा के चमत्कारों और अतिशय की चर्चा चारों ओर फैलने लगी। इस प्रकार मरसलगंज एक आतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मरसलगंज दिगंबर जैन मंदिर मरसलगंज दिगंबर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र कालांतर में यहा जैनों का एक भी घर नहीं रहा ऐसी स्थिति में कुछ लोगों ने मंदिर क्षेत्र की भूमि पर अपना अधिकार करने का प्रयत्न किया, किंतु क्षेत्र कमेटी ने हर प्रकार से क्षेत्र के हितो की रक्षा की। अब तो यहा लम्बी चाहरदीवारी बनवा दी गई है। जिसमें विजयद्वार, और अभयद्वार बने है। चाहरदीवारी के भीतर ही मेले के लिए अलग परिधि खींचकर उसमें ऋषभद्वार, दौलतद्वार और मणिकद्वार बनाये गये है। तथा एक सुंदर ध्वजा स्तंभ भी बना है। इस स्तभ पर क्षेत्र का परिचय, जैन धर्म का परिचय तथा प्रमुख दानदाताओं की नामावली अंकित है। मरसलगंज दिगंबर जैन मंदिर क्षेत्र पर केवल एक ही मंदिर है। मुख्य वेदी में भगवान ऋषभदेव की श्वेत पाषाण की पद्यम्सन प्रतिमा है। जिसकी आवगाहना पौने दो फिट है। तथा जिसके आसन पर लेख है। उस लेख के अनुसार इस प्रतिमा की प्रतिष्ठिता संवत् 1545 में हुई थी। मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त पांच पाषाण प्रतिमाएं और ग्यारह धातु प्रतिमाएं है। धातु प्रतिमाओं में एक चौबीसी भी है। पाषाण प्रतिमाओं में चार इंच आवगाहना वाली पार्श्वनाथ भगवान की एक प्रतिमा है। जो लगभग पांच सौ वर्ष प्राचीन प्रतीत होती है। दो वेदियाँ ओर है। बायी वेदी में मूलनायक शांतिनाथ भगवान के अतिरिक्त आठ पाषाण प्रतिमाएं तथा वेदी के दोनों ओर पांच फुट आवगाहना वाली दो खडगासन प्रतिमाएं है। ये सभी प्रतिमाएं आधुनिक है। दायी ओर की वेदी में भगवान नेमिनाथ की कृष्ण वर्ण मूलनायक प्रतिमा है। तथा इसके अतिरिक्त सात प्रतिमाएं और है। ये प्रतिमाएं भी आधुनिक है। इन अरिहंत प्रतिमाओं के अलावा आचार्य सुधर्म सागर जी, आचार्य महावीर कीर्ति जी और आचार्य विमल सागर जी की भी पाषाण प्रतिमाएं ध्यान मुद्रा में विराजमान है। इस मंदिर से सटा हुआ एक हाल बना हुआ है। जिसमें खुली वेदी में भगवान ऋषभदेव की श्वेत पाषाण की सात फुट आवगाहना वाली भव्य पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसका भार 350 मन है। प्राचीन मंदिर के नीचे बाबा ऋषभदेव ध्यान गुफा है। मंदिर में समय समय पर अब भी जीर्णोद्धार कार्य होते रहते है। फरिहा में दो मंदिर है। बड़ा मंदिर दर्शनीय है। यहा चारों ओर लहलहाते हुए वृक्षों और सुंदर जलवायु ने क्षेत्र की आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य को अत्यधिक बढ़ा दिया है। प्रति तीसरे वर्ष यहां मेला लगता हैं। जै धार्मिक स्थलों पर आधारित हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—– श्रवणबेलगोला कर्नाटक मे स्थित प्रमुख जैन तीर्थ स्थल बैंगलोर से 140 कि.मी. की दूरी पर, हसन से 50 किमी और मैसूर से 83 किलोमीटर दूर, श्रवणबेलगोला दक्षिण भारत पावापुरी जल मंदिर का इतिहास – पावापुरी जैन तीर्थ हिस्ट्री इन हिन्दी राजगीर और बौद्ध गया के पास पावापुरी भारत के बिहार राज्य के नालंदा जिले मे स्थित एक शहर है। यह नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास – Nalanda university history in hindi बिहार राज्य की राजधानी पटना से 88 किमी तथा बिहार के प्रमुख तीर्थ स्थान राजगीर से 13 किमी की दूरी पारसनाथ का किला बढ़ापुर का ऐतिहासिक जैन तीर्थ स्थल माना जाता है उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में नगीना रेलवे स्टेशन से उत्तर पूर्व की ओर बढ़ापुर नामक एक कस्बा है। वहां त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव – बड़ा गांव जैन मंदिर खेडका का इतिहास त्रिलोक तीर्थ धाम बड़ागांव या बड़ा गांव जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान दिल्ली सहारनपुर सड़क शौरीपुर बटेश्वर श्री दिगंबर जैन मंदिर – शौरीपुर का इतिहास शौरीपुर नेमिनाथ जैन मंदिर जैन धर्म का एक पवित्र सिद्ध पीठ तीर्थ है। और जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान चन्द्रवाड़ अतिशय क्षेत्र प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर – चन्दवार का प्रसिद्ध युद्ध, इतिहास चन्द्रवाड़ प्राचीन जैन मंदिर फिरोजाबाद से चार मील दूर दक्षिण में यमुना नदी के बांये किनारे पर आगरा जिले में आगरा जैन मंदिर – आगरा के टॉप 3 जैन मंदिर की जानकारी इन हिन्दी आगरा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। मुख्य रूप से यह दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा धर्म कम्पिल का इतिहास – कंपिल का मंदिर – कम्पिल फेयर इन उत्तर प्रदेश कम्पिला या कम्पिल उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले की कायमगंज तहसील में एक छोटा सा गांव है। यह उत्तर रेलवे की अहिच्छत्र जैन मंदिर – जैन तीर्थ अहिच्छत्र का इतिहास अहिच्छत्र उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की आंवला तहसील में स्थित है। आंवला स्टेशन से अहिच्छत्र क्षेत्र सडक मार्ग द्वारा 18 देवगढ़ का इतिहास – दशावतार मंदिर, जैन मंदिर, किला कि जानकारी हिन्दी में देवगढ़ उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यह ललितपुर से दक्षिण पश्चिम में 31 किलोमीटर दिल्ली के जैन मंदिर – श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, नया मंदिर, बड़ा मंदिर दिल्ली दिल्ली भारत की राजधानी है। भारत का राजनीतिक केंद्र होने के साथ साथ समाजिक, आर्थिक व धार्मिक रूप से इसका भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल उत्तर प्रदेश तीर्थ स्थलजैन तीर्थ स्थलतीर्थतीर्थ स्थल