मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश केछतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ आल्हाखण्ड में मनियागढ़ किले का विस्तृत वर्णन मिलता है। मनियागढ़ दुर्ग चन्देल कालीन है। और केन नदी के तट पर एक पहाडी पर बना हुआ है। इसी दुर्ग पर चन्देलों की कुल देवी मनिया देवी का मन्दिर बना हुआ है। तथा सामरिक दृष्टि से यह दुर्ग महत्वपूर्ण स्थल है।
मनियागढ़ के किले से एक महत्वपूर्ण घटना जुडी हुईं है। कहते है कि कीर्ति सिंह की पुत्री चन्देल राजकुमारी दुर्गावती का प्रेम सम्बन्ध राजा दलपतिशाह से हो गया था। तथा रानी दुर्गावती ने किसी तरह दुर्ग से गायब होकर दलपतिशाह गौंड राजा से विवाह किया था। दुर्ग में निम्नलिखित स्थान दर्शनीय है ।
मनियागढ़ का किला की प्राचीर
मनियागढ़ का किला की प्राचीर एक उसी युग मे अत्यंत सुदृढ़ थी। किन्तु समुचित सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण और बाहरी शत्रुओं के आक्रमण के कारण अब इस किले की प्राचीर नष्ट हो गयी है।
मनियागढ़ का किलादुर्ग के प्रवेश द्वार
दुर्ग में प्रवेश करने के लिये प्राचीर से लगे हुए प्रवेश द्वार हैं। अब ये द्वार भी नष्ट हो चुके है। केवल उनके भग्नावशेष इस स्थल पर देखे जाते है। किसी युग में ये प्रवेश द्वार सैनिकों के द्वारा संरक्षित हुआ करते थे।
किले के धार्मिक स्थल
इस दुर्ग का प्रमुख धार्मिक स्थल चन्देलों की कुल देवी मनिया देवी का मन्दिर है। इसी देवी के नाम पर दुर्ग को मनियागढ़ का किला नाम से पुकारा जाता है। राजा परमाल के युग तक इस मन्दिर का विशेष महत्व था। अब यह मन्दिर भी विध्वंश के कगार पर है।
किले के आवासीय स्थल
इस दुर्ग में अनेक आवासीय स्थल है जिनमें से कुछ चन्देलकाल के हैं। और कुछ उसके बाद के है। चन्देलों के बाद यह दुर्ग गौडो, मुसलमानों और बुन्देलों के अधिकार में रहा सभी युगो के आवासीय स्थल यहाँ है।
जलाशय
इस दुर्ग में अनेक जलाशय देखने को मिलते है। ये जलाशय सरोवर, बीहड, और कूप के रूप मे है।
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