प्रिय पाठको हमने अपनी उत्तर-पूर्वी भारत की यात्रा के अंतर्गत हमने अपने पिछले कुछ लेखो में उत्तर-पूर्वी भारत के सात राज्यो में से जिन्हे सेवन सिस्टर्स यानि सात बहने कहकर पुकारा जाता है। इमसे से नागालैंड मिजोरम त्रिपुरा मेघालय आदि राज्यो के पर्यटन स्थलो के साथ साथ राज्यो के इतिहास , संस्कृति, भाषा, खान-पान आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जाना और पर्यटन स्थलो की सैर की। अपनी इस पोस्ट में हम उत्तर पूर्वी भारत के राज्य मणिपुर की यात्रा करेगें और मणिपुर का इतिहास, मणिपुर का खाना, मणिपुर की भाषा आदि के बारे में विस्तार से जानेगें और मणिपुर के पर्यटन स्थलो की सैर करेगें।
तो आइए दोस्तो अपनी मणिपुर यात्रा की शुरूआत करने से पहले सबसे पहले मणिपुर के बारे में जान लेते है।
मणिपुर के बारे में
मणिपुर राज्य भारत के उत्तर-पूर्व भाग में स्थित है। जिसके उत्तरी भाग में नागालैंड और दक्षिणी भाग में मिजोरम तथा पश्चिम और पूर्व में असम और म्यांमार की सिमाएं लगती है। मणिपुर की राजधानी इम्फाल है। मणिपुर एक बहुत ही खुबसूरत राज्य है। जिसका क्षेत्रफल 22327 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। मणिपुर राज्य में कुल 9 जिले है। जिनके नाम इस प्रकार है:—
पूर्वी इम्फाल
पश्चिमी इम्फाल
उखरूल
चंदेल
चूडाचांदपुर
तामेंगलोंग
थोबल
विष्णुपुर
सेनापति
मणिपुर पर्यटन के सुंदर दृश्यमणिपुर अधिक बडा राज्य नही है। फिर भी यह अपनी अलग पहचान रखता है। यहा का नैसर्गिक सौंदर्य वास्तव में लाजवाब है। मैदानी इलाको की भीषण गर्मी और शोर शराबे से तंग आ चुके लोग यहा की वादियो में अपनी छुट्टियां बिताना बेहद पसंद करते है। इम्फाल मणिपुर की राजधानी है। यहा शहीद मीनार, पुराना महल, संग्रहालय, गोविंदजी का मंदिर और विष्णुपुर की झील विशेष रूप से देखने योग्य है। मणिपुर का भाला नृत्य विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस नृत्य को देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक यहा आते है। इस नृत्य के अलावा मणिपुरी कुश्ती और तलवार बाजी भी पर्यटको को खूब भाती है। मणिपुर के लोग अच्छे घुडसवार माने जाते है। कहा जाता है कि पोलो की शुरूआत मणिपुर से ही हुई थी। दोस्तो इन सब के बारे में बाद में जानेगें आइए पहले मणिपुर का इतिहास और कुछ रोचक बाते जान लेते है। मणिपुर का इतिहास:—
मणिपुर का इतिहास
- मणिपुर का अस्तित्व अति प्राचीनकाल से है।
- इतिहासकारो के अनुसार सन् 33 ई° में पाखंगा नामक साहसी व्यक्ति ने इस भू-भाग पर राज्य किया तथा लंबे वंश को चलाया।
- सन् 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आया।
- तथा इसके बाद 15 अक्टूबर सन् 1949 को भारतीय संघ राज्य के रूप में शामिल किया गया।
- 21 जनवरी सन् 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
मणिपुर की रोचक जानकारी जो आप नही जानते होगें
- यहा स्वर्ग पुष्प कहे जाने वाले शिराय लिली पुष्प पाए जाते है।
- यह फूल विश्व में किसी भी अन्य स्थान पर नही पाए जाते।
- इस राज्य में“बो एंटलर्ट्टट हिरण”भी पाए जाते है।
- यह हिरण विश्व की सबसे दुर्लभ नस्लो में से एक है।
- मई 1990 में जिरिबाम तक रेल लाइन पहुचने के साथ ही यह राज्य भी रेल मानचित्र में शामिल हो गया।
- यहा विश्व का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है।
मणिपुर के पर्यटन स्थल
इंफाल
इम्फाल मणिपुर की राजधानी होने के साथ साथ मणिपुर राज्य का एक सुंदर शहर भी है। यह सुंदर शहर मणिपुर घाटी के केंद्र में स्थित है। तथा मैदानो और पहाडियो से घिरा हुआ है। घने जंगलो और विशाल हरी घास के मैदान इसे पृथवी पर स्वर्ग जैसा बनाते है। यह शहर राज्य की सामृद्धि को भी दर्शाता है। यहां के मनोहारी वातावरण में पर्यटको के देखने के लिए काफी कुछ है। इम्फाल के प्रमुख पर्यटन स्थलो में जैसे:—
- लोकताक झील
- शहीद मीनार
- कांगला किला
- सिरोही राष्ट्रीय उद्यान
- मणिपुर संग्रहालय
- मटाई गार्डन
- श्री गोविंदजी मंदिर
- सेक्टा पुरातात्विक जीवित संग्रहालय
- मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन
मणिपुर पर्यटन के सुंदर दृश्यउखरूल
उखरूल में प्रकृति के सुंदर और मनोरम दृश्यो की भरमार है। यहा के सुंदर दृश्यो से आपकी आत्मा भी आनंदित हो उठेगी। यदि आप सुंदर घाटियो, पहाडियो, झरने और नदियो की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाना चाहते है। तो मणिपुर का उखरूल आपके लिए मुंह मांगी मुराद से कम नही। उखरूल के प्रमुख पर्यटन स्थलो में जैसे:—
- खायांग पीक
- शिरूई काशिंग पीक
- कचौफुंग झील
- खांगखुई गुफा
- नीलाई टी स्टेट
- हंडुग गगवा गुफा
- अंगो चिंग
विष्णुपुर
जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है। हकीकत में भी यह स्थल ऐसा ही है। विष्णुपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ धार्मिक स्थलो के लिए भी जाना जाता है। यहा अनेक मंदिर और पर्यटन स्थल है। जैसे कि:–
- लक्ष्मण्चा
- जोरेवंगा मंदिर
- पंचरत मंदिर
- दल मडोल
- सुसुनिया पहाड
- श्यामराई मंदिर
- सिद्धेश्वर मंदिर
- राधा श्याम मंदिर
- श्रीधर मंदिर
थौबल
थौबल मणिपुर राज्य का एक सुरमय गंतव्य है। पहाडियो के बीच स्थित यह स्थान ट्रेकिगं के लिए एकदम उपयुक्त है। यहा की सुंदर हरियाली, नदियो और झीलो की सुंदरता दर्शनीय है। यहा के स्थानीय लोग भी यहा की हरियाली को बढाने के लिए घरो के आगे वृक्ष और पेड पौधे खूब लगाते है। थौबल के दर्शनीय स्थलो में :—
- थौबल नदी
- इंम्फाल नदी
- इकोप झील
- वेयो झील
- पीपल्स संग्रहालय
- लुसी झील
- थौबल बाजार
- खोंगजोंम युद्ध स्मारक
चंदेल
चंदेल म्यांमार सीमा से लगा है। यह म्यांमार का प्रवेशद्वार भी है। यहा की भूमि वनस्पतियों और जीवो से समृद्ध है। जिसमें अनेक प्रजातियो की एक वस्तृत श्रंख्ला है। यहा कई प्रजातियो के दुर्लभ पेड पौधे भी पाए जाते है। यह स्थान प्राकृतिक प्रेमियो को बडी संख्या में आकर्षित करता है। यहा के दर्शनीय स्थलो में:–
- लोकाचो वन्य जीव अभ्यारण्य
- टेगनुयल
चूडाचांदपुर
यह मणिपुर राज्य के एक जिले के रूप में पूरी तरह से फिट बैठता है। मणिपुर के हर हिस्से की तरह चूडाचांदपुर प्राकृतिक सौंदर्य में भी बैमीशाल है। पहाडी और घाटियो के बीच स्थित यह एक सुंदर और आनंदमय स्थान है। यह मणिपुर राज्य का दुसरा सबसे बडा शहर भी है। यहा के पर्यटन स्थलो में–
- नोगलई फॉल्स
- टीबांग आदिवासी संग्रहालय
- टोग्लॉन गुफा
- खुंगा बांध
- तिपाई मुख
सेनापति
सेनापति मणिपुर राज्य के ऐसे कुछ स्थानो में से एक है। जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित किए हुए है। यहा की 80 प्रतिशत भूमि पर घने जंगल है। यहा के पर्यटन स्थलो में–
- माओ
- येंगखुलन
- डजुको घाटी
- पुरूल
- मारम खुलन
- मखेल गुफा
- सांडू चिरू झरने
अब तक के अपने इस लेख में हमने मणिपुर का इतिहास, मणिपुर के टूरिस्ट पेलैस, के बारे में जाना आइए आगे के अपने इस लेख में हम मणिपुर के भोजन के बारे में जानते है।
मणिपुर का खाना
जितना रोचक मणिपुर का इतिहास है उतना ही स्वादिष्ट मणिपुर का भोजन है। यहा के लोग अपने भोजन में शाकाहारी और मांसाहारी दोनो का प्रयोग करते है। यहा का खना ज्यादातर उबला हुआ होता है। यानि ये लोग अपने भोजन में मिर्च मासालो और तेल का उपयोग कम करते है। इसके स्थान पर वह स्थानीय जडीबूटियो को ज्यादा महत्व देते है। लाल मिर्च पाउडर के स्थान पर यह काली मिर्च का उपयोग अधिकतर करते है।
मणिपुर के लोग चावल, मछली, मीट, और हरी पत्तेदार सब्जीया खाते है। इसके लिए काफी लोग अपने घर के खेतो में सब्बजियो को उगाते है। तथा ताजा मछलियो के लिए कुछ लोग अपने घर के पिछे एक छोटे तालाब में मछली पालन भी करते है। यहा का भोजन स्वादिष्ट होने के साथ साथ स्वस्थ व पौष्टिक भी होता है। आइए यहा के कुछ प्रमुख डिश या पकवानो के बारे में भी जान लेते है।
मणिपुरी व्यंजनो के सुंदर दृश्यमणिपुर का इतिहास पर्यटन खाना आदि के बारे में हमने अब तक के अपने इस लेख में जाना आइए अब हम मणिपुर की 10 प्रमुख डिश के बारे में जानते है।
मणिपुर की 10 प्रसिद्ध डिश
चामथोंग ( कोंगशोई)
मणिपुर की यह बहुत ही लोकप्रिय डिश है। यह एक शाकाहारी वेजिटेबल डिश है। जो मौसमी सब्जियो को उबालकर बनाई जाती है। यह एक सूप जैसी होती है। जिसमे मौसमी सब्जियो के छोटे छोटे टुकडे होते है। यहा के लोग इसे चावल व मछली के साथ भी इस्तेमाल करते है।
ऐरोबा
ऐरोबा भी मणिपुर के लोगो की दूसरी पसंददीदा डिश है। इस डिश में मछली को उबालकर उसे ड्राई करके बनाई जाती है। जो चावल के साथ परोसी जाती है।
मोरोकक मेटपा
यह एक स्वादिष्ट मसालेदार चटनी है। जिस प्रकार मुंबई में धनिये की चटनी लोकप्रिय है। उसी प्रकार मोरोक मेटपा मणिपुर की लोकप्रिय चटनी है। यह चटनी प्याज और हरी मिर्च को एक पेस्ट में मिलाकर तैयार की जाती है। जो फ्राई व उबली हुई मछलियो के साथ परोसी जाती है। मछली के साथ साथ लोग इसे अन्य व्यंजनो के साथ भी इस्तेमाल करते है।
सिगंजू
यह एक प्रसिद्ध मणिपुरी सलाद है। जिसमे टमाटर, गाजर, खीरा, मूली जैसी सब्जियां नही होती है। बल्कि इसके विपरित इसमे गोभी, प्याज, अदरक, कमल कटाई, गेंग्गू पत्ती का मिश्रण होता है। यह सलाद लगभग सभी व्यंजनो के साथ परोसी जाती है।
पाक्नम
यह डिश मछली से बनी होती है। लेकिन देखने में आलू की टिक्की या कबाब जैसी लगती है। लेकिन यह बहुत नरम होती है। इसको सॉस या चटनी के साथ परोसा जाता है। यहा के लोगो के साथ साथ पर्यटक भी इसे बडे चाव से खाते है।
चाहाओ खीर
यह एक प्रकार की मणिपुरी खीर है। जो यहा खास अवसरो पर बनाई जाती है। यह खीर चावल दूध और कुछ फ्रूटस को मिलाकर बनाई जाती है। इसका रंग कुछ बैंगनी होता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट और मजेदार होती है।
अलू कोंगमेट
यह डिश आलू को उबालकर उसे मसालेदार मिश्रण के साथ मिलाकर परोसा जाता है। यह डिश बनाने में बहुत ही आसान व सरल है। और यह जायेकेदार भी होती है।
नगा थोंगवा
यह एक क्लासिक फिश करी है। यह एक खास प्रकार की नगा मछली से तैयार की जाती है। इसमे मछली को हलकी ढिली ग्रेवी के साथ बनाया जाता है। जो चावलो के साथ परोसी जाती है।
चना कोंगहाउ
यह डिश चने से तैयार की जाती है। जिसको नाश्ते के रूप में चाय के साथ प्रयोग किया जाता है। इस डिश में चने को हल्के मसाले प्याज व हरी मिर्च के साथ फ्राई किया जाता है।
मॉरेन साग
इसका नाम मॉरेन साग है लेकिन यह साग द्वारा नही बनाई जाती है। बल्कि यह डिश कद्दू प्याज को मिलाकर बनाई जाती है। जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है।
प्रिय पाठको मणिपुर का इतिहास, खाना, पर्यटन आदि के बारे में हम अब तक हमने जाना। आइए अब हम इस लेख में आगे मणिपुर का इतिहास का एक अनमोल व सास्कृतिक स्तंभ मणिपुर के नृत्य के बारे में जानेगें।
मणिपुर का नृत्य
जितना पुराना मणिपुर का इतिहास है। उतना ही पुराना यहा इतिहास यहा की नृत्य संस्कृति का भी है। मणिपुरी नृत्य भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यो में गिना जाता है। यह नृत्य देवी देवताओ की पूजा, भगवान श्रीकृष्ण और गोपीयो के प्रेम पर आधारित होता है।
मणिपुरी नृत्य के सुंदर दृश्य
भगवान श्रीकृष्ण और गोपीयो के प्रेम पर आधारित इस नृत्य को शायद इसी कारण रास लीला कहा जाता है। रास लीला मणिपुर प्रसिद्ध नृत्य है जिसका मंचन यहा सांस्कृतिक कार्यक्रमो, त्यौहारो तथा समारोह में किया जाता है।
इस नत्य में भाव और विनम्रता का संगम देखा जा सकता है। इस नृत्य में शरीर को बडी धीमी गति से भाव प्रकट करते हुए चलायि जाता है। जिसका मंचन कलाकार बडे सुंदर तरीके से करते है। रास लीला नृत्य में कलाकारो द्वारा पहनी जाने वाली पोशाके भी बडी आकर्षक होती है। जहा पुरूष कलाकार भगवान श्रीकृष्ण के गवाला रूपी परिधान पहनते है। वही महिला कलाकारो की वेशभूषा और भी अधिक आकर्षक होती है। जिसमे वे कमर के नीचे ड्रम आकार का गोल परिधान पहनती है। जबकि कमर के ऊपर वो एक आज की भाषा मे कहा जाए तो फ्राक टाइप का परिधान पहनती है। महिला कलाकार चेहरे को एक जालीदार दुपटटे से ढकीं होती है। जो कलाकार के चेहरे को छुपाने की नाकाम कोशिश करता है। मणिपुरी नृत्य को वाद्य यंत्रो द्वारा धीमी गति के संगीत से संगीतमय बनाया जाता है। इस रास लीला नृत्य का मंचन दर्शको के लिए काफी मनोरंजक और रोमांचित होता है।
दोस्तो मणिपुर का इतिहास नामक विषय पर आधारित हमारी यह पोस्ट आपको कैसी लगी आप हमे कमेंट करके बता सकते है। यह जानकारी आप अपने दोस्त के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है। यदि आप हमारी हर एक नई पोस्ट की सूचना चाहते है तो आप हमारे बलॉग को सब्सक्राइब भी कर सकते है।
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