उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानीलखनऊ बहुत ही मनोरम और प्रदेश में दूसरा सबसे अधिक मांग वाला पर्यटन स्थल, गोमती नदी के सुरम्य तट के साथ फैला हुआ है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यह शहर अपने गौरवशाली अतीत, उम्दा बोलचाल, सुरुचिपूर्ण ढंग और उर्दू शायरी के लिए उतना ही जाना जाता है, जितना कि यह अपने राजसी स्मारकों के लिए जाना जाता है। अवध के नवाब अपनी भव्य जीवन शैली और फिजूलखर्ची के लिए जाने जाते थे। उन्होंने लखनऊ में कई स्मारकों का निर्माण किया जिन्होंने शहर के परिदृश्य की सुंदरता में योगदान दिया। शहर का कैसरबाग क्षेत्र विशेष रूप से नवाबी युग के कई सुरम्य स्मारकों के लिए जाना जाता है जो शहर को अपनी विशिष्ट पुरानी दुनिया का आकर्षण देते हैं। मकबरा सआदत अली खां का भी उन्हीं इमारतों में से एक है।
मकबरा सआदत अली खां अवध के नवाबों के इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखता है।नवाब सआदत अली खां को एक सक्षम शासक और निर्माता माना जाता था। उन्हें लखनऊ में फरहत बख्श कोठी, हयात बख्श कोठी, दिलकुशा और लोकप्रिय लाल बारादरी जैसी कई भव्य कोठियों (महलों) का निर्माण करने का श्रेय दिया जाता है। नवाब सआदत अली खान की मृत्यु के बाद, उनके बेटेनवाब गाजीउद्दीन हैदर ने बेगम हजरत महल पार्क के पास कैसरबाग में अपने पिता की याद में भव्य मकबरा बनवाया।
मकबरा सआदत अली खां का इतिहास
बेगम हजरत महल पार्क के सामने ही एक अन्य आकर्षक पार्क में स्थित दो मकबरों में से एक नवाब सआदत अली खाँ का और दूसरा उनकी प्रिय बेगम खुर्शेद जादी का है। इन मकबरों का निर्माण उनके साहबजादे गाज़ीउद्दीन हैदर ने करवाया था । जहां आज यह मकबरे मौजूद है वहांकभी एक मकान हुआ करता था जिसमें नवाब सआदत अली खां निवास करते थे। नवाब सआदत अली खाँ के गुजरने के बाद उनके साहबजादे साहब राजमहल गये और कहा– मैंने अपने अब्बू जान का मकान इसलिए लिया है कि मैं अपना मकान उन्हें रहने के लिए दे दूं।
जब नवाब साहब का इंतकाल हुआ तो गाजीउद्दीन हैदर ने अपने मरहुम वालिद को अपने ही घर में दफन कराया और पुराने मकान तुड़वाकर जो मकबरे बनवाए वह यही है। यह दोनों ही मकबरे इटालियन शैली में बने हैं। इन मकबरों के गुम्बद बेमिसाल हैं जो किलखनऊ की तमाम इमारतों के गुम्बदों से भिन्न अपनी एक अलग ही पहचान बनाएँ हुए हैं। मकबरों में शतरंज के आकार में बड़े-बड़े संगमरमर के काले ओर सफेद चोकोर टुकड़ों से फर्श का निर्माण हुआ है। मकबरे के तहखाने में नवाब सआदत अली खाँ की कब्र है और करीब ही उनकी माँ और बेटी की कब्र भी मोजूद हैं। इसी बड़े मकबरे के दक्षिणी भाग में उनके खानदान की तीन कब्रें और भी हैं।
खुर्शीद जादी का मकबरा भी खूबसूरती मे किसी से कम नहीं है। इस मकबरे में बेगम व उनके पुत्र एक साथ दफन हैं। छोट मकबरे का गुम्बद बड़े मकबरे के गुम्बद से भिन्न है। इस मकबरे का तहखाना बाहर की ओर खूलता है। आजादी की लड़ाई के दौरान 17 मार्च, सन् 1858 को जनरल हैवलाक जब इस मकबरे के नजदीक से होकर रेजीडेंसी की ओर जा रहे थे तो इन पर चढ़ी जल्लाद तोपों का ग्रास होने वाले उसके 15 जाँबाज़ सिपाही मारे गये जो कि इन दोनों मकबरों के बीच में दफन है।
मकबरा सआदत अली खांसआदत अली खाँ बड़े ही मितव्ययी माने जाते थे। नवाब साहब ने शुरू-शुरू में फरहत बख्श’ की कोठी 50 हजार रुपये में जनरल मार्टिन से खरीदी और उसी में रहने लगे थे। इसके बाद इस कोठी के इर्द-गिर्द तमाम इमारते बनवाई जिनमें टेटी कोठी’ मुख्य थी। यह कोठी उन्होंने रेजीडेट साहब के लिए बनवाई थी। इस कोठी के भग्नावशेष आज भी रेजीडेंसी में मोजूद हैं। इसके बाद ‘कख्र-
उल-सुल्तान’ नाम से एक मशहूर बारादरी बनवाई जो बाद में ‘लाल बारादरी’ के नाम से विख्यात हुई। आज इस इमारत में ‘ललित कला अकादमी’ का कार्यालय कायम है।
इसके अतिरिक्त नवाब साहब ने दिल आराम, दिलकुशा, हयात बख्श आदि मशहूर कोठियाँ बनवाईं। ‘हयात बख्श’ कोठी में जब तक नवाब साहब जिन्दा रहे रहने आ जाया करते थे उनके गुजरने के बाद किसी नवाब ने इसका इस्तेमाल नहीं किया। हां आजादी की जंग से पहले मेजर बेंक’ इसमें रहे थे।
नवाब साहब के वक्त में तमाम बड़े बाजार कायम हुए जिनमें सआदत गंज, मकबूल गंज, रस्तोगी मौहल्ला, गोलागंज, मौलवीगंज, रकाबगंज आदि मुख्य थे। रकाबगंज लोहे और ‘अनाज’ की सबसे बड़ी मंडी थी ।
नवाब सआदत अली खान के शासन के दौरान स्थापत्य डिजाइनों में एक प्रमुख बदलाव देखा गया था, जब अवधी शैली के वास्तुशिल्प डिजाइनों को धीरे-धीरे यूरोपीय शैली के डिजाइनों द्वारा लेने के लिए छोड़ दिया गया था। आधुनिक यूरोपीय डिजाइनों को नवाब सआदत अली खान के शासनकाल के दौरान और बाद में बनाए गए इमामबाड़ों, बारादरी, कोठी, बगिया (बगीचे), आवासों और अदालत कक्षों के निर्माण में देखा जा सकता है। दुर्भाग्य से, 1857 के विद्रोह के दौरान नवाब सआदत अली खान के मकबरे के आसपास की बारादरी, कोठी और उद्यान को ब्रिटिश सैनिकों द्वारा भारी रूप से नष्ट कर दिया गया था।
मकबरा सआदत अली खां की वास्तुकला
मकबरा में एक बड़ा अर्धवृत्ताकार गुंबद है जो सुंदर संकीर्ण पसली के साथ शामिल है। एक बड़ा गुलदास्ता (फूलों की व्यवस्था) प्रकार की वास्तुशिल्प डिजाइन मकबरा के शीर्ष भाग को सुशोभित करती है।
खुर्शिद ज़ादी का मकबरा नवाब सआदत अली ख़ान के मकबरे के पार दक्षिण-पूर्व दिशा में बना है। दोनों मकबरे मकबरे के समग्र निर्माण को मजबूत करने के लिए चुनम (चूने) के साथ विशिष्ट लखौरी (सपाट ईंटों) के साथ बनाए गए थे।
मकबरा सआदत अली खां का सूक्ष्म प्लास्टर डिजाइनों से अलंकृत है और यह नाजुक इंडो-यूरोपीय स्थापत्य प्रतिभा का एक आकर्षक उदाहरण है। मकबरा एक अद्भुत बगीचे से घिरा हुआ है जिसमें सुंदर मौसमी पौधे, फूल और पेड़ हैं। हरे-भरे बगीचे मकबरे की समग्र उत्कृष्टता को बढ़ाते हैं।
मकबरा की वर्तमान स्थिति
मकबरा सआदत अली खां को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नियामक संस्था के लखनऊ सर्कल द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित किया गया है। मकबरा की कलात्मक स्थापत्य प्रतिभा पर्यटकों को अचंभित कर देती है। मकबरा भले ही आकार में छोटा हो लेकिन आज भी यह सुंदर और आकर्षक दिखता है। मकबरा हर समय आगंतुकों के लिए खुला रहता है और दिन के किसी भी समय जाया जा सकता है।
नवाबों के समय का अनुभव करने के लिए कैसरबाग क्षेत्र का दौरा करें, शाही समृद्धि जिसके लिए वे जाने जाते थे और 1857 के विद्रोह के दौरान और बाद में अंग्रेजों के हाथों उन्हें जिस अपमान का सामना करना पड़ा था। यह क्षेत्र आपको अवध के इतिहास में खींचने में मदद करेगा और लखनऊ के नवाबों के शहर में आपको घर जैसा महसूस कराने के लिए पर्याप्त है।
लखनऊ के पर्यटन स्थल:—-

1857 के स्वतंत्रता संग्राम में लखनऊ के क्रांतिकारी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। इन लखनऊ के क्रांतिकारी पर क्या-क्या न ढाये
Read more लखनऊ में 1857 की क्रांति में जो आग भड़की उसकी पृष्ठभूमि अंग्रेजों ने स्वयं ही तैयार की थी। मेजर बर्ड
Read more बेगम शम्सुन्निसा लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला की बेगम थी। सास की नवाबी में मिल्कियत और मालिकाने की खशबू थी तो बहू
Read more नवाब बेगम की बहू अर्थात नवाब शुजाउद्दौला की पटरानी का नाम उमत-उल-जहरा था। दिल्ली के वज़ीर खानदान की यह लड़की सन् 1745
Read more अवध के दर्जन भर नवाबों में से दूसरे नवाब अबुल मंसूर खाँ उर्फ़ नवाब सफदरजंग ही ऐसे थे जिन्होंने सिर्फ़ एक
Read more भारतीय संगीत हमारे देश की आध्यात्मिक विचारधारा की कलात्मक साधना का नाम है, जो परमान्द तथा मोक्ष की प्राप्ति के
Read more बेगम अख्तर याद आती हैं तो याद आता है एक जमाना। ये नवम्बर, सन् 1974 की बात है जब भारतीय
Read more उमराव जान को किसी कस्बे में एक औरत मिलती है जिसकी दो बातें सुनकर ही उमराव कह देती है, “आप
Read more गोमती लखनऊ नगर के बीच से गुजरने वाली नदी ही नहीं लखनवी तहजीब की एक सांस्कृतिक धारा भी है। इस
Read more लखनऊ अपने आतिथ्य, समृद्ध संस्कृति और प्रसिद्ध मुगलई भोजन के लिए जाना जाता है। कम ही लोग जानते हैं कि
Read more नवाबों के शहर लखनऊ को उत्तर प्रदेश में सबसे धर्मनिरपेक्ष भावनाओं, संस्कृति और विरासत वाला शहर कहा जा सकता है। धर्मनिरपेक्ष
Read more एक लखनऊ वासी के शब्दों में लखनऊ शहर आश्चर्यजनक रूप से वर्षों से यहां बिताए जाने के बावजूद विस्मित करता रहता
Read more लखनऊ एक शानदार ऐतिहासिक शहर है जो अद्भुत स्मारकों, उद्यानों और पार्कों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐतिहासिक स्मारक ज्यादातर अवध
Read more बड़ा लम्बा सफर तय किया है कैनिंग कालेज ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के रूप में तब्दील होने तक। हाथ में एक
Read more लखनऊ के राज्य संग्रहालय का इतिहास लगभग सवा सौ साल पुराना है। कर्नल एबट जो कि सन् 1862 में लखनऊ के
Read more चारबाग स्टेशन की इमारत मुस्कुराती हुई लखनऊ तशरीफ लाने वालों का स्वागत करती है। स्टेशन पर कदम रखते ही कहीं न
Read more लखनऊ उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है, और भारत का एक ऐतिहासिक महानगर है। लखनऊ को नवाबों का शहर कहा
Read more पतंगबाजी या कनकौवे बाजी, पतंग उर्फ 'कनकइया' बड़ी पतंग उर्फ 'कमकउवा, बड़े ही अजीबो-गरीब नाम हैं यह भी। वैसे तो
Read more नवाबी वक्त में लखनऊ ने नृत्य और संगीत में काफी उन्नति की। नृत्य और संगीत की बात हो और तवायफ का
Read more लखनऊ की नजाकत-नफासत ने अगर संसार में शोहरत पायी है तो यहाँ के लोगों के शौक भी कम मशहूर नहीं
Read more कभी लखनऊ की मुर्गा की लड़ाई दूर-दूर तक मशहूर थी। लखनऊ के किसी भी भाग में जब मुर्गा लड़ाई होने वाली
Read more लखनऊ सारे संसार के सामने अदब और तहजीब तथा आपसी भाई-चारे की एक मिसाल पेश की है। लखनऊ में बीतचीत
Read more लखनऊ का चिकन उद्योग बड़ा मशहूर रहा है। लखनवी कुर्तीयों पर चिकन का काम नवाबीन वक्त में खूब फला-फूला। नवाब आसफुद्दौला
Read more लखनऊ नवाबों, रईसों तथा शौकीनों का शहर रहा है, सो पहनावे के मामले में आखिर क्यों पीछे रहता। पुराने समय
Read more लखनवी पान:-- पान हमारे मुल्क का पुराना शौक रहा है। जब यहाँ हिन्दू राजाओं का शासन था तब भी इसका बड़ा
Read more दिलकुशा कोठी, जिसे "इंग्लिश हाउस" या "विलायती कोठी" के नाम से भी जाना जाता है, लखनऊ में गोमती नदी के तट
Read more लखनऊ का व्यंजन अपने अनोखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर अपने कोरमा, बिरयानी, नहरी-कुलचा, जर्दा, शीरमल, और वारकी
Read more रहीम के नहारी कुलचे:--- लखनऊ शहर का एक समृद्ध इतिहास है, यहां तक कि जब भोजन की बात आती है, तो लखनऊ
Read more उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले दो चीजों की तरफ ध्यान जाता है। लखनऊ की बोलचाल
Read more लखनऊ शहर कभी गोमती नदी के तट पर बसा हुआ था। लेकिन आज यह गोमती नदी लखनऊ शहर के बढ़ते विस्तार
Read more नवाबों का शहर लखनऊ समृद्ध ऐतिहासिक अतीत और शानदार स्मारकों का पर्याय है, उन कई पार्कों और उद्यानों को नहीं भूलना
Read more लखनऊ शहर जिसे "बागों और नवाबों का शहर" (बगीचों और नवाबों का शहर) के रूप में जाना जाता है, देश
Read more उत्तर प्रदेश राज्य में लखनऊ से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा नगर काकोरी अपने दशहरी आम, जरदोजी
Read more लखनऊ शहर में मुगल और नवाबी प्रभुत्व का इतिहास रहा है जो मुख्यतः मुस्लिम था। यह ध्यान रखना दिलचस्प है
Read more प्रकृति के रहस्यों ने हमेशा मानव जाति को चकित किया है जो लगातार दुनिया के छिपे रहस्यों को उजागर करने
Read more लखनऊ में सर्दियों की शुरुआत के साथ, शहर से बाहर जाने और मौसमी बदलाव का जश्न मनाने की आवश्यकता महसूस होने
Read more धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर बिठूर की यात्रा के बिना आपकी लखनऊ की यात्रा पूरी नहीं होगी। बिठूर एक सुरम्य
Read more एक भ्रमण सांसारिक जीवन और भाग दौड़ वाली जिंदगी से कुछ समय के लिए आवश्यक विश्राम के रूप में कार्य
Read more लखनऊ में हमेशा कुछ खूबसूरत सार्वजनिक पार्क रहे हैं। जिन्होंने नागरिकों को उनके बचपन और कॉलेज के दिनों से लेकर उस
Read more इस निहायत खूबसूरत लाल बारादरी का निर्माण सआदत अली खांने करवाया था। इसका असली नाम करत्न-उल सुल्तान अर्थात- नवाबों का
Read moreअवध के नवाब :——

मलिका किश्वर साहिबा अवध के चौथे बादशाह सुरैयाजाहु नवाब अमजद अली शाह की खास महल नवाब ताजआरा बेगम
कालपी के नवाब
Read more लखनऊ के इलाक़ाए छतर मंजिल में रहने वाली बेगमों में कुदसिया महल जेसी गरीब परवर और दिलदार बेगम दूसरी नहीं हुई।
Read more बेगम शम्सुन्निसा लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला की बेगम थी। सास की नवाबी में मिल्कियत और मालिकाने की खशबू थी तो बहू
Read more नवाब बेगम की बहू अर्थात नवाब शुजाउद्दौला की पटरानी का नाम उमत-उल-जहरा था। दिल्ली के वज़ीर खानदान की यह लड़की सन् 1745
Read more अवध के दर्जन भर नवाबों में से दूसरे नवाब अबुल मंसूर खाँ उर्फ़ नवाब सफदरजंग ही ऐसे थे जिन्होंने सिर्फ़ एक
Read more सैय्यद मुहम्मद अमी उर्फ सआदत खां बुर्हानुलमुल्क अवध के प्रथम नवाब थे। सन् 1720 ई० में
दिल्ली के मुगल बादशाह मुहम्मद
Read more नवाब सफदरजंग अवध के द्वितीय नवाब थे। लखनऊ के नवाब के रूप में उन्होंने सन् 1739 से सन् 1756 तक शासन
Read more नवाब शुजाउद्दौला लखनऊ के तृतीय नवाब थे। उन्होंने सन् 1756 से सन् 1776 तक अवध पर नवाब के रूप में शासन
Read more नवाब आसफुद्दौला-- यह जानना दिलचस्प है कि अवध (वर्तमान लखनऊ) के नवाब इस तरह से बेजोड़ थे कि इन नवाबों
Read more नवाब वजीर अली खां अवध के 5वें नवाब थे। उन्होंने सन् 1797 से सन् 1798 तक लखनऊ के नवाब के रूप
Read more नवाब सआदत अली खां अवध 6वें नवाब थे। नवाब सआदत अली खां द्वितीय का जन्म सन् 1752 में हुआ था।
Read more नवाब गाजीउद्दीन हैदर अवध के 7वें नवाब थे, इन्होंने लखनऊ के नवाब की गद्दी पर 1814 से 1827 तक शासन किया
Read more नवाब नसीरुद्दीन हैदर अवध के 8वें नवाब थे, इन्होंने सन् 1827 से 1837 तक लखनऊ के नवाब के रूप में शासन
Read more मुन्नाजान या नवाब मुहम्मद अली शाह अवध के 9वें नवाब थे। इन्होंने 1837 से 1842 तक लखनऊ के नवाब के
Read more अवध की नवाब वंशावली में कुल 11 नवाब हुए। नवाब अमजद अली शाह लखनऊ के 10वें नवाब थे, नवाब मुहम्मद अली
Read more नवाब वाजिद अली शाह लखनऊ के आखिरी नवाब थे। और नवाब अमजद अली शाह के उत्तराधिकारी थे। नवाब अमजद अली शाह
Read more