मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यह हमीरपुर से 106 किलोमीटर दूर और महोबा से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। यह स्थान मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत आता है। मंगलगढ़ दुर्ग के नीचे पहाड़ी की तलहटी में बसी बस्ती चरखारी के नाम से विख्यात है इसका पुराना नाम महराज नगर था।
मंगलगढ़ के इतिहास के अनुसार चरखारी नगर का विकास सन् 1761 में राजा खुमान सिंह के शासन में हुआ था। राजा खुमान सिंह ने सन् 1782 तक शासन किया। इनके पुत्र का नाम विज विक्रमवीर था। खुमान सिंह के बाद उनके पुत्र विक्रम वीर राजा बने। राजा विज विक्रमवीर की मृत्यु 1829 हुई। इसके पश्चात रतन सिंह राजा हुए। चन्देल शासनकाल में यहाँ पर अनेक तालाब निर्मित हुये थे। तथा उनके किनारे अनेक मन्दिर निर्मित हुये थे। ये सभी मंदिर चंदेलकालीन थे।
मंगलगढ़ का किला
मंगलगढ़ का किला व उसके समीप में निम्नलिखित स्थान दर्शनीय है
राजा का प्राचीन महल
इस महल का मुख्य द्वार वास्तुशिल्प की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तथा इसके अतिरिक्त दुर्ग के ऊपर भी अनेक दर्शनीय स्थान है।
मंगलगढ़ का किला या उसके भग्नावशेष
यह दुर्ग चन्देलकालीन है। तथा इसका निर्माण एक पहाड़ी पर हुआ है। इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिये पहाड़ी पर चढना पडता है। उसके पश्चात दुर्ग का प्राचीर उपलब्ध होती है। प्राचीर से लगा हुआ दुर्ग का प्रवेश द्वार है। तथा प्रवेश द्वार के ऊपर सैनिकों के रहने के स्थल आवासीय महल और जलाशय मिलते होते है।
गोवर्धननाथ का मंदिर
चरखारी बस्ती में गोबर्धन नाथ का मन्दिर सर्व प्रसिद्ध मन्दिर है। इस मन्दिर में कार्तिक शुक्र परीवा से लेकर एक माह तक गोवर्धन मेला लगता है इस मेले में विभिन्न स्थलों के व्यापारी आते है।
कुल मिलाकर कहा जाये तो मंगलगढ़ का किला बुंदेलखंड के किलो की फेरहिस्त में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हालांकि यह किला रख रखाव के अभाव के कारण खंड़हर जैसी स्थिति में है।.फिर फिर इतिहास में रूचि रखने वाले पर्यटकों को यह खूब आकर्षित करता है।
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