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भाई दूज

भाई दूज की कहानी – भाई दूज का पर्व क्यों मनाया जाता है

लोक में भाई-बहन के प्रेम को अप्रतिम बनाने के लिए रक्षाबंधन और भाई दूज दो पर्व बनाये गये है। रक्षाबंधन आवणी पूर्णिमा को होता है, तो भाई दूज चैत्र मास मे होलिका दहन के बाद चैत्रवदी द्वितीया को और फिर दीपावली के बाद कार्तिक वदी द्वितीया को व्रतोत्सव के साथ सम्पन्न होता है। इस अवसर पर बहिनें भाईयों को बुलाकर उनको तिलक लगाती, मिठाई खिलाती तथा उनकी एक प्रकार से पूजा करती है। जब भाई घर नही आ पाता तो वे घर के द्वार के पास भाई-भौजाई की प्रतिमा सूचक गेरू की दो पुतलिया बनाती है और रोली-रक्षा से पूजकर पकवान बनाकर उसका भोग लगाती है। घर के प्रवेशद्वार की देहली के नीचे बाहरी ओर गोबर की चौकोर पेदी बनाकर गोबर की ही चार पुतलिया उसके चारो कोनो पर और एक पुतली बीच मे रखी जाती है। फिर धूप, दीप, नैवेद्य के अलावा दैनिक उपयोग की वस्तुओ- जैसे मूसल, चौका, चूल्हा, हडिया, गोबर या मिट्टी की बनाकर या यथार्थ रूप मे रखकर पूजनोपरात बहने भाइयो को टीका लगाकर मिठाई खिलाती है। मूसल से उसकी परछन करती हुई उसके कल्याण और अशुभ-निवारण के लिए प्रार्थना करती है। इसके बदले मे भाई बहिन को प्रणाम करता और उपहार स्वरूप कुछ प्रदान करता है। इस अवसर पर कुछ कहानियां कही जाती है, उनमे से एक इस प्रकार है।

भाई दूज की कहानी

सात बहनों मे एक दुलारा भाई था। उसकाविवाह निश्चित हुआ तो वह अपनी छोटी बहन को लेने के लिए उसके घर गया, बाकी सभी बहने काफी दूर थी। उस दिन भाई दूज थी और बहन द्वार पर पूजा कर रही थी। उसने उसका खिला-पिला कर सत्कार किया। भाई ने बहिन को विवाह का आमंत्रण दिया और घर चलने के लिए कहा। बहिन रात ही मे उठकर रास्ते के लिए पूरिया बनाने के ख्याल से आटा पीसने लगी। उसमे अनजाने मे सांप की हड्डी भी पिस गयी। उसी आटे की पूरी बनी और उसे बांध कर भाई को रास्ते मे खाने के लिए दे दिया। भाई अपने घर की ओर चला और थक जाने पर पूरी को एक पेड की शाखा मे बाधकर स्वयं सो गया।

भाई दूज
भाई दूज

इधर उस बहिन ने एक पूरी कुत्ते को खाने के लिए दी। पूरी खाते ही कुत्ता गिरकर मर गया। बहिन को शक हुआ तो वह दौडी भाई की ओर गयी। भाई पेड के नीचे सो रहा था। उसने टंगी हुई पूरियों को जमीन के भीतर गाड दिया और अपने पास की दूसरी अच्छी पूरियों को भाई के जगने पर उसे खाने के लिए दिया और पानी लाने के लिए पास की बावली के पास चली गयी। वहा एक बढ़ई शाही के काटे एकत्र कर रहा था। बहन ने पूछा- यह क्‍या है तो बढ़ई ने बताया कि यह वह वस्तु है जिसे बहिन अपने भाई के मुख मे डालती है ‘जिससे भाई की अकाल मृत्यु नही होती और वह तमाम बवालों से बच जाता है। उसने यह भी बताया कि बारात आने के दिन सोने की पताकी भाई को गालियां देते हुए द्वार पर लगा दी जाती है तो द्वार नही गिरती अन्यथा द्वार गिरने पर भाई दब कर मर सकता है। इतना ही नही, भावर के समय सिंह के आने और भाई के खा जाने का भी भय है, उससे बचने के लिए हरे जौ का पूला उसके सामने डाल देने और एक काटा मण्डप में गाड देने से सिंह भाग जायगा।

विवाह का समय आया, मण्डप बैठा तो बहन भाई को तरह-तरह की गालियां देती हुई पहले स्वयं विवाह की सारी क्रियाएं स्वयं करती फिर भाई करता। विवाह में भी बारात के संग बहिन भाई के साथ गयी। वहा भी उसने शाही के काटे द्वार पर खोसे, विवाहोपचार पहले स्वयं किया तब भाई से कराया। किंतु भावर के समय वह सो गयी और भाई का भावर होने लगा, इसी बीच भाई मुर्च्छित होकर गिर पडा, तब बहन को खबर की गयी। वह गालियां देती हुई पुन मण्डप मे पहुची, तब तक सिंह आ गया, उसने तदनूसार जौ का पूला उसके सामने फेका और मण्डप मे कांटा खोस दिया जिससे सिंह भाग गया। विवाह की रस्मे पूरी हुई और बारात, भाई-बहन सभी सकुशल घर चले गये।

घर पर ग्राम देवता के पूजन के उपरान्त जब सोनार के नेग का समय आया तो बहन मचल गयी और बोली भाई-भौजाई के संग मैं भी सोऊंगी। लाख मनाने पर भी जब नहीं मानी तो लोगों ने साथ सोने की अनुमति दे दी। वह पलंग पर बीच में स्वयं एक ओर भाई को, दूसरी ओर भौजाई को सुला दिया। जब भाई-भौंजाई दोनो सो गये तो ऊपर एक सर्प दिखलाई पडा। बहन ने उसे मारा और कपडे के नीचे ढककर स्वय गीत गाती हुई बाहर निकल आयी और औरतों के संग गाने-बजाने लगी। प्रात. वह भी सो गयी, जगाने पर भी नहीं जगी तो लोग आजिज आकर उसे उसके ससुराल भेजने लगे तो उसने मरे हुए सर्प को लाकर दिखाते हुए पूरी कहानी बता दी। लोगो की समझ मे यह बात आ गई कि बहन ने भाई के प्राणों की रक्षा कैसे-कैसे की। तभी से भाई के अखण्ड सुख के लिए यह व्रत रखा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यमुना जी अपने भाई यम से मिलने गयी थी तो यम ने वरदान दिया कि भाई दूज के दिन जो भी यमुना में स्नान करेगा, वह यमलोक नही जायेगा। तभी से भाई दूज के दिन यमुना-स्नान का महत्व प्रतिपादित हुआ बताया जाता है।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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