बस्ती , गोरखपुर, देवरिया तीनो एक स्वभाव के शहर है। यहां की सांस्कृतिक परपराए महत्वपूर्ण और अक्षुण्ण रही हैं। सरयू नदी का प्रभाव-क्षेत्र होने के कारण यहां भी सभ्यताओं का उदय-अस्त
हुआ है। यहा के मेले और त्यौहार प्राय धार्मिक भावभूमि पर आधारित हैं। पूरा पूर्वाचल आरभ से ही काशी के प्रभाव-क्षेत्र में होने के कारण शिव-साधना का और विन्ध्यांचल के कारण शक्ति-साधना का केन्द्र रहा है। बस्ती नगर से चार किमी की दूरी पर भदेश्वर नाथ का शिव-मंदिर है जहां शिवशत्रि पर बड़ा मेला लगता है। जिसको भदेश्वर नाथ का मेला कहते हैं। यह स्थान सरयू जी के तट पर स्थित है जहा एक पुराना मंदिर है। कहते है यहा शिवजी स्वयं प्रकट हुए थे। बस्ती जिले यह एक मात्र मंदिर है जहां भक्तों की सबसे अधिक भीड़ रहती है।
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भदेश्वर नाथ मंदिर का महत्व

बाबा भदेश्वर नाथ का वर्णन पुराणों में देखने को मिलता है। बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि त्रेता युग में रावण ने भदेश्वर नाथ शिवलिंग की स्थापना की थी। कोटि रूद्र संहिता शिव पुराण के श्लोक में भदेश्वर नाथ का वर्णन भी मिलता है। इसके अलावा इस शिवलिंग का महत्व द्वापरयुग युग से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि द्वापर युग पांचों पांडवों ने यहां तपस्या की थी। इसके बाद कलयुग में यहां के राजा को जो जंगल में शिकार खेलने आए थे तो उन्होंने इस शिवलिंग को प्रथम बार देखा और सन् 1723 में यहां कुछ ब्राह्मण को बसाया और शिवलिंग की पूजा पाठ आरंभ कराई। इसके बाद सन् 19वी शताब्दी के आरंभ में यहां एक मंदिर की स्थापना की गई। भदेश्वर नाथ शिवलिंग की विशेषता यह है कि इसको दोनों हाथ से बाहों में नहीं भरा जा सकता है। कहते हैं कि शिवलिंग का आकार बढ़ जाता है।
बाबा भदेश्वर नाथ का मेला
शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में शिव भक्त सरयू अयोध्या से जल लाकर शिवलिंग पर चढाते है। इस दौरान यहां बड़ा भव्य मेला लगता है। यह मेला 8 दिन चलता है जिसमे पचास हजार से ऊपर भीड एकत्र होती है। यातायात का साधन बस, रिक्शा, टैक्सी आदि है। यहा नगर के अतिरिक्त अन्य जनपदो तक के श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते है। इस मेले में काष्ठकला, मिट्टी तथा अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुए बिकने आती हैं। गन्ना, तेलहिया, जलेबी खूब बिकती है। चरखी, नाटक, नौटंकी, लोकगीत, प्रवचन के वृहद आयोजन होते है। लकडी का खरादा हुआ चारपाई का गोडा तथा पशु भी बिकने के लिए आते है।