बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जोदतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यंहा पर बहुत ही प्रसिद्ध हवेली है जंहा बुन्देलखण्ड के प्रतापी राजा वीर सिंह जू देव का राज्याभिषेक हुया था यहां बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित गुप्तकालीन मंदिर बने हुए हैं। साथ ही यह स्थान बुन्देली शैली में बने किले और हवेलियों के लिए भी काफी लोकप्रिय है। और यहीं पर गुप्त काल का एक मन्दिर भी है।
बड़ौनी का इतिहास
बड़ौनी कभी ओरछा राज्य का एक अंग था, बाद में यहाँ के जागीर वीरसिंह जी देव को मिल गयी बीर सिंह जी देव ओरछा नरेश मधुकरशाह के चौथे पुत्र थे। पिता की मृत्यु के पश्चात इन्द्रजीत सिंह प्रतापराव और बीर सिंह जी देव एक मत हो गये और उन्होने यह निश्चित किया कि वे मुसलमानों के अधीन नही रहेगे। इसलिए मुगलो से लडने के लिये उन्होने निजी सेना का गठन किया और खजोहा तथा बढ़ौनी किले को सुसज्जित करके वे मुगलों से युद्ध करने लगे।
बड़ौनी का किलाबीर सिंह जी देव को सन् 1592 में परिवारिक बटवारे में बडौनी की जागीर मिली थी, यहाँ पर उस समय जो लोग कार्य कर रहे थे। उनसे बीर सिंह जी की पटी नहीं उन्होंने उन्हें वहां से मार भगाया उसके पश्चात उन्होने अपनी शक्ति का विस्तार किया तथा कुछ समय बाद पवायाँ तोमरगढ़ इनके अधिकार में आ गये।
धीरे-धीरे नरवर,और केलारस के क्षेत्र भी इनके अधीन हो गये। इन्होंने जाटों और मैणा जाति के लोगों से संघर्ष किया, और कुछ समय बाद ओरछा करहश और हथनौरा इनके राज्य में शामिल हो गया। इनका युद्ध मुगल सेनापति बाग जंग जागडा से हुआ। उसे इन्होनें युद्ध में मार डाला उनकी शक्ति को देखकर भाण्डेर का मुगल सरदार भाग गया और भाण्डेर बिना युद्ध किये उन्हें मिल गया। बीर सिंह जी देव के युद्ध मुगल सम्राज्य अकबर से बराबर चलते रहे, किन्तु जहाँगीर से इनकी मित्रता होने के कारण जहाँगीर के शासक बनने के पश्चात इनका कोई युद्ध मुगलो से नहीं हुआ।
बड़ौनी का किला बीर सिंह जी देव के पूर्वजों ने बनवाया था, तथा यह दुर्ग औरछा राज्य की सीमाओं की रक्षा करता था। तथा यहाँ के निवासियों के प्रशासनिक व्यवस्था भी दुर्ग के अधिकारियों के आधीन थी। जब बीर सिंह जी देव के अधिकार में यह दुर्ग आया उस समय उन्होंने बड़ौनी के किले का जीर्णोद्धार कराया तथा वहाँ आवास के लिये अनेक भवनो का निर्माण कराया।
इस दुर्ग में अनेक ऐसे स्थल है जो दर्शनीय है वे निम्नलिखित है-
1. किले के अवशेष
2. दुर्ग के प्रवेश द्वार
3. दुर्ग के आवासीय स्थल ,
4. दुर्ग में उपलब्ध थार्मिक स्थल
5. दुर्ग के जलाशय
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