भारत के राज्य हरियाणा में स्थित कुरूक्षेत्र भारत के प्राचीनतम नगरो में से एक है। इसकी प्राचीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह स्थान भारत के इतिहास के सबसे भीषण युद्ध महाभारत गवाह रहा है। कौरवो और पाडवो के बीच महाभारत का वह भीषण युद्ध इसी स्थान पर हुआ था। ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र की इसी पावन व पवित्र धरती पर स्थित है। यूं तो कुरूक्षेत्र एक तीर्थ स्थल है। इस पावन क्षेत्र में अनेक धार्मिक स्थल है। परंतु स्नेहत के बाद ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र का दूसरा सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है।
ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र
ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र का एक विशाल सरोवर है। यह विशाल सरोवर एशिया का सबसे बडा सरोवर माना जाता है। ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र के लगभग 4 हजार फुट लंबे और 2 हजार फुट चौडे क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस सरोवर का यह विशाल आकार इसे एशिया का सबसे बडा सरोवर बनाता है।
इस तीर्थ स्थान को सभ्यता का गढ माना जाता है। कहा जाता है कि भगवानब्रह्माने ब्रह्म सरोवर के किनारे बैठकर पूजा की थी। और यहा शिवलिंग की स्थापना की थी। यह शिवलिंग आज भी ब्रह्म सरोवर के मध्य में स्थित सरवेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है। यह मंदिर एक छोटे से पुल द्वारा सरोवर के किनारे से जुडा हुआ है।
ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र के सुंदर दृश्ययह मंदिर अपनी अनुपम छटा और महत्वता के कारण पर्यटको और भक्तो में काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में शिव पार्वती और गणेश भगवान की मूर्तिया भी स्थिपित है। मंदिर के एक कक्ष में गुरूड नारायणजी की संगमरमर से निर्मित मूर्ति स्थापित है। जो देखने में काफी सुंदर प्रतित होती है। तथा मंदिर के अन्य कक्षो में महाबली हनुमानजी, गवालो के सखा भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम जी की सुंदर व कलात्मक मूर्तिया स्थापित है।
ब्रह्म सरोवर के मध्य में ही एक स्थान को चंद्रकूप कहा जाता है। यह एक प्राचीन स्थान माना जाता है। ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र के दर्शन के लिए आने वाले श्रृद्धालु ब्रह्म सरोवर में स्नान करके इस कूप के दर्शन अवश्य करते है। इसके दर्शन करना शुभ माना जाता है।
चंद्र ग्रहण, सोमवती अमावस्य, बावन द्वादशी, फलगू तथा वैशाखी के शुभ अवसरो पर ब्रह्म सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इन शुभ अवसरो पर लाखो श्रद्धालु यहा स्नान करने आते है। ब्रह्म सरोवर में स्नान करने का बहुत बडा महत्ल माना जाता है। कहा जाता है कि ब्रह्म सरोवर में केवल एक डुबकी लगाने से अश्वमेध यज्ञ आयोजित करने के समान फल मिलता है।
ब्रह्म सरोवरके पास ही में गीता भवन, पांडवो का मंदिर(जिसे बाबा श्रवण नाथकी हवेली भी कहते है)स्थित है। इस भवन का निर्माण सन् 1921-22 में किया गया था। यहा एक पुस्तकालय है। जिसमे धार्मिक पुस्तकों व ग्रंथो के अलावा देश की हर भाषा में गीता उपलब्ध है।
पांडवो के मंदिर या बाबा श्रवण नाथ की हवेली में पांच पांडवो, कौरवो, भगवान श्रीकृष्ण और महाबली हनुमान जी की मूर्तिया है। पास ही में भीष्म पितामह जी की बाण शैय्या पर लेटे हुए मूर्ति है। इसके अलावा भगवान लक्ष्मीनारायण, भगवती दुर्गा और बाबा श्रवण नाथजी की मूर्तियास्थापित है। बाबा श्रवणनाथ जी के विषय में कहा जाता है कि 17 वी शताब्दी के अंत में ये बडे प्रसिद्ध महात्मा हुए थे। इस हवेली का निर्माण उन्होने ही करवाया था। यहा पर जन्माष्टमी पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है।
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बाबा श्रवण की हवेली के करीबही बिडला मंदिर है। इस मंदिर के आंगन में संगमरमर का एक बेहद सुंदर रथ बना हुआ है। जिसमे भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश दे रहे है। यहा एक धर्मशाला भी है जहायात्रियो के ठहरने की अच्छी व्यवस्था है।
ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र से कुछ ही दूरी पर स्थित मिर्जापुर गांव में एक किला है। जो कर्ण का टीला या कर्णखेडा के नाम से जाना जाता है। इसके बारे कहा जाता है कि यहा दानवीर कर्ण ने युद्ध के समय ब्राह्मणो को दान दिया था। कुरूक्षेत्र रेलवे स्टेशन से इस स्थान की दूरी मात्र 4 किलोमीटर है।
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