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बैसाखी

बैसाखी का पर्व किस दिन मनाया जाता है – बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है

बैसाखी सिक्ख धर्म का बहुत ही प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस दिन गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की नींव डाली थी। गुरु गोविंद सिंह सिक्‍ख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे इसलिए उन्हें “दशमेश” भी कहा जाता है। गुरुनानक देव सिक्‍ख धर्म के पहले गुरु हैं, जिनका जन्म “ननकाना साहब” में हुआ था, जो अबलाहौर के पास पाकिस्तान में है।

बैसाखी का त्योहार किस समुदाय के लोग मनाते है

बैसाखी का त्योहार आमतौर से 3 अप्रैल को बैसाख के महीने में आता है। अब यह पंजाब का सबसे बड़ा पर्व बन गया है। क्योंकि यही समय फसल कटने का भी है, इसलिए इस अवसर पर किसान बहुत संतुष्ट, खुशहाल और चिंतामुक्त होते हैं। यह त्योहार सिक्‍खो के तीसरे गुरु अमरदास जी ने गोविंदवाल पंजाब में प्रारंभ किया था, जहां उन्होंने एक बहुत बड़ी बावली बनवाई थी। यहां हर साल बहुत बड़ा मेला लगता है।

गुरु गोविंद सिंह के जमाने में सिक्‍खों को मुग़लों और पहाड़ी राजाओं से मुकाबला करना पड़ता था। इसलिए उन्होंने “ख़ालसा पंथ” की नींव डाली, जिसके लिए पांच चीजों … अमृत चखना, कृपाल, कड़ा, केश और कंघा को आवश्यक बताया और उनका आदर उनके कर्तव्य में शामिल है।

बैसाखी
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इस दिन नए सिक्‍खों और बच्चों को विशेष रूप से तैयार किया जाता है। इस दिन अमृत चख कर पंथ में शामिल किया जाता है। सबसे प्रमुख उत्सव आनंदपुर साहब में होता है। बैसाखी के दिन हर सिक्‍ख के लिए गुरुद्वारा जाना आवश्यक है। संपन्न श्रद्धालु इस दिन अमृतसर के स्वर्णमंदिर जाते हैं, जो सिक्‍खों का मुख्य गुरुद्वारा माना जाता है। यह सुनहरा मंदिर गुरु रामदास जी ने बनवाया था, जिस के लिए जमीन अकबर बादशाह ने दी थी।

इस की नीव पंजाब के एक बहुत बड़े सूफी मियां पीर ने रखी थी। महाराजा संजीव सिंह ने इस के ऊपर सोने के काम के पत्र चढ़वाए थे। इसमें हरमंदिर साहब, दरबार साहब और सराय रामदास का पवित्र और मुख्य भवन शामिल है। सिक्‍खों का विश्वास है कि सवर्णमंदिर के बीच बने सरोवर में नहाने से मनुष्यों के दुःख दूर हो जाते हैं।

बैसाखी के दिन पंजाब में जगह-जगह मेले लगते हैं। नौजवान लोग इस अवसर पर भंगड़ा करते हैं और लड़कियां फसल से संबंधित गीत गाती हैं। सभी लोग पास के गुरुद्वारा में जाकर माथा टेकते हैं। इस दिन की खास रस्म गुरु ग्रंथ साहब एक बार में पूरा पढ़ा जाता है अर्थात अखंड पाठ होता है। गुरु ग्रंथ साहब सिक्‍खों का पवित्र धार्मिक ग्रंथ है, जिस में गुरु नानक देव, कबीर और दूसरे संतों के विचारों का समावेश किया गया है। सिक्ख धर्म मूर्ति-पूजा, जात-पात, छूआ-छूत को विरोध करता है।

बैसाखी वाले दिन गुरुग्रंथ साहब को अति आदर के साथ जुलूस में ले जाया जाता है। जिसके आगे पांच प्यारे खुली तलवारें लेकर चलते हैं। लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस जुलूस में शामिल होते हैं। दिल्लीं के गुरुद्वारा मोती बाग में इस दिन विशेष उत्सव होता है। बैसाखी एक धार्मिक पर्व भी है और फसल का त्योहार भी। पंजाब में यह त्योहार सभी जातियों और पंथों के लोग मिल जुल कर मनाते हैं।

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Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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