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बिंदु सरोवर सिद्धपुर गुजरात के सुंदर दृश्य

बिंदु सरोवर गुजरात के सिद्धपुर मे मातृश्राद के लिए प्रसिद्ध तीर्थ

जिस प्रकार पितृश्राद्ध के लिए गया प्रसिद्ध है। वैसे ही मातृश्राद के लिए सिद्धपुर मे बिंदु सरोवर प्रसिद्ध है। इसे मातृ-गया भी कहते है। इसका प्राचीन नाम श्री स्थल है। यह क्षेत्र प्राचीन काम्यकवन में पडता है। महर्षि कर्दम का आश्रम यही पर था। यही भगवान कपिल का अवतार हुआ था। यहां शुद्ध ह्रदय से जो भी कर्म किया जाता है। वह तत्काल सिद्ध हो जाता हैं। औदीच्च ब्राह्मणों की उत्पत्ति यही पर हुई थी। उनके कुल देवता भगवान गोबिंद माधव है।

बिंदु सरोवर का महात्म्य

पुराणों के अनुसार यह क्षेत्र पुण्यमय आदितीर्थ है। यहां व्यक्ति के प्रवेश करते ही सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यहा मितभोजी पुरूष नियम पूर्वक रहता हुआ देवता-पित्तरों की पूजा करके सर्वमनोरथप्रद यज्ञ का फल प्राप्त कर लेता है।

बिंदु सरोवर सिद्धपुर गुजरात के सुंदर दृश्य
बिंदु सरोवर सिद्धपुर गुजरात के सुंदर दृश्य

बिंदु सरोवर की धार्मिक पृष्ठभूमि

  • कहा जाता है कि यहां किसी कल्प में देवता एवं असुरों ने समुद्र मंथन किया था। और यही लक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव हुआ था। भगवान नारायण लक्ष्मी जी के साथ यहां स्थित हुए। जिसके कारण यह श्री स्थल कहा जाने लगा।
  • सरस्वती के तट पर ही प्रथम सतयुग में महर्षि कर्दम का आश्रम था। कर्दम जी ने दीर्घकाल तक यहां तपस्या की। उस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान नारायण प्रकट हुए। महर्षि कर्दम पर अत्यंत कृपा के कारण भगवान के नेत्रों से कुछ अश्रु- बिंदु गिरे, जिसके कारण यह बिंदु स्थल तीर्थ हो गया।
  • स्वाम्भुव मनु ने इसी आश्रम में आकर अपनी कन्या देवहूति को महर्षि कर्दम को अर्पित किया। यही देवहूति से भगवान कपिल का अवतार हुआ। भगवान कपिल ने यही माता देवहूति को ज्ञानोपदेश दिया और वही परम सिद्धि प्राप्त माता देवहूति देह-द्रवित होकर जल रूप मे हो गई।
  • कहा जाता है कि ब्रह्मा की अल्पा नाम की एक पुत्री माता देवहूति की सेवा करती थी। उसने भी माता के साथ भगवान कपिल का ज्ञानोपदेश सुना था, जिसका कारण उसका शरीर भी द्रवित होकर अल्पा सरोवर बन गया।
  • पिता की आज्ञा से परशुरामजी ने माता का वध किया। यद्यपि पिता से वरदान मांगकर उन्होंने माता को जीवित करा दिया, तथापि उन्हें मातृ हत्या का पाप लगा। उस पाप से यहां बिंदु सरोवर और अल्पा सरोवर में स्नान करके और मातृ तर्पण करके वे मुक्त हुए। तभी से यह क्षेत्र मातृश्राद के लिए उपयुक्त माना गया एवं मातृ गया के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • महाभारत युद्ध में भीमसेन ने दुःशासन का रक्त मुख से लगाया था। श्रीकृष्ण की आज्ञा से यहां आकर सरस्वती में स्नान करके वे इस दोष से मुक्त हुए थे

बिंदु सरोवर और सिद्धपुर के ऊपर जो महात्म्य बताए गए है। जिनसे इस प्रसिद्ध सिद्धपुर तीर्थ का के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी मानयता के चलते साल भर यहा तीर्थ यात्रियों की भीड लगी रहती है। आइए आगे के अपने इस लेख मे हम सिद्धपुर तीर्थ के सभी दर्शनीय स्थलों के बारे मे विस्तार से जानते है।

सिद्धपुर तीर्थ के दर्शनीय स्थल या बिंदु सरोवर तीर्थ के दर्शनीय स्थल

सरस्वती नदी

सिद्धपुर तीर्थ का एक मुख्य आकर्षण सरस्वती नदी है। यात्री पहले सरस्वती नदी में स्नान करते है। सरस्वती समुद्र में नहीं मिलती, कच्छ की मरूभूमि में लुप्त हो जाती है। इसलिए वह कुमारिका मानी जाती है। नदी के किनारे पक्का घाट है। साथ ही सरस्वती जी का मंदिर है, परंतु सरस्वती में जल थोड़ा रहता है। घाट से धारा अक्सर हटी रहती है। सरस्वती के किनारे एक पीपल का वृक्ष है। नदी के किनारे ही ब्रह्मांडेश्वर शिव मंदिर है। यात्री यहां मातृश्राद करते है।

बिंदु सरोवर

सरस्वती नदी के किनारे से लगभग एक मील दूर बिंदु सरोवर है। बिंदु सरोवर जाते समय मार्ग में गोविंद जी और माधवजी के मंदिर पडते है।

बिंदु सरोवर लगभग 40 फुट चकोर एक कुंड है। इसके चारों ओर पक्के घाट बने है। यात्री बिंदु सरोवर मे स्नान करके मातृश्राद करते है। बिंदु सरोवर के पास ही एक बडा सरोवर है। जिसे अल्पा सरोवर कहते है। बिंदु सरोवर पर श्राद्ध करके पिंड अल्पा सरोवर मे विसर्जित किए जाते हैं।

बिंदु सरोवर के दक्षिण किनारे छोटे मंदिरों में महर्षि कर्दम, माता देवहूति, महर्षि कपिल, तथा गदाधर भगवान की मूर्तियां है। इनके अतिरिक्त पास में शेषशायी भगवान लक्ष्मी नारायण, राम-लक्ष्मण-सीता तथा सिद्धेश्वर महादेव के मंदिर और श्री बल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक है।

गुजरात राज्य के इन प्रमुख तीर्थों के बारे मे भी जाने:—

द्वारका धाम

सोमनाथ मंदिर

डाकोर जी मंदिर

नागेश्वर महादेव

ज्ञान वापी

बिंदु सरोवर से थोडी दूर एक पुरानी बावली है। बिंदु सरोवर में स्नान करने के बाद यहां स्नान किया जाता है। यहां माता देवहूति भगवान कपिल से ज्ञानोपदेश प्राप्त करके जलरूप हो गई थी। वही इस ज्ञानवापी का जल है।

रूद्र महालय

गुर्जरेश्वर मूलराज सोलंकी और सिद्धराज जयसिंह द्वारा निर्मित यह अदभुत एवं विशाल मंदिर अलाउद्दीन खिलजी ने नष्ट भ्रष्ट कर दिया था। यह मंदिर सरस्वती के पास ही था। अब इसके कुछ भग्नावशेष सुरक्षित है,और कुछ भाग मुसलमानों के अधिकार में है। इस भाग में एक शिखरदार मंदिर तथा मंदिर का विस्तृत सभामंडप और उसके सामने का कुंड अब मस्जिद के काम में लिया जाता है।

इसके अलावा सिद्धपुर मे कई दर्शनीय मंदिर भी है। जिनके भी दर्शन भी किए जा सकते है। सिद्धेश्वर मंदिर, गोविंदमाधव मंदिर, हाटकेश्वर मंदिर, भूतनाथ महादेव मंदिर, श्री राधा-कृष्ण मंदिर, रणछोड़ जी मंदिर, नीलकंठेश्वर मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, ब्रह्मांडेश्वर मंदिर, अम्बा माता मंदिर, कनकेश्वरी मंदिर तथा आशापुरी माता मंदिर मुख्य रूप से दर्शनीय है।

कैसे पहुंचे

पश्चिम रेलवे की अहमदाबाद-दिल्ली लाइन पर मेहसाणा और आबूरोड स्टेशन के बीच सिद्धपुर रेलवे स्टेशन पडता है। यह मेहसाणा से लगभग 21 मील और आबूरोड से लगभग 19 मील की दूरी पर है। स्टेशन से लगभग एक मील की दूरी पर सरस्वती नदी के तट पर सिद्धपुर नगर है। सरस्वती नदी से बिंदु सरोवर एक मील की दूरी पर है। किंतु स्टेशन से उसकी दूरी आधे मील से भी कम है। मेहसाणा, आबू और गुजरात के प्रमुख शहरों से बस सेवाएं भी उपलब्ध है।

Naeem Ahmad

CEO & founder alvi travels agency tour organiser planners and consultant and Indian Hindi blogger

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