बाल्कन युद्ध कब हुआ था – बाल्कन युद्ध के कारण और परिणाम Naeem Ahmad, April 19, 2022 दक्षिण पूर्वी यूरोप के बाल्कन प्रायद्वीप (Balkan Peninsula) के देश तुर्क साम्राज्य की यातनापूर्ण पराधीनता से मुक्त होना चाहते थे। इसलिए 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में तुर्क साम्राज्य की बिखरती शक्ति को देखकर उन्होने तुर्की को परास्त कर स्वयं को स्वतन्त्र देश घोषित कर दिया। अभी विजय का रोमांच समाप्त भी न हुआ था कि थे विजित प्रदेशों के विभाजन के सवाल को लेकर आपस में लड़ पड़े। और इस तरह बाल्कन युद्ध की शुरुआत हुई अपने इस लेख में हम इसी का उल्लेख करेंगे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानेंगे:—- बाल्कन समस्या क्या थी? बाल्कन युद्ध कब हुआ? बाल्कन देश के नाम? बाल्कन समझौता? बाल्कन युद्ध क्यों हुआ? बाल्कन प्रायद्वीप पर कितने देश हैं? दूसरे बाल्कन युद्ध के क्या कारण थे? प्रथम बाल्कन युद्ध कब हुआ? प्रथम बाल्कन युद्ध की घटनाएं? बाल्कन युद्ध का कारण डेन्यूब नदी (Danube river) के दक्षिण तथा यूरोप के दक्षिण-पूर्व मे स्थित बाल्कन प्रायद्वीप के अंतर्गत छः देश आते हैं- अल्वानिया, बुल्गारिया, यूनान, रोमानिया, तुर्की तथा यूगोसलाविया। सैकड़ों वर्षो तक बाल्कन देशो पर तुर्क साम्राज्य का शासन रहा। 1912 में तुर्की की निर्बलता तथा आंतरिक झगड़ों से लाभ उठाकर बाल्कन राज्यों ने एक गुप्त समझौता किया। दरअसल ये राज्य एकजुट होकर युद्ध करके तुर्क साम्राज्य की पराधीनता के चंगुल से मुक्त होना चाहते थे। यह भी तय हो गया कि मैसीडोनिया (Mecidonia) तथा अन्य विजित प्रदेशों को कैसे बाटा जायेगा। इस मंत्रणा के पीछे मुख्य रूप से रूस का हाथ था, जिसके सबल को पाकर बाल्कन राज्यो ने तुर्की के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। प्रथम बाल्कन युद्ध बाल्कन का प्रथम युद्ध बाल्कन राज्यो और तुर्की के बीच 1912 मे हुआ। इसमें बाल्कन राज्यों को असाधारण सफलता प्राप्त हुई तथा तुर्क सेना पराजित हुई। एड़्रियानोपल (Adrianople) का महत्त्वपूर्ण किला तुर्को के हाथ से निकल गया। ग्रीक सेनाओ ने उस पर अधिकार कर लिया। सर्बिया और मांटीनिग्रो (Montenegro) ने अल्बानिया पर अधिकार कर लिया। बुल्गारिया आक्रमण करते कास्टेंटिनोपल (Constantinople) के बहुत निकट तक पहुंच गया। इस स्थिति मे तुर्की के सामने सन्धि के अलावा अन्य कोई मार्ग न था। सन्धि के लिए दोनों पक्षों के प्रतिनिधि लंदन मे एकत्रित हुए किन्तु स्थायी सन्धि करना सुगम न था। बाल्कन राज्यों की मांगे बहुत अधिक थी। यदि वे सभी मांगे स्वीकृत कर ली जाती तो तुर्की यूरोप से पूर्णतया बहिष्कृत हो जाता। तरुण तुर्क दल के नेता यह कब सहन कर सकते थे। काफ्रेंस भंग हो गयी और दुबारा युद्ध आरम्भ हो गया। लंदन की सन्धिइस बार तुर्क और भी बुरी तरह पराजित हुए। तुर्की के सुलतान ने निराश होकर फिर सन्धि का प्रस्ताव रखा। 30 मई, 1913 को दोनो पक्षों के प्रतिनिधि फिर लंदन मे एकत्रित हुए। सन्धि की शर्ते निम्नलिखित थी:— तुर्की के अधीन जितने भी यूरोपीय देश थे, उन्हे स्वतन्त्र करना होगा। (कास्टेटिनोपल तथा उसके समीप के कुछ प्रदेश ही तुर्की के अधीन रहे। काला सागर में मीडिया नामक स्थान से लेकर एजियन सागर (Aegean sea) के तट पर विद्यमान एनस बंदरगाह तक एक रेखा निश्चित की गयी, जो कि तुर्की की पश्चिमी सीमा निर्धारित करती थी) अल्बानिया को पृथक तथा स्वतंन्त्र राज्य घोषित किया जाये। क्रीट स्वतन्त्र हो कर यूनान के साथ सम्मिलित हो जाये। मैसीडोनिया, अल्बानिया, आदि के बंटवारे का प्रश्न अभी स्थगित माना जाये। किन्तु जीते हुए प्रदेशों के बंटवारे का सवाल अनसुलझा ही रहा। युद्ध से पूर्व किये गये समझौते के अनुसार मैसीडोनिया बुल्गारिया को और अल्बानिया, सर्बिया को दे दिया गया। बोस्निया और हर्जेगोविना के प्रदेशों में अधिकतर सर्बियावासी तथा युगोस्लाव ही रहते थे। ऑस्ट्रिया, सर्बिया की इस बढती शक्ति को देखकर आशंकित हो गया। गुत्थी को उलझते देखकर बंटवारे का सवाल स्थगित कर दिया गया। बाल्कन युद्ध द्वितीय बाल्कन युद्धअल्बानिया को पृथक राज्य घोषित किये जाने के निश्चय पर सर्बिया ने विरोध किया कि मैसीडोनिया (Mecidonia) का प्रधान भाग बुल्गारिया को दिया जाना उन स्थितियों मे तय किया गया था कि अल्बानिया हमे मिलेगा। बुल्गारिया और सर्बिया किसी भी तरह एक-दूसरे से सहमत नही हो सके। फलत: दोनो पक्षों ने शक्ति आजमाने का निश्चय किया। 29 जून, 1913 को बुल्गारिया ने अपने पुराने मित्रों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसमें सर्बिया, मांटीनिग्रो यूनान और रूमानिया मिलकर बुल्गारिया के विरुद्ध युद्ध लड रहे थे। तुर्की भी बुल्गारिया के विरुद्ध अन्य बाल्कन राज्यों की सहायता कर रहा था। लगभग एक महीने तक युद्ध जारी रहा परन्तु अकेले बुल्गारिया के लिए इतने शत्रुओं से अधिक समय तक युद्ध जारी रखना असंभव था। अतः वह हर मोर्चे पर परास्त हुआ। अन्त में वह सन्धि के लिए प्रार्थना करने को विवश हुआ। दोनों पक्षों के बीच 10 अगस्त को रूमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में सन्धि हुई। मैसीडोनिया का बंटवारा अब बिलकुल सुगम था। सन्धि परिषद के अनुसार सर्बिया, मांटीनिग्रो तथा यूनान को मैसीडोनिया के कई प्रमुख भाग मिले। शेष मैसीडोनिया बुल्गारिया को मिला। बाल्कन युद्ध का परिणाम यद्यपि ऊपरी तौर पर समझौतों के कारण बाल्कन राज्यों मे शांति स्थापित हो गयी किन्तु बुल्गारिया भीतर ही भीतर अपमान से सुलग रहा था और किसी भी तरह इन राज्यों से प्रतिशोध लेना चाहता था। शायद इसी कारण प्रथम विश्व युद्ध मे उसने सर्बिया के विरोधियों का साथ दिया। ऑस्ट्रिया भी इस सन्धि से अप्रसन्न था। इसका कारण यह था कि इटली से निकाले जाने के बाद ऑस्ट्रिया के व्यापार का मुख्य केंद्र एड़्रियांटिक सागर (Adriatic sea) के स्थान पर एजियन सागर (Aegean sea) हो गया था। वह पश्चिमी एशिया के लिए कोई व्यापारिक मार्ग चाहता था। इधर सर्बिया बहुत बढ गया था और वह अब स्लाव जाति की एकता का केंद्र हो गया था। ऑस्ट्रिया पहले से ही उसके विरुद्ध था। अतः भविष्य में दोनों के बीच किसी भी तरह के युद्ध की बराबर संभावना थी। चूंकि दूसरे युद्ध मे तुर्की ने बुल्गारिया के विरुद्ध अन्य राज्यों का साथ दिया था, अतः कुछ प्रदेश तुर्क साम्राज्य को लौटा दिये गये। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”8837″][post_grid id=”7736″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध युद्ध वर्ड फेमस वार